सीआरपीसी की धारा 127 क्या है | Section 127 CRPC in Hindi


सीआरपीसी की धारा 127 क्या है

दंड प्रक्रिया सहिता में भत्ते में परिवर्तनइसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 127 में  किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 127 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 127 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |

(CrPC Section 127) Dand Prakriya Sanhita Dhara 127 (भत्ते में परिवर्तन)

इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 127 में “भत्ते में परिवर्तनइसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 127 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

सीआरपीसी की धारा 107 क्या है



CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 127 के अनुसार :-

भत्ते में परिवर्तन–

(1) धारा 125 के अधीन भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण के लिए मासिक भत्ता पाने वाले या, यथास्थिति, अपनी पत्नी, संतान, पिता या माता को भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण के लिए मासिक भत्ता देने के लिए उसी धारा के अधीन आदिष्ट किसी व्यक्ति की परिस्थितियों में तब्दीली साबित हो जाने पर मजिस्ट्रेट, यथास्थिति, भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण के लिए भत्ते में ऐसा परिवर्तन कर सकता है जो वह ठीक समझे।]

(2) जहाँ मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि धारा 125 के अधीन दिया गया कोई आदेश किसी सक्षम सिविल न्यायालय के किसी विनिश्चय के परिणामस्वरूप रद्द या परिवर्तित किया जाना चाहिए वहां वह, यथास्थिति, उस आदेश को तद्नुसार रद्द कर देगा या परिवर्तित कर देगा।

(3) जहां धारा 125 के अधीन कोई आदेश ऐसी स्त्री के पक्ष में दिया गया है जिसके पति ने उससे विवाह-विच्छेद कर लिया है या जिसने अपने पति से विवाह-विच्छेद प्राप्त कर लिया है वहाँ यदि मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाता है कि

(क) उस स्त्री ने ऐसे विवाह-विच्छेद की तरीख के पश्चात् पुनः विवाह कर लिया है, तो वह ऐसे आदेश को उसके पुनर्विवाह की तारीख से रद्द कर देगा;

(ख) उस स्त्री के पति ने उससे विवाह-विच्छेद कर लिया है और उस स्त्री ने उक्त आदेश के पूर्व या पश्चात् वह पूरी धनराशि प्राप्त कर ली है जो पक्षकारों को लागू किसी रूढ़िजन्य या स्वीय विधि के अधीन ऐसे विवाह-विच्छेद पर देय थी तो वह ऐसे आदेश को,

(i) उस दशा में जिसमें ऐसी धनराशि ऐसे आदेश से पूर्व दे दी गई थी उस आदेश के दिए जाने की तारीख से रद्द कर देगा;

(ii) किसी अन्य दशा में उस अवधि की, यदि कोई हो, जिसके लिए पति द्वारा उस स्त्री को वास्तव में भरणपोषण दिया गया है, समाप्ति की तारीख से रद्द कर देगा;

(ग) उस स्त्री ने अपने पति से विवाह-विच्छेद प्राप्त कर लिया है और उसने अपने विवाह-विच्छेद के पश्चात् अपने यथास्थिति, भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण] के आधारों का स्वेच्छा से अभ्यर्पण कर दिया था, तो वह आदेश को उसकी तारीख से रद्द कर देगा।

(4) किसी भरणपोषण या दहेज की, किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जिसे धारा 125 के अधीन [भरणपोषण और अंतरिम भरणपोषण या उनमें से किसी के लिए कोई मासिक भत्ता संदाय किए जाने का आदेश दिया गया है.] वसूली के लिए डिक्री करने के समय सिविल न्यायालय उस राशि की भी गणना करेगा जो ऐसे आदेश के अनुसरण में, यथास्थिति भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण या उनमें से किसी के लिए मासिक भत्ते के रूप में] उस व्यक्ति को संदाय की जा चुकी है या उस व्यक्ति द्वारा वसूल की जा चुकी है।

सीआरपीसी की धारा 125 क्या है

According to Section. 127 – “ Alteration in allowance ”–

(1) On proof of a change in the circumstances of any person, receiving, under section 125 a monthly allowance, or ordered under the same section to pay a monthly allowance to his wife, child, father or mother, as case may be, the Magistrate may make such alteration in the allowance he thinks fit: Provided that if he increases the allowance, the monthly rate of five hundred rupees in the whole shall not be exceeded.

(2) Where it appears to the Magistrate that, in consequence of any decision of a competent Civil Court, any order made under section 125 should be cancelled or varied, he shall cancel the order or, as the case may be, vary the same accordingly.

(3) Where any order has been made under section 125 in favour of a woman who has been divorced by, or has obtained a divorce from, her husband, the Magistrate shall, if he is satisfied that-

(a) the woman has, after the date of such divorce, remarried, cancel such order as from the date of her remarriage;

(b) the woman has been divorced by her husband and that she has received, whether before or after the date of the said order, the whole of the sum which, under any customary or personal law applicable to the parties, was payable on such divorce, cancel such order,-

(i) in the case where, such sum was paid before such order, from the date on Which such order was made,

(ii) in any other case, from the date of expiry of the period, if any, for which maintenance has been actually paid by the husband by the woman;

(c) the woman has obtained a divorce from her husband and that she had voluntarily surrendered her rights to maintenance after her divorce, cancel the order from the date thereof.

(4) At the time of making any decree for the recovery of any maintenance or dowry by any person, to whom a monthly allowance has been ordered to be paid under section 125, the Civil Court shall take into account the sum which has been paid to, or recovered by, such person as monthly allowance in pursuance of the said order.

सीआरपीसी की धारा 133 क्या है 

आपको आज  दंड प्रक्रिया संहिता  की धारा 127 “भत्ते में परिवर्तनइसके  बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

सीआरपीसी की धारा 145 क्या है

यदि आप अपने सवाल का उत्तर प्राइवेट चाहते है तो आप अपना सवाल कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से पूछें |
Leave a Comment