सीआरपीसी की धारा 12 क्या है
दंड प्रक्रिया सहिता में “मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि“ इसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 12 में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 12 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 12 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |
(CrPC Section 12) Dand Prakriya Sanhita Dhara 12 (न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय)
इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 12 में “मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि“ इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 12 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 12 के अनुसार :-
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि–
(1) उच्च न्यायालय, प्रत्येक जिले में (जो महानगर क्षेत्र नहीं है) एक प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नियुक्त करेगा।
(2) उच्च न्यायालय किसी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर सकता है और ऐसे मजिस्ट्रेट को इस संहिता के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की सब या कोई शक्तियां, जिनका उच्च न्यायालय निदेश दे, होंगी।
(3) (क) उच्च न्यायालय आवश्यकतानुसार किसी उपखंड में किसी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को उपखंड न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में पदाभिहित कर सकता है और उसे इस धारा में विनिर्दिष्ट उत्तरदायित्वों से मुक्त कर सकता है।
(ख) प्रत्येक उपखंड न्यायिक मजिस्ट्रेट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के साधारण नियंत्रण के अधीन रहते हुए उपखंड में (अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों से भिन्न) न्यायिक मजिस्ट्रेटों के काम पर पर्यवेक्षण और नियंत्रण की ऐसी शक्तियां भी होंगी, जैसी उच्च न्यायालय साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, और वह उनका प्रयोग करेगा।
According to Section. 12 – “ Chief Judicial Magistrate and Additional Chief Judicial Magistrate, etc ”–
(1) In every district (not being a metropolitan area), the High Court shall appoint a Judicial Magistrate of the first class to be the Chief Judicial Magistrate.
(2) The High Court may appoint any Judicial Magistrate of the first class to be an Additional Chief Judicial Magistrate, and such Magistrate shall have all or any of the powers of a Chief Judicial Magistrate under this Code or under any other law for the time being in force as the High Court may direct.
(3) (a) The High Court may designate any Judicial Magistrate of the first class in any sub- division as the Sub- divisional Judicial Magistrate and relieve him of the responsibilities specified in this section as occasion requires.
(b) Subject to the general control of the Chief Judicial Magistrate, every Sub- divisional Judicial Magistrate shall also have and exercise such powers of supervision and control over the work of the Judicial Magistrates (other than Additional Chief Judicial Magistrates) in the sub- division as the High Court may, by general or special order, specify in this behalf.
आपको आज दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 12 “मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि“ इसके बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |