सीआरपीसी की धारा 96 क्या है | Section 96 CRPC in Hindi


सीआरपीसी की धारा 96 क्या है

दंड प्रक्रिया सहिता में समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदनइसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 96 में  किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 96 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 96 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |

(CrPC Section 96) Dand Prakriya Sanhita Dhara 96 (समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन)

इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 96 में “समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदनइसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 96 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

सीआरपीसी की धारा 91 क्या है



CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 96 के अनुसार :-

समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन–

(1) किसी ऐसे समाचार-पत्र, पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में धारा 95 के अधीन समपहरण की घोषणा की गई है, कोई हित रखने वाला कोई व्यक्ति उस घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से दो मास के अंदर उस घोषणा को इस आधार पर अपास्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकता है कि समाचार-पत्र के उस अंक या उस पुस्तक अथवा अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में वह घोषणा की गई थी ; कोई ऐसी बात अंतर्विष्ट नहीं है जो धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है।

(2) जहां उच्च न्यायालय में तीन या अधिक न्यायाधीश हैं, वहां ऐसा प्रत्येक आवेदन उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों से बनी विशेष न्यायपीठ द्वारा सुना और अवधारित किया जाएगा और जहां उच्च न्यायालय में तीन से कम न्यायाधीश हैं वहां ऐसी विशेष न्यायपीठ में उस उच्च न्यायालय के सब न्यायाधीश होंगे।

(3) किसी समाचार-पत्र के संबंध में ऐसे किसी आवेदन की सुनवाई में, उस समाचार-पत्र में, जिसकी बाबत समपहरण की घोषणा की गई थी, अंतर्विष्ट शब्दों, चिह्नों या दृश्यरूपणों की प्रकृति या प्रवृत्ति के सबूत में सहायता के लिए उस समाचार-पत्र की कोई प्रति साक्ष्य में दी जा सकती है।

(4) यदि उच्च न्यायालय का इस बारे में समाधान नहीं होता है कि समाचार-पत्र के उस अंक में या उस पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में वह आवेदन किया गया है, कोई ऐसी बात अंतर्विष्ट है जो धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है, तो वह समपहरण की घोषणा को अपास्त कर देगा।

(5) जहाँ उन न्यायाधीशों में, जिनसे विशेष न्यायपीठ बनी है, मतभेद है वहाँ विनिश्चय उन न्यायाधीशों की बहुसंख्या की राय के अनुसार होगा।

सीआरपीसी की धारा 46 क्या है

According to Section. 96 – “ Application to High Court to set Aside Declaration of Forfeiture ”–

(1) Any person having any interest in any newspaper, book or other document, in respect of which a declaration of forfeiture has been made under section 95, may, within two months from the date of publication in the Official Gazette of such declaration, apply to the High Court to set aside such declaration on the ground that the issue of the newspaper, or the book or other document, in respect of which the declaration was made, did not contain any such matter as is referred to in sub- section (1) of section 95.

(2) Every such application shall, where the High Court consists of three or more Judges, be heard and determined by a Special Bench of the High Court composed of three Judges and where the High Court consists of less than three Judges, such Special Bench shall be composed of all the Judges of that High Court.

(3) On the hearing of any such application with reference to any newspaper, any copy of such newspaper may be given in evidence in aid of the proof of the nature or tendency of the words, signs or visible representations contained in such newspaper, in respect of which the declaration of forfeiture was made.

(4) The High Court shall, if it is not satisfied that the issue of the newspaper, or the book or other document, in respect of which the application has been made, contained any such matter as is referred to in sub- section (1) of section 95, set aside the declaration of forfeiture.

(5) Where there is a difference of opinion among the Judges forming the Special Bench, the decision shall be in accordance with the opinion of the majority of those Judges.

सीआरपीसी की धारा 45 क्या है 

आपको आज  दंड प्रक्रिया संहिता  की धारा 96 “समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदनइसके  बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

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