जज (न्यायाधीश) कैसे बने | जज का वेतन | योग्यता और परीक्षा के बारे ने जानकारी


भारत में जज (सेशन कोर्ट) अर्थात न्यायाधीश (हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट) का पद सबसे अहम माना जाता है, इस पद पर आसीन व्यक्ति से यदि निर्णय लेने में जरा सी चूक हो जाए, तो निर्दोष व्यक्ति को दंड मिल सकता है| इस बात से यह अनुमान लगाया जा सकता है, कि यह पद कितना महत्वपूर्ण और गरिमामय पद है | भारत में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि माना जाता है |

यदि आप भी एक न्यायाधीश (जज) बनना चाहते है, तो इसके लिए आपको कठिन परिश्रम करना होगा| देश में  न्यायाधीशो की नियुक्ति कोर्ट के आधार पर की जाती है, जैसे कि हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट या जिला और अधीनस्थ न्यायालय | इसलिए आपको यह निर्धारित करना होगा कि आप किस कोर्ट में जज का पद प्राप्त करना चाहते है| सभी कोर्ट के जजों के चयन की प्रक्रिया अलग-अलग है | जज कैसे बने, इसके लिए योग्यता, परीक्षा, चयन प्रक्रिया और सैलरी के बारे में जानकारी दे रहे है |

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न्यायालय के प्रकार (Types of Courts in India Hindi)

भारत में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और अधीनस्थ न्यायालय, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रेक कोर्ट और लोक अदालत यह 6 प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए हैं । भारत का शीर्ष न्यायालय राजधानी दिल्ली में स्थित है, जिसके इसे सर्वोच्च न्यायालय या सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) के नाम से जानते है। राज्य स्तर पर प्रत्येक राज्य के लिए उच्च न्यायालय अर्थात हाईकोर्ट स्थापित किया गया है, इसे निचली अदालत भी कहा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 

सुप्रीम कोर्ट जज बनने हेतु योग्यता (Eligibility For Supreme Court Judge) 

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति में होनें वाली योग्यताएँ इस प्रकार है-

  • व्यक्ति भारत का नागरिक हो |
  • कम से कम पांच साल के लिए उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो |
  • किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो |
  • वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेक्ता होना चाहिए |
  • न्यायाधीश के लिए सेवा का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है. वह 65 वर्ष की आयु के पूरा होने तक अपनी सेवा को जारी रखते हैं |

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सुप्रीम कोर्ट जज चयन प्रक्रिया (Supreme Court Judge Selection Process)

भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अधिनियम संख्या 124 के दूसरे सेक्शन के अंतर्गत होती है | यह पद भारतीय गणतंत्र का सबसे ऊँचा न्यायिक पद है | संविधान में 30 न्यायधीश तथा 1 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान है | सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के परामर्शानुसार की जाती है | 

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं तथा इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते है | अनुच्छेद 124[2] के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह लेगा, वहीं अन्य जजों की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह मानना अनिवार्य होगा | 

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कार्यकाल और सैलरी (Tenure & Salary)

संविधान ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल नहीं किया गया है हालाँकि, यह इस संबंध में तीन प्रावधान इस प्रकार है- 

  • वह 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक पद संभालते हैं। उनकी आयु के संबंध में कोई भी प्रश्न ऐसे प्राधिकारी द्वारा और संसद द्वारा प्रदान किए गए तरीके से निर्धारित किया जाना है।
  • वह राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
  • उन्हें संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा उनके पद से हटाया जा सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 2.80 लाख है, तथा सर्वोच्च न्यायालय के अन्य जजों का वेतन 2.50 लाख रूपये है |

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हाईकोर्ट (High Court)

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता (High Court Judge Eligibility)

अनुच्छेद 217 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए योग्यता इस प्रकार है–

  • भारत का नागरिक हो और 62 वर्ष की आयु पूरी न की हो।
  • कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद पर कार्य कर चुका हो
  • किसी उच्च न्यायालय में एक या से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो। किसी उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहने की अवधि की गणना करते समय वह अवधि भी सम्मिलित की जाएगी, जिसके दौरान किसी व्यक्ति ने अधिवक्ता होने के पश्चात् न्यायिक पद पर कार्य किया है 
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं है, और सर्वोच्च न्यायालय के विपरीत, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रतिष्ठित न्यायविद् की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है।

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उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया (High Court Judge Selection Process)

  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश से, उस राज्य के राज्यपाल से तथा सम्बन्धित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करके की जाती है।  उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राज्य के राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजता है और राज्यपाल उस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री से परामर्श करके उसे प्रधानमंत्री के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेजता है। राष्ट्रपति उस प्रस्ताव पर भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करके न्यायाधीश की नियुक्ति करता है। 
  • उच्च न्यायालय के एक पूर्व निर्णय के अनुसार राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की राय मानने के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन 6 अक्टूबर, 1993 के उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिये गये एक निर्णय के अनुसार राष्ट्रपति को भारत के मुख्य न्यायाधीश की राय को वरीयता देनी चाहिए।
  • 1999 में उच्चतम न्यायालय के 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने यह अभिनिर्धारित किया है कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में उच्चतम न्यायालय के केवल 2 वरिष्ठतम न्यायाधीशों की सलाह लेना आवश्यक है किन्तु स्थानान्तरण के मामले में उच्चतम न्यायालय के 4 वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श को अनिवार्य बनाया गया है। साथ ही सम्बन्धित उच्च न्यायालयों जिससे स्थानान्तरण किया गया है और जिसको स्थानान्तरण किया जाना है, वे मुख्य न्यायाधीशों से परामर्श करना भी अनिवार्य होगा।  

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कार्यकाल और वेतन (Tenure & Salary)

उच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकता है, सुप्रीम कोर्ट में यह 65 आयु वर्ष निर्धारित है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा कानून द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए जाते है।

  • मुख्य न्यायाधीश का वर्तमान वेतन  90,000 रुपये प्रतिमाह 
  • अन्य न्यायाधीशों का वर्तमान वेतन 80, 000 रुपये प्रतिमाह

सिविल जज (Civil Judge)

सिविल जज योग्यता (Civil Judge Qualification)

जज बनने के लिये आपके पास लॉ में स्नातक की डिग्री होनी आवश्यक है | इसके साथ ही आपके पास वकालत करने का सात वर्ष का अनुभव होना चाहिए |

सिविल जज कैसे बने (How To Become A Civil Judge)

जज बनने के लिए सबसे पहले छात्र को कानून अर्थात लॉ में स्नातक होना चाहिए, इसके लिए आप 12 के बाद (CLAT) की परीक्षा में भाग ले सकते है, यह पांच वर्ष का पाठ्यक्रम होता है, जिसके अंतर्गत आपको स्नातक एलएलबी की डिग्री प्राप्त होती है | बीए या स्नातक के बाद आप तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स भी कर सकते है | विधि में स्नातक होने के बाद आपको एक अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होना होता है | इसके बाद आप वकालत कर सकते है | सात वर्ष के अनुभव के बाद आप जज की परीक्षा में बैठ सकते है |

परीक्षा (Exam)

भारत के प्रत्येक राज्य में राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा न्यायिक सेवा परीक्षा, जिला या अधीनस्थ न्यायालय की परीक्षा का आयोजन किया जाता है | यह परीक्षा राज्य के अनुसार अलग- अलग हो सकती है | इसके अंतर्गत आपको तीन चरणों में शामिल होना होता है, जो इस प्रकार है-  

  • प्रारंभिक परीक्षा 
  • मुख्य परीक्षा 
  • साक्षात्कार

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प्रारंभिक परीक्षा पैटर्न (Preliminary Exam Pattern)

पेपर विषय अंक समय
पेपर-1 जनरल नालेज  150 2 घंटे 
पेपर-2लॉ 3002 घंटे

मुख्य परीक्षा एग्जाम पैटर्न (Main Exam Pattern)

पेपर विषय अंक समय
पेपर-1 जनरल नालेज  1503 घंटे 
पेपर-2लैंग्वेज  2003 घंटे 
पेपर-3 LAW I (SUBSTANTIVE LAW)2003 घंटे 
पेपर-4LAW – II (PROCEDURE AND EVIDENCE)2003 घंटे 
पेपर-5 LAW – III (PENAL, REVENUE AND LOCAL LAWS)2003 घंटे 

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साक्षात्कार (Interview)

मुख्य परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जायेगा | यह साक्षात्कार 100 अंकों का होता है | आप इस परीक्षा में सफल होने के बाद जज के पद पर चयनित हो सकते है |

जज की सैलरी या वेतन (Salary)

सिविल जज का वेतन 45 हजार और वरिष्ठ जज का वेतन लगभग 80 हजार रुपये है | यह वेतन राज्य के अनुसार अलग- अलग हो सकता है | हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 2.50 लाख रूपये है और हाई कोर्ट के अन्य जजों का वेतन  2.25 लाख रूपये है | 

एफआईआर (FIR) क्या होता है

यदि आप अपने सवाल का उत्तर प्राइवेट चाहते है तो आप अपना सवाल कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से पूछें |

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