पॉक्सो एक्ट क्या है | POCSO Act in hindi | सजा | जमानत व फुल फॉर्म के बारे में जानकारी


दोस्तों हम आये दिन बाल यौन शोषण के बारे में देखते सुनते है लेकिन हमारे देश में इसको रोकने के लिए क्या कोई प्रावधान मौजूद है | आज बच्चों का यौन शोषण एक सामुदायिक चिंता का विषय हो गया है और इसके लिए कई विधायी और व्यावसायिक पहलों पर सबका ध्यान केंद्रित किया है। अगर हम भारत के कुल जनसंख्या की बात करें तो लगभग 37% हिस्सा बच्चों का है और वही विश्व की कुल जनसंख्या में 20% हिस्सा बच्चों का बताया जाता है |

इसी क्रम में  सालो से बाल यौन शोषण पर ध्यान आकर्षित करने और इसके आसपास की चुप्पी की साजिश को तोड़ने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। इसी का परिणाम यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012, (POCSO ) अधिनियम, एक ऐतिहासिक कानून बनाया गया है।

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आज इस पेज पर पॉक्सो एक्ट क्या है | POCSO Act in hindi | सजा | जमानत व फुल फॉर्म के बारे में जानकारी के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, इनके बारे में पूर्ण रूप से चर्चा की गई है | साथ ही पॉक्सो एक्ट | POCSO Act 2012 की सभी धाराओं के बारे में भी विस्तार से बताया गया है? इसको भी यहाँ जानेंगे, और इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य अधिनियम के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

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पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) क्या है

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पोक्सो (POCSO) जिसका पूरा नाम है The Protection Of Children From Sexual Offences Act (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) अधिनियम बनाया गया है।  इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने साक्षी केस (Sakshi vs. Union of India: (1999) 6 SCC 591) में बाल यौन शोषण से निपटने के लिए आईपीसी की अपर्याप्तता पर प्रकाश डाला था। जब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के खिलाफ अपराध विधेयक का मसौदा परिचालित किया (2009) तब शुरू हुई कानून बनाने की प्रक्रिया जो अंत में POCSO अधिनियम बन गई।

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पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) अधिनियम कहाँ पर लागू होता है

यह अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है, पॉक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में होती है।

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पॉक्सो एक्ट में अब होगी फांसी

मोदी सरकार की  कैबिनेट की बैठक हुई और यह फैसला लिया गया कि दे‍षियों को मौत की सजा दी जाएगी। बैठक में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसPOCSO (पॉक्सो) एक्ट में बदलाव की बात कही गई और इसके अंतर्गत 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के दोषी को मौत की सजा पर कैबिनेट के मुहर लगाने का प्रस्‍ताव रखा गया, जिसको बाद में  कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में  सरकार द्वारा बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्‍सो एक्‍ट) में बदलाव लाया गया और आरोपी को फांसी की सजा पर एक अध्यादेश जारी किया।

अब कानून में बदलाव होने के बाद कोई भी 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान किया गया  है। पॉक्सो (POCSO) के पहले के प्रावधानों की बात की जाये तो इसके मुताबिक दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद और न्‍यूनतम सजा 7 साल जेल थी। इस कानून के दायरे में 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार शामिल है।

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लड़की-लड़के दोनों संशोधित कानून के दायरे में शामिल

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने लड़की-लड़कों दोनों यानी बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) 2012 में संशोधन को मंजूरी दी है | इस  संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है | इसके अलावा बाल यौन उत्पीड़न के अन्य अपराधों की भी सजा कड़ी करने का प्रस्ताव भी रखा गया है |

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पोक्सो एक्ट के अन्तर्गत मीडिया के लिए विशेष दिशा निर्देश (प्रावधान)

1. धारा 20 के अनुसार मीडिया किसी बालक के लैंगिक शोषण संबंधी किसी भी प्रकार की सामग्री जो उसके पास उपलब्ध हो, वह स्थानीय पुलिस को उपलब्ध करायएगा। ऐसा ना करने पर यह कृत्य अपराध की श्रेणी में माना जाएगा।

2. कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के मीडिया या स्टूडियों या फोटोग्राफी सुविधाओं से पूर्ण और अधिप्रमाणित सूचना के बिना किसी बालक के सम्बन्ध में कोई रिपोर्ट या उस पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा, जिससे उसकी प्रतिष्ठा हनन या उसकी गोपनीयता का उल्लंघन होता हों।

3. किसी मीडिया से कोई रिपोर्ट बालक की पहचान जिसके अन्तर्गत उसका नाम, पता, फोटोचित्र परिवार के विवरणों, विधालय, पङौसी या किन्हीं अन्य विवरण को प्रकट नहीं किया जायेगा।

4. परन्तु ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किये जाने के पश्चात सक्षम विशेष न्यायालय की अनुमति प्राप्त कर किया जा सकेगा यदि उसकी राय में ऐसा प्रकरण बालक के हित में है।

5. मीडिया स्टूडियों का प्रकाशक या मालिक संयुक्त रूप से और व्यक्तिगत रूप से अपने कर्मचारी के कार्यों के किसी कार्य के लिए उत्तरदायी होगा। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 6 माह से 1 वर्ष के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

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पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में मेडिकल जाँच

यहाँ आपको बता दें की  रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस की यह जवाबदेही हैं कि पीड़ित का मामला 24 घंटो के अन्दर बाल कल्याण समिति के सामने लाया जाए, जिससे पीड़ित की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम उठाये जा सके, इसके साथ ही बच्चे की मेडिकल जाँच करवाना भी अनिवार्य हैं | ये मेडिकल परीक्षण बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जायेगा जिस पर बच्चे का विश्वास हो, और पीड़ित अगर लड़की है तो उसकी मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए |

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पास्को (POCSO Act) एक्ट से कैसे बचें

पास्को एक्ट से बचने का कोई भी उपाय नहीं है हालाँकि अगर ये साबित होता है कि उम्र सीमा 18 से ज्यादा है तब ही केवल इस धारा को हटाया जायेगा अन्यथा किसी भी सूरत में  पास्को एक्ट से नहीं बचा जा सकता |

प्रमुख कानूनी शब्दावली

POCSO अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं:-

  • इस अधिनियम में बच्चों को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • यह अधिनियम लिंग तटस्थ है, इसका अर्थ यह है कि अपराध और अपराधियों के शिकार पुरुष, महिला या तीसरे लिंग हो सकते हैं।
  • यह एक नाबालिग के साथ सभी यौन गतिविधि को अपराध बनाकर यौन सहमति की उम्र को 16 साल से 18 साल तक बढ़ा देता है।
  • अधिनियम में यह भी बताया गया है कि यौन शोषण में शारीरिक संपर्क शामिल हो सकता है या शामिल नहीं भी हो सकता है |
  • अधिनियम बच्चे के बयान को दर्ज करते समय और विशेष अदालत द्वारा बच्चे के बयान के दौरान जांच एजेंसी द्वारा विशेष प्रक्रियाओं का पालन करता है। 
  • सभी के लिए अधिनियम के तहत यौन अपराध के बारे में पुलिस को रिपोर्ट करना अनिवार्य है, और कानून में गैर-रिपोर्टिंग के लिए दंड का प्रावधान शामिल किया गया है।
  • इस अधिनियम में यह सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं कि एक बच्चे की पहचान जिसके खिलाफ यौन अपराध किया जाता है, मीडिया द्वारा खुलासा नहीं किया जायेगा ।
  • बच्चों को पूर्व-परीक्षण चरण और परीक्षण चरण के दौरान अनुवादकों, दुभाषियों, विशेष शिक्षकों, विशेषज्ञों, समर्थन व्यक्तियों और गैर-सरकारी संगठनों के रूप में अन्य विशेष सहायता प्रदान की जानी है।
  • बच्चे अपनी पसंद या मुफ्त कानूनी सहायता के वकील द्वारा कानूनी प्रतिनिधित्व के हकदार हैं।
  • इस अधिनियम में पुनर्वास उपाय भी शामिल हैं, जैसे कि बच्चे के लिए मुआवजे और बाल कल्याण समिति की भागीदारी शामिल है ।

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POCSO Act Full Form

आइये जानते हैं  POCSO Act की फुल फॉर्म क्या होती है इसे यानि POCSO Act  को  The Protection Of Children From Sexual Offences Act (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) कहते हैं इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। ये POCSO Act भारत के सभी नागरिकों पर लागू है।  पोक्सो एक्ट-2012 में कुल 46 धाराएं  हैं।

1-संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ

2-परिभाषाएं 

3-प्रवेशन लैंगिक हमला

4-प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दंड

5-गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला

6-गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला का दंड

7-लैंगिक हमला

8-लैंगिक हमला का दंड

9-गुरुतर लैंगिक हमला

10-गुरुतर लैंगिक हमला का दंड

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Pocso Act Bare Act

11-लैंगिक उत्पीड़न

12-लैंगिक उत्पीड़न का दंड

13-अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग

14-अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग का दंड

15-बालक को सम्मिलित करने वाली अश्लील सामग्री के भंडारकरण के लिए दंड

16-किसी अपराध का दुष्प्रेरण

17-दुष्प्रेरण के लिए दंड

18-किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए दंड

19-अपराधों की रिपोर्ट करना

20-मामले को रिपोर्ट करने के लिए मिडिया , स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता

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Pocso Act Bare Act

21-मामले को रिपोर्ट करने या अभिलिखित करने में विफल रहने के लिए दंड

22-मिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिए दंड

23-मिडिया के लिए प्रक्रिया

24-बालक के कथनों को अभिलिखित किया जाना

25-मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन

26-अभिलिखित किये जाने वाले  सम्बन्ध में अतिरिक्त उपबंध

27-बालक की चिकित्सीय परीक्षा

28-विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना

29-कतिपय अपराधों के बारे में उपधारणा

30-आपराधिक मानसिक दशा की उपधारणा

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Pocso Act Bare Act

31-विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 का लागु होना

32- विशेष लोक अभियोजक

33-विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियां

34-बालक द्वारा अपराध किये जाने और विशेष न्यायालय द्वारा आयु का अवधारण करने के मामले में प्रक्रिया

35-बालक के साक्ष्य को अभिलिखित और मामले का निपटारा करने के लिए अवधि

36-साक्ष्य देते समय बालक का अभियुक्त को न दिखना

37-विचारण का बंद कमरे में संचालन

38-बालक का साक्ष्य अभिलिखित करते समय किसी दुभाषिए या किसी विशेषज्ञ की सहायता लेना  

39-विशेषज्ञ आदि की सहायता लेने के लिए बालक के लिए मार्गनिर्देश

40-विधिक काउंसेल की सहायता लेने का बालक का अधिकार

वकील (अधिवक्ता) कैसे बने   

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41-कतिपय मामलो में धारा 3 से धारा 13 तक के उपबंध का लागु न होना

42-अनुकल्पिक दंड

43-अधिनियम के बारे में लोक जागरूकता

44-अधिनियम के क्रियान्वयन की मानीटरी

45-नियम बनाने की शक्ति

46-कठिनाइयां दूर करने की शक्ति

भारतीय कानून की जानकारी

यदि आप अपने सवाल का उत्तर प्राइवेट चाहते है तो आप अपना सवाल कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से पूछें |

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