सीआरपीसी की धारा 40 क्या है
दंड प्रक्रिया सहिता में “ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य“ इसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 40 में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 40 के लिए किस तरह अप्लाई होगी |
दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 40 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |
(CrPC Section 40) Dand Prakriya Sanhita Dhara 40 (ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य)
इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 40 में “ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य “ इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 40 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा) की धारा 40 के अनुसार :- –
ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य—
(1) किसी ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित प्रत्येक अधिकारी और ग्राम में निवास करने वाला प्रत्येक व्यक्ति, निकटतम मजिस्ट्रेट को या निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जो भी निकटतर हो, कोई भी जानकारी जो उसके पास निम्नलिखित के बारे में हो, तत्काल संसूचित करेगा,
(क) ऐसे ग्राम में या ऐसे ग्राम के पास किसी ऐसे व्यक्ति का, जो चुराई हुई संपत्ति का कुख्यात प्रापक या विक्रेता है, स्थायी या अस्थायी निवास
(ख) किसी व्यक्ति का. जिसका वह ठग. लटेरा, निकल भागा सिद्धृदोष या उद्घोषित अपराधी होना जानता है या जिसके ऐसा होने का उचित रूप से संदेह करता है, ऐसे ग्राम के किसी भी स्थान में आना-जाना या उसमें से हो कर जाना;
(ग) ऐसे ग्राम में या उसके निकट कोई अजमानतीय अपराध या भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 143, धारा 144, धारा 145, धारा 147 या धारा 148 के अधीन दंडनीय कोई अपराध किया जाना या करने का आशय ;
(घ) ऐसे ग्राम में या उसके निकट कोई आकस्मिक या अप्राकृतिक मृत्यु होना, या सन्देहजनक परिस्थितियों में कोई मृत्यु होना, या ऐसे ग्राम में या उसके निकट किसी शव का, या शव के अंग का ऐसी परिस्थितियों में, जिनसे उचित रूप से संदेह पैदा होता है कि ऐसी मृत्यु हुई, पाया जाना, या ऐसे ग्राम से किसी व्यक्ति का, ऐसी परिस्थितियों में जिनसे उचित रूप से संदेह पैदा होता है कि ऐसे व्यक्ति के संबंध में अजमानतीय अपराध किया गया है, गायब हो जाना;
(ङ) ऐसे ग्राम के निकट, भारत के बाहर किसी स्थान में ऐसा कोई कार्य किया जाना या करने का आशय जो यदि भारत में किया जाता तो भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की इन धाराओं, अर्थात्-231 से 238 तक (दोनों सहित), 302, 304, 382, 392 से 399 तक (दोनों सहित), 402, 435, 436, 449,450, 457 से 460 तक (दोनों सहित), 489क, 489,ख, 489ग और 4894 में से किसी के अधीन दंडनीय अपराध होता;
(च) व्यवस्था बनाए रखने या अपराध के निवारण अथवा व्यक्ति या संपत्ति के क्षेम पर संभाब्यता प्रभाव डालने वाला कोई विषय जिसके संबंध में जिला मजिस्ट्रेट ने राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी से किए गए साधारण या विशेष आदेश द्वारा उसे निदेश दिया है कि वह उस विषय पर जानकारी संसूचित करे।
(2) इस धारा में-
(i) “ग्राम के अंतर्गत ग्राम-भूमियां भी हैं ;
(ii) “उद्घोषित अपराधी पद के अंतर्गत ऐसा व्यक्ति भी है जिसे भारत के किसी ऐसे राज्यक्षेत्र में जिस पर इस संहिता का विस्तार नहीं है किसी न्यायालय या प्राधिकारी ने किसी ऐसे कार्य के बारे में, अपराधी उद्घोषित किया है जो यदि उन राज्यक्षेत्रों में, जिन पर इस संहिता का विस्तार है, किया जाता तो भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की इन धाराओं, अर्थात्-302, 304, 382, 392 से 399 तक (दोनों सहित), 402, 435, 436, 449, 450 और 457 से 460 तक (दोनों सहित), में से किसी के अधीन दंडनीय अपराध होता;
(iii) “ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित प्रत्येक अधिकारी” शब्दों से ग्राम पंचायत का कोई सदस्य अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत ग्रामीण और प्रत्येक ऐसा अधिकारी या अन्य व्यक्ति भी है जो ग्राम के प्रशासन के संबंध में किसी कृत्य का पालन करने के लिए नियुक्त किया गया है।
According to Section. 40 – “Duty of officers employed in connection with the affairs of a village to make certain report ”–
(1) Every officer employed in connection with the affairs of a village and every person residing in a village shall forthwith communicate to the nearest Magistrate or to the officer in charge of the nearest police station, whichever is nearer, any information which he may possess respecting;
the permanent or temporary residence of any notorious receiver or vendor of stolen property in or near such village;
the resort to any place within, or the passage through, such village of any person whom he knows, or reasonably suspects, to be a thug, robber, escaped convict or proclaimed offender;
the Commission of, or intention to commit, in or near such village any non-bailable offence or any offence punishable under section 143, section 144, section 145, section 147 or section 148 of the Indian Penal Code (45 of 1860);
the occurrence in or near such village of any sudden or unnatural death or of any death under suspicious circumstances or the discovery in or near such village of any corpse or part of a corpse, in circumstances which lead to a reasonable suspicion that such a death has occurred or the disappearance from such village of any person in circumstances which lead to a reasonable suspicion that a non-bailable offence has been committed in respect of such person;
the Commission of, or intention to commit, at any place out of India near such village any act which, if committed in India, would be an offence punishable under any of the following sections of the Indian Penal Code (45 of 1860), namely, sections 231 to 238 (both inclusive), sections 302, 304, 382, 392 to 399 (both inclusive), 402, 435, 436, 449, 457, to 460 (both inclusive), sections 489A, 489B, 489C and 489D;
any matter likely to affect the maintenance of order of the prevention of crime or the safety of person or property respecting which the District Magistrate by general or special order made with the previous sanction of the State Government, has directed him to communicate information.
(2) In this section,
“village” includes village-lands;
the expression “proclaimed offender” includes any person proclaimed as an offender by any Court or authority in any territory in India to which this code does not extend, in respect of any act which if committed in the territories to which this Code extends, would be an offence punishable under any of the following sections of the Indian Penal Code (45 of 1860), namely, sections 302, 304, 382, 392 to 399 (both inclusive), sections 402, 435, 436, 449, 450 and 457 to 460 (both inclusive);
the words “officer employed in connection with the affairs of the village” means a member of the panchayat of the village and includes the headman and every officer or other person appointed to perform any function connected with the administration of the village.
आपको आज दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 40 “ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य“ इसके बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |