सीआरपीसी की धारा 25 A क्या है
दंड प्रक्रिया सहिता में “अभियोजन निदेशालय“ इसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 25 A में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 25 A के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 25 A क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |
(CrPC Section 25 A) Dand Prakriya Sanhita Dhara 25 A (सहायक लोक अभियोजक)
इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 25 A में “अभियोजन निदेशालय “ इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 25 A कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 25 A के अनुसार :-
अभियोजन निदेशालय
(1) राज्य सरकार एक अभियोजन निदेशालय स्थापित कर सकेगी, जिसमें एक अभियोजन निदेशक और उतने अभियोजन उप-निदेशक होंगे, जितने बह ठीक समझे।
(2) कोई व्यक्ति अभियोजन निदेशक या उप अभियोजन निदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए केवल तभी पात्र होगा यदि वह अधिववक्ता के रूप में कम-से-कम दस वर्ष तक व्यवसाय में रहा है और ऐसी नियुक्ति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की समति से की जाएगी।
(3) अभियोजन निदेशालय का प्रधान अभियोजन निदेशक होगा, जो राज्य में गृह विभाग के प्रधान के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा।
(4) प्रत्येक अभियोजन उप-निदेशक, अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ होगा।
(5) राज्य सरकार द्वारा धारा 24 की, यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (8) के अधीन, उच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के लिए नियुक्त किया गया प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक, जो अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ होगा।
(6) राज्य सरकार द्वारा, धारा 24 की, यथास्थिति, उपधारा (3) या उपधारा (8) के अधीन जिला न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के लिए नियुक्त किया गया प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक, और जो धारा 25 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त किया गया प्रत्येक सहायक लोक अभियोजक, जो अभियोजन उप-निदेशक के अधीनस्थ होगा।
(7) अभियोजन निदेशक और अभियोजन उप-निदेशकों की शक्तियां तथा कृत्य तथा वे क्षेत्र जिनके लिए प्रत्येक अभियोजन निदेशक नियुक्त किया जाएगा, वे होंगे जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे।
(8) लोक अभियोजक के कृत्यों का पालन करने में, इस धारा के उपबंध राज्य के महाधिववक्ता को लागू नहीं होंगे।
According to Section. 25 A – “ Directorate of Prosecution ”–
(1)The State Government may establish a Directorate of Prosecution consisting of a Director of Prosecution and as many Deputy Directors of Prosecution as it thinks fit.
(2) A person shall be eligible to be appointed as a Director of Prosecution or a Deputy Director of Prosecution, only if he has been in practice as an advocate for not less than ten years and such appointment shall be made with the concurrence of the Chief Justice of the High Court.
(3) The Head of the Directorate of Prosecution shall be the Director of Prosecution, who shall function under the administrative control of the Head of the Home Department in the State.
(4) Every Deputy Director of Prosecution shall be subordinate to the Director of Prosecution.
(5) Every Public Prosecutor, Additional Public Prosecutor and Special Public Prosecutor appointed by the State Government under sub-section (1), or as the case may be, sub-section (8), of section 24 to conduct cases in the High Court shall be subordinate to the Director of Prosecution.
(6) Every Public Prosecutor, Additional Public Prosecutor and Special Public Prosecutor appointed by the State Government under sub-section (3), or as the case may be, sub-section (8), of section 24 to conduct in District Courts and every Assistant Public Prosecutor appointed under sub-section (1) of section 25 shall be subordinate to the Deputy Director or Prosecution.
(7) The powers and functions of the Director of Prosecution and the Deputy Directors of Prosecution and the areas for which each of the Deputy Directors of Prosecution have been appointed shall be such as the State Government may, by notification, specify.
(8) The provisions of the section shall not apply to the Advocate General for the State while performing the functions of a Public Prosecutor.
आपको आज दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 25 A “कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना“ इसके बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |