जब भी हम अपने भारतीय संविधान की बात करते हैं तब इसमें एक महत्वपूर्ण बात दिखाई पड़ती है जोकि देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार की बात है, इस अधिकार का अर्थ है हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी विषय पर अपनी एक स्वतंत्र राय रखने और उसको सभी लोगों के साथ साझा करने का मौलिक अधिकार, परंतु यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि सूचना और पारदर्शिता के बिना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करना बेमानी हो जाता है। यह किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है | जब हम आमलोगों को ‘सूचना का अधिकार’ प्रदान करने की बात करते हैं इसका मतलब होता है, तंत्र में जनभागीदारी सुनिश्चित करना |
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है | RTI Act in Hindi | आरटीआई के नियम की जानकारी इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य अधिनियम के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
सूचना के अधिकार के इतिहास के बारे में
विश्व स्तर पर सूचना के अधिकार की बारे में जब भी हम पीछे देखते हैं या इसके इतिहास पर नज़र डालते हैं तब हमें पता चलता है कि इसको नई पहचान तब मिली जब वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (Universal Declaration of Human Rights) को अपनाया गया। इसके माध्यम से सभी को मीडिया या किसी अन्य माध्यम से सूचना मांगने एवं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।
अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन ने कहा, “सूचना लोकतंत्र की मुद्रा होती है एवं किसी भी जीवंत सभ्य समाज के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।”
भारत में भी लोकतंत्र को मज़बूत करने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से भारत की संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया।
अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 250 वर्षों तक शासन किया। इसी दौरान शासकीय गोपनीयता अधिनियम 1923 बनाया गया, जिसके अन्तर्गत सरकार को यह अधिकार हो गया कि वह किसी भी सूचना को गोपनीय कर सकेगी। लेकिन, सन् 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने बाद 26 जनवरी 1950 को नया संविधान लागू हुआ। लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में सूचना के अधिकार का कोई वर्णन नहीं किया और न ही अंग्रेजों द्वारा बनाए हुए शासकीय गोपनीयता अधिनियम 1923 में संशोधन किया।
सूचना के अधिकार के प्रति सजगता वर्ष 1975 की शुरूआत में “उत्तर प्रदेश सरकार बनाम राज नारायण” से हुई, जिसकी सुनवाई उच्चतम न्यायालय में हुई। इसी दौरान न्यायालय ने अपने आदेश में लोक प्राधिकारियों द्वारा सार्वजनिक कार्यों का ब्यौरा जनता को प्रदान करने की व्यवस्था दी। उसके इस निर्णय ने नागरिकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा बढ़ाकर सूचना के अधिकार को शामिल कर दिया। सूचना के अधिकार की मांग सर्वप्रथम राजस्थान से प्रारम्भ हुई। इसके लिए 1990 के दशक में जनान्दोलन की शुरूआत हुई, जिसमें मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) ने अरूणा राय की अगुवाई में भ्रष्टाचार के भांडाफोड़ के लिए जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू किया।
सूचना का अधिकार (Right to Information) अधिनियम, 2005 क्या है
आम बोल चाल की भाषा में कहा जाये तो सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम (Act) है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है। आरटीआई या सूचना का अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में दर्जा दिया गया है I अनुच्छेद 19 (1) के अंतर्गत जैसे हर नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है उसी तरह यह भी जानने का हक़ है की सरकार कैसे काम करती है और उसकी क्या भूमिका है |
सूचना का क्या अर्थ है
सूचना का अर्थ है विभिन्न रिकॉर्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, विचार, सलाह, प्रेस विज्ञप्तियाँ, परिपत्र, आदेश, लॉग पुस्तिका, ठेके सहित कोई भी उपलब्ध सामग्री से है, जिसे निजी निकायों से सम्बन्धित तथा किसी लोक प्राधिकरण द्वारा उस समय के प्रचलित कानून के अन्तर्गत प्राप्त किया जा सकता है।
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RTI Act 2005 Full Form in Hindi and English
आइये जानते हैं RTI की फुल फॉर्म क्या होती है इसे यानि RTI Act को RIGHT TO INFORMATION ACT कहते हैं इसे हिंदी में “सूचना का अधिकार अधिनियम 2005″ कहते हैं, ये RTI Act भारत के सभी नागरिकों पर लागू है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में 6 अध्याय तथा कुल 31 धाराएं हैं।
आरटीआई (RTI)अधिनियम का क्या उद्देश्य है ?
आरटीआई अधिनियम का उद्देश्य बहुत विस्तृत और व्यापक है जिसमे कुछ बाते महत्वपूर्ण है वो इस प्रकार है, आरटीआई अधिनियम को लाने का उद्देश्य सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता लाना, सबकी जवाबदेही तय करना, नागरिकों को सशक्त बनाना, भ्रष्टाचार पर रोक लगाना और लोकतंत्र की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है |
एक मजबूत RTI के लिए:
16 दिसंबर, 2015 को, जयंतीलाल एन मिस्त्री बनाम भारतीय रिज़र्व बैंक मामले में, SC ने कहा कि:
“यह लंबे समय से हमारे ध्यान में बात आ रही है कि सार्वजनिक सूचना अधिकारी, RTI अधिनियम खण्ड 8 के तहत दिए गए अपवादों की आड़ में आम जनता को उस वास्तविक जानकारी पर अपना हाथ बढ़ाने से रोक रहे हैं जिसके वे हकदार हैं। “लोगों द्वारा चुनी सरकार” का आदर्श यह आवश्यक बनाता है कि लोगों को सार्वजनिक चिंता के मामलों की जानकारी उपलब्ध हो।
सूचना का अधिकार v/s निजता का अधिकार
सैद्धांतिक तौर पर सूचना का अधिकार और निजता का अधिकार एक-दूसरे के पूरक होने के साथ ही एक दूसरे के विरोधी भी हैं।
एक ओर जहाँ RTI सूचना तक पहुँच के दायरे को बढ़ाता है, वहीं निजता का अधिकार सूचनाओं की गोपनीयता पर बल देता है।
RTI के लाभ
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के द्वारा कोई भी नागरिक, किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है | साथ ही इस अधिकार के प्रयोग से सरकार के काम या प्रशासन में और भी पारदर्शिता लायी जा सकती है | यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि इससे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक बड़ा और सराहनीय कदम माना जा रहा है |
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RTI के अंतर्गत आने वाले विभाग जहाँ से सूचना मांगी जा सकती है
इस अधिकार का प्रयोग आप सभी गवर्मेंट डिपार्टमेंट, प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमत्री कार्यालय, बिजली कंपनियां, बैंक, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, राष्ट्रपति कार्यालय, पुलिस, बिजली कंपनियां, इत्यादि RTI एक्ट के अंतर्गत आते है |
RTI के अंतर्गत न आने वाले विभाग
देश की सुरक्षा से सम्बंधित किसी भी विभाग की जानकारी सरकार उपलब्ध नहीं कराएगी, क्योंकि इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है |
RTI आवेदन शुल्क (RTI Application fee)
सूचना के अधिकार (RTI) के लिए 10 रूपये का शुल्क निर्धारित किया गया है | गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों के लिए यह निशुल्क है |
RTI के समक्ष चुनौतियाँ
- नौकरशाही में अभिलेखों को रखने व उनके संरक्षण की व्यवस्था बहुत कमज़ोर है।
- सूचना आयोगों को चलाने के लिये पर्याप्त अवसंरचना और स्टाफ का अभाव है।
- सूचना के अधिकार कानून के पूरक कानूनों, जैसे- ‘व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम’ का कुशल क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
ऑनलाइन (Online) RTI कैसे फाइल करें
- ऑनलाइन RTI फाइल करने के लिए इसके ऑफिसियल वेबसाइट में जाना होगा rtionline.gov.in |
- ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए आपको सबसे पहले Submit Request के बटन को क्लिक करना होगा जिसके बाद एक पेज खुलेगा जिसमे सारी गाइडलाइन्स होगी |
- अब आप दी गई गाइडलाइन्स को ध्यान से पढ़े, और उसके बाद आपको confirm करना है की आपने पूरी guidelines पढ़ ली है फिर Submit पर क्लिक करें |
- Submit करने के बाद आपके सामने एक फॉर्म खुल कर आएगा, इस फॉर्म को आप 2 भाषाओँ हिंदी या इंग्लिश में अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं |
- अब आपको यहाँ जिस department से जुडी जानकारी चाहिए उसके अनुसार फॉर्म को पूरा भरें, यहाँ पर आपको ध्यान रखना है की फॉर्म में सभी detail सही सही होनी चाहिए |
- फॉर्म को सही भर लेने के बाद जरुरी डॉक्यूमेंट भी अपलोड करें |
- अब एक बार फिर यहाँ सबसे नीचे आपको submit button मिलेगा उस पर क्लिक करें |
- Submit करने के बाद आपको इस फॉर्म का एक रिसीप्ट मिलेगा. आप इस receipt को store कर के रख लें या फिर प्रिंटआउट कर के निकाल लें |
- जब आप इस फॉर्म की status चेक करेंगे तब आपको इस रिसीप्ट की जरुरत पड़ेगी |
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ऑफलाइन RTI कैसे फाइल करें
अगर आप ऑफलाइन RTI फाइल करना चाहते हैं तो यहाँ नीचे आपको इसका पूरा तरीका हम बता रहे हैं इसे follow करें और ऑफलाइन सूचना का अधिकार फाइल कर सकते हैं |
- ऑफलाइन आवेदन करने के लिए पहले आप इसका पता लगा लें आप किस संस्थान की जानकारी लेना चाहते हैं |
- जब आप ये निर्णय लें ले की कौन से विभाग की जानकारी चाहिए उसके बाद एक सफ़ेद पेपर शीट में आवेदन लिखें और सुचना अधिकारी को जमा कर दें |
- आपको हर विभाग में एक “लोक सुचना अधिकारी” मिलेगा जिसे आप अपना आवेदन लिख कर दे सकते हैं.
- जब आप आवेदन लिखें तो इस लाइन को Subject(विषय) की के सामने जरूर लिखें “आर टी आई अधिनियम 2005 के तहत सुचना की तलाश।”
- आप अपना आवेदन इंग्लिश या हिंदी किसी भी भाषा में लिख कर दे सकते हैं |
- आवेदन पूरा लिख लें तो उसमे आवेदन की तारीख और fees के 10 Rs. का postal order साथ में जरूर attach करें जो की इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जरुरी है |
- जो लोग गरीबी रेखा के निचे आते हैं उन्हें 10 Rs. का fees देने की जरुरत नहीं है लेकिन उन्हें BPL सर्टिफिकेट की एक कॉपी साथ में attach करना पड़ेगा |
- आवेदन पत्र में अपना पूरा नाम और पता लिखें, साथ ही अपना साइन भी करें और इसके बाद registered पोस्ट के जरिये इसे सम्बंधित कार्यालय में भेज दें |
- अब अगर 30 दिनों के अंदर कोई जवाब नहीं मिलता है तो तो फिर आप अपील अधिकारी के साथ अपील दायर कर सकते हैं |
सुचना आयोग के नए नियम 2019 – (New RTI Rules 2019 in हिंदी)
Term – पद के अंतर्गत किए गए संशोधन
2005 ACT
2005 के कानून के अनुसार जो केंद्र और राज्य स्तरीय चीफ इनफॉरमेशन कमिश्नर, और इनफॉरमेशन कमिश्नर वह 5 सालों के लिए सेवा देंगे |
2019 BILL
इस आयोग के अंतर्गत जो पद दिए जाएंगे वह केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएंगे और फिर कार्यालय को सूचित कर दिया जाएगा. अभी पूरी की पूरी केंद्रीय सरकार की इच्छा के अनुसार होगा |
शपथ पत्र (Affidavit) क्या होता है
Salary – आयोग में काम करने वाले लोगों के सैलरी के ऊपर किया गया संशोधन
2005 ACT
केंद्रीय स्तर पर जो चीफ इनफॉरमेशन कमिश्नर और इंफॉर्मेशन कमिश्नर की सैलरी होती थी वह चीफ इलेक्शन कमिश्नर और इलेक्शन कमिश्नर के बराबर ही होती थी. जो राज्य स्तर के होते थे उनकी सैलरी इलेक्शन कमिश्नर और चीफ सेक्रेट्री के बराबर होते थे |
2019 BILL
इसके अंतर्गत केंद्र और राज्य स्तरीय चीफ इंफॉर्मेशन कमिश्नर और इनफॉरमेशन कमिश्नर की सैलरी, एलाउंसेस और दूसरी सेवाएं केंद्र सरकार निर्धारित करेगी |
Deduction – कटौती
2005 ACT
मान लीजिए किसी चीफ इंफॉर्मेशन कमिश्नर या फिर इंफॉर्मेशन कमिश्नर जो कि केंद्र या फिर राज्यस्तरीय सरकारी सेवा पर काम करते हो और फिर रिटायरमेंट के बाद उन्हें कोई पेंशन मिल रहा हो अगर उनकी नियुक्ति की जाती है तो फिर उनकी सैलरी उनके पेंशन के बराबर ही कर दी जाएगी |
सरकारी सेवाएं जैसे केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, केंद्रीय या राज्य कानून के तहत स्थापित संस्थान, केंद्रीय या फिर राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली कोई कंपनी पिछले जॉब के रूप में होना जरूरी है |
2019 बिल में पुराने सारे नियम हटा दिए गए हैं.
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है | RTI Act in Hindi के बारे में जानकारी हो गई होगी | यदि फिर भी इससे सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
Can I know property fo police officer by RTI2005
no…only you can get the information about public property not private in RTI 2005
Mangi gai suchana Block, District, ya rajya suchana aayogon ki taraf se bhi suchana na mile to kya kar sakte hai.
Jaise maine suchana mangi nahi mila. 1st appeal kiya nahi mila 2nd appeal kiya nahi mila to uske baad kya kate
state level pe jake aisa nahi hota, sayad kuch truti rahi hogi ….ya jo ssochna mangi gai hogi wo dene yogy na payi gai ho…
aap na puura details aur kis prakar ki soochna chate the kirpya yaha neeche diye gye link ke madhyam se batye bataye
https://nocriminals.org/contact/?utm_source=site&utm_medium=bottomad&utm_campaign=staticad