साक्ष्य अधिनियम धारा 115 क्या है | Indian Evidence Section 115 in Hindi


साक्ष्य अधिनियम की धारा 115 क्या है

आज हम आपके लिए इस पेज पर साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 115 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे  कि साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 115 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? साक्ष्य अधिनियम की धारा 115 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |

विबंध

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ साक्ष्य अधिनियम की धारा 115 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

[Indian Evidence Act Sec. 115 in Hindi]

साक्ष्य अधिनियम धारा 68 क्या है



Indian Evidence Act (साक्ष्य अधिनियम) की धारा 115 के अनुसार :-

विबंध

जबकि एक व्यक्ति ने अपनी घोषणा, कार्य या लोप द्वारा अन्य व्यक्ति को विश्वास साशय कराया है या कर लेने दिया है कि कोई बात सत्य है और ऐसे विश्वास पर कार्य कराया या करने दिया है, तब न तो उसे और न उसके प्रतिनिधि को अपने और ऐसे व्यक्ति के, या उसके प्रतिनिधि के, बीच किसी वाद या कार्यवाही में उस वाद की सत्यता का प्रत्याख्यान करने दिया जाएगा।

दृष्टांत

क साशय और मिथ्या रूप से ख को यह विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है कि अमुक भूमि क की है, और एतद्द्वारा ख को उसे क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए उत्प्रेरित करता है।

तत्पश्चात् भूमि क की सम्पत्ति हो जाती है और क इस आधार पर कि विक्रय के समय उसका उसमें हक नहीं था विक्रय अपास्त करने की ईप्सा करता है । उसे अपने हक का अभाव साबित नहीं करने दिया जाएगा।

साक्ष्य अधिनियम धारा 45 क्या है

According to Indian Evidence Act Section 115 – “Estoppel”–

When one person has, by his declaration, act or omission, intentionally caused or permitted another person to believe a thing to be true and to act upon such belief, neither he nor his representative shall be allowed, in any suit or proceeding between himself and such person or his representative, to deny the truth of that thing.

Illustration

A intentionally and falsely leads B to believe that certain land belongs to A, and thereby induces B to buy and pay for it.

The land afterwards becomes the property of A, and A seeks to set aside the sale on the ground that, at the time of the sale, he had no title. He must not be allowed to prove his want of title.

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मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 115 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

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