सीआरपीसी की धारा 95 क्या है | Section 95 CRPC in Hindi


सीआरपीसी की धारा 95 क्या है

दंड प्रक्रिया सहिता में कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिए तलाशी-वारंट जारी करने की शक्तिइसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 95 में  किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 95 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 95 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |

(CrPC Section 95) Dand Prakriya Sanhita Dhara 95 (कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिए तलाशीवारंट जारी करने की शक्ति)

इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 95 में “कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिए तलाशी-वारंट जारी करने की शक्ति“ इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 95 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

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CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 95 के अनुसार :-

कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिए तलाशी-वारंट जारी करने की शक्ति–

(1) जहां राज्य सरकार को प्रतीत होता है कि-

(क) किसी समाचार-पत्र या पुस्तक में ; अथवा

(ख) किसी दस्तावेज में, चाहे वह कहीं भी मुद्रित हुई हो, कोई ऐसी बात अंतर्विष्ट है जिसका प्रकाशन भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 124क या धारा 153क या धारा 153ख या धारा 292 या धारा 293 या धारा 295क के अधीन दंडनीय है, वहां राज्य सरकार ऐसी बात अंतर्विष्ट करने वाले समाचार-पत्र के अंक की प्रत्येक प्रति का और ऐसी पुस्तक या अन्य दस्तावेज की प्रत्येक प्रति का सरकार के पक्ष में समपहरण कर लिए जाने की घोषणा, अपनी राय के आधारों का कथन करते हुए, अधिसूचना द्वारा कर सकती है और तब भारत में, जहाँ भी वह मिले, कोई भी पुलिस अधिकारी उसे अभिगृहीत कर सकता है और कोई मजिस्ट्रेट, उप-निरीक्षक से अनिम्न पंक्ति के किसी पुलिस अधिकारी को, किसी ऐसे परिसर में, जहां ऐसे किसी अंक की कोई प्रति या ऐसी कोई पुस्तक या अन्य दस्तावेज है या उसके होने का उचित संदेह है, प्रवेश करने और उसके लिए तलाशी लेने के लिए वारंट द्वारा प्राधिकृत कर सकता है।

(2) इस धारा में और धारा 96 में-

(क) “समाचार-पत्र” और “पुस्तक के वे ही अर्थ होंगे जो प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1867 (1867 का 25) में हैं,

(ख) “दस्तावेज” के अंतर्गत रंगचित्र रेखाचित्र या फोटोचित्र या अन्य दृश्यरूपण भी हैं।

(3) इस धारा के अधीन पारित किसी आदेश या की गई किसी कार्रवाई को किसी न्यायालय में धारा 96 के उपबंधों के अनुसार ही प्रश्नगत किया जाएगा अन्यथा नहीं।

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According to Section. 95 – “Power to declare certain publications forfeited and to issue search warrants for the same. ”–

(1) Where-

(a) any newspaper, or book, or

(b) any document, wherever printed, appears to the State Government to contain any matter the publication of which is punishable under section 124A or section 153A or section 153B or section 292 or section 293 or section 295A of the Indian Penal Code (45 of 1860 ), the State Government may, by notification, stating the grounds of its opinion, declare every copy of the issue of the newspaper containing such matter, and every copy of such book or other document to be forfeited to Government, and thereupon any police officer may seize the same wherever found in India and any Magistrate may by warrant authorise any police officer not below the rank of sub- inspector to enter upon and search for the same in any premises where any copy of such issue or any such book or other document may be or may be reasonably suspected to be.

(2) In this section and in section 96,-

(a) ” newspaper” and” book” have the same meaning as in the Press and Registration of Books Act, 1867 (25 of 1867 );

(b) ” document” includes any painting, drawing or photograph, or other visible representation.

(3) No order passed or action taken under this section shall be called in question in any Court otherwise than in accordance with the provisions of section 96.

सीआरपीसी की धारा 45 क्या है 

आपको आज  दंड प्रक्रिया संहिता  की धारा 95 “कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिए तलाशी-वारंट जारी करने की शक्तिइसके  बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

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