साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 क्या है
आज हम आपके लिए इस पेज पर साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 32 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 32 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |
वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
[Indian Evidence Act Sec. 32 in Hindi]
साक्ष्य अधिनियम धारा 14 क्या है
Indian Evidence Act (साक्ष्य अधिनियम) की धारा 32 के अनुसार :-
वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि
सुसंगत तथ्यों के लिखित या मौखिक कथन, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किए गए थे, जो मर गया है या मिल नहीं सकता है या जो साक्ष्य देने के लिए असमर्थ हो गया है या जिसकी हाजिरी इतने विलम्ब या व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत हैं
(1) जबकि वह मृत्यु के कारण से सम्बन्धित है—जबकि वह कथन किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के कारण के बारे में या उस संव्यवहार की किसी परिस्थिति के बारे में किया गया है जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु हुई, तब उन मामलों में, जिनमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत हो।
ऐसे कथन सुसंगत हैं चाहे उस व्यक्ति को, जिसने उन्हें किया है, उस समय जब वे किए गए थे मृत्यु की प्रत्याशंका थी या नहीं और चाहे उस कार्यवाही की, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत होता है, प्रकृति कैसी ही क्यों न हो।
(2) अथवा कारबार के अनुक्रम में किया गया है जबकि वह कथन ऐसे व्यक्ति द्वारा कारबार के मामूली अनुक्रम में किया गया था तथा विशेषतः जबकि वह, उसके द्वारा कारबार के मामूली अनुक्रम में या वृत्तिक कर्तव्य के निर्वह्न में रखी जाने वाली पुस्तकों में उसके द्वारा की गई किसी प्रविष्टि या किए गए ज्ञापन के रूप में है, अथवा उसके द्वारा धन, माल, प्रतिभूतियों या किसी भी किस्म की सम्पत्ति की प्राप्ति की लिखित या हस्ताक्षरित अभिस्वीकृत है, अथवा वाणिज्य में उपयोग में आने वाली उसके द्वारा लिखित या हस्ताक्षरित किसी दस्तावेज के रूप में है अथवा किसी पत्र या अन्य दस्तावेज की तारीख के रूप में है, जो कि उसके द्वारा प्रायः दिनांकित, लिखित या हस्ताक्षरित की जाती थी।
(3) अथवा करने वाले के हित के विरुद्ध है जबकि वह कथन उसे करने वाले व्यक्ति के धन सम्बन्धी या साम्पत्तिक हित के विरुद्ध है या जबकि, यदि वह सत्य हो, तो उसके कारण उस पर दाण्डिक अभियोजन या नुकसानी का वाद लाया जा सकता है या लाया जा सकता था।
(4) अथवा लोक अधिकार या रूढ़ि के बारे में या साधारण हित के विषयों के बारे में कोई राय देता है जबकि उस कथन में उपर्युक्त व्यक्ति की राय किसी ऐसे लोक अधिकार या रूढ़ि अथवा लोक या साधारण हित के विषय के अस्तित्व के बारे में है, जिसके अस्तित्व से, यदि वह अस्तित्व में होता तो उससे उस व्यक्ति का अवगत होना सम्भाव्य होता और जब कि ऐसा कथन ऐसे किसी अधिकार, रूढ़ि या बात के बारे में किसी संबिवाद के उत्पन्न होने से पहले किया गया था।
(5) अथवा नातेदारी के अस्तित्व से सम्बन्धित है—जब कि वह कथन किन्हीं ऐसे व्यक्तियों के बीच रक्त, विवाह या दत्तकग्रहण पर आधारित] किसी नातेदारी के अस्तित्व के सम्बन्ध में है, जिन व्यक्तियों की रक्त, विवाह या दत्तकग्रण पर आधारित] नातेदारी के बारे में उस व्यक्ति के पास, जिसने वह कथन किया है, ज्ञान के विशेष साधन थे और जब कि वह कथन विवादग्रस्त प्रश्न के उठाए जाने से पूर्व किया गया था।
(6) अथवा कौटुम्बिक बातों से सम्बन्धित विल या विलेख में किया गया है जब कि वह कथन मृत व्यक्तियों के बीच रक्त, विवाह या दत्तकग्रहण पर आधारित] किसी नातेदारी के अस्तित्व के सम्बन्ध में है और उस कुटुम्ब की बातों से, जिसका ऐसा मृत व्यक्ति अंग था, सम्बन्धित किसी बिल या विलेख में या किसी कुटुम्ब-वंशावली में या किसी समाधिप्रस्तर, कुटुम्ब-चित्र या अन्य चीज पर जिस पर ऐसे कथन प्रायः किए जाते हैं, किया गया है, और जब कि ऐसा कथन विवादग्रस्त प्रश्न के उठाए जाने से पूर्व किया गया था।
(7) अथवा धारा 13, खंड (क) में वर्णित संव्यवहार से सम्बन्धित दस्तावेज में किया गया है जब कि वह कथन किसी ऐसे विलेख, बिल या अन्य दस्तावेज में अन्तर्विष्ट है, जो किसी ऐसे संत्र्यवहार से सम्बन्धित है जैसा धारा 13, खण्ड (क) में वर्णित है।
(8) अथवा कई व्यक्तियों द्वारा किया गया है और प्रश्नगत बात से सुसंगत भावनाएं अभिव्यक्त करता है-जब कि वह कथन कई व्यक्तियों द्वारा किया गया था और प्रश्नगत बात से सुसंगत उनकी भावनाओं या धारणाओं को अभिव्यक्त करता है।
दृष्टांत
(क) प्रश्न यह है कि क्या क की हत्या ख द्वारा की गई थी, अथवा क की मृत्यु किसी संव्यवहार में हुई क्षतियों से हुई है, जिसके अनुक्रम में उससे बलात्संत किया गया था। प्रश्न यह है कि क्या उससे ख द्वारा बलात्संग किया गया था, अथवा
प्रश्न यह है कि क्या क, ख द्वारा ऐसी परिस्थितियों में मारा गया था कि क की विधवा द्वारा ख पर वाद लाया जा सकता है।
अपनी मृत्यु के कारण के बारे में क द्वारा किए गए वे कथन, जो उसने क्रमशः विचाराधीन हत्या, बलात्संग और अनुयोज्य दोष को निर्देशित करते हुए किए है. सुसंगत तथ्य हैं।
(ख) प्रश्न क के जन्म की तारीख के बारे में है।
एक मृत शल्य-चिकित्सक की अपने कारबार के मामूली अनुक्रम में नियमित रूप से रखी जाने वाली डायरी में इस कथन की प्रविष्टि कि अमुक दिन उसने क की माता की परिचर्या की और उसे पुत्र का प्रसव कराया सुसंगत तथ्य है।
(ग) प्रश्न यह है कि क्या क अमुक दिन कलकत्ते में था।
कारबार के मामूली अनुक्रम में नियमित रूप से रखी गई एक मृत सालिसिटर की डायरी में यह कथन कि अमुक दिन वह सालिसिटर कलकत्ते में एक वर्णित स्थान पर विनिर्दिष्ट कारबार के बारे में विचार-विमर्श करने के प्रयोजनार्थ क के पास रहा सुसंगत तथ्य है।
(घ) प्रश्न यह है कि क्या कोई पोत मुम्बई बन्दरगाह से अमुक दिन रवाना हुआ।
किसी वाणिज्यिक फर्म के, जिसके द्वारा वह पोत भाड़े पर लिया गया था, मृत भागीदार द्वारा लन्दन स्थित अपने सम्पर्कियों को, जिन्हें वह स्थोरा परेषित किया गया था, यह कथन करने वाला पत्र कि पोत मुम्बई बन्दरगाह से अमुक दिन चल दिया सुसंगत तथ्य है।
(ङ) प्रश्न यह कि क्या क को अमुक भूमि का भाटक दिया गया था।
क के मृत अभिकर्ता का क के नाम पत्र जिसमें यह कथन है कि उसने क के निमित्त भाटक प्राप्त किया है और वह उसे क के आदेशाधीन रखे हुए है, सुसंगत तथ्य है।
(च) प्रश्न यह है कि क्या क और ख का विवाह वैध रूप से हुआ था।
एक मृत पादरी का यह कथन कि उसने उनका विवाह ऐसी परिस्थितियों में कराया था, जिनमें उसका कराना अपराध होता, सुसंगत है।
प्रश्न यह है कि क्या एक व्यक्ति क ने, जो मिल नहीं सकता अमुक दिन एक पत्र लिखा था । यह तथ्य कि उसके द्वारा लिखित एक पत्र पर उस दिन की तारीख दिनांकित है, सुसंगत है।
(ज) (छ) प्रश्न यह है कि किसी पोत के ध्वंस का कारण क्या है।
कप्तान द्वारा, जिसकी हाजिरी उपाप्त नहीं की जा सकती, दिया गया प्रसाक्ष्य सुसंगत तथ्य है।
(झ) प्रश्न यह है कि क्या अमुक सड़क लोक मार्ग है।
ग्राम के मृत ग्रामीण क के द्वारा किया गया कथन कि वह सड़क लोक मार्ग है, सुसंगत तथ्य है।
(ञ) प्रश्न यह है कि विशिष्ट बाजार में अमुक दिन अनाज की क्या कीमत थी।
एक मृत बनिए द्वारा अपने कारबार के मामूली अनुक्रम में किया गया कीमत का कथन सुसंगत तथ्य है।
(ट) प्रश्न यह है कि क्या क, जो मर चुका है ख का पिता था।
क द्वारा किया गया यह कथन कि ख उसका पुत्र है सुसंगत तथ्य है।
(ठ) प्रश्न यह कि क के जन्म की तारीख क्या है।
क के मृत पिता द्वारा किसी मित्र को लिखा हुआ पत्र, जिसमें यह बताया गया है कि क का जन्म अमुक दिन हुआ, सुसंगत तथ्य है।
(ड) प्रश्न यह है कि क्या और कब क और ख का विवाह हुआ था।
ख के मृत पिता ग द्वारा किसी याददाश्त पुस्तक में अपनी पुत्री का क के साथ अमुक तारीख को विवाह होने की प्रविष्ट सुसंगत तथ्य है।
(ढ) दुकान की खिड़की में अभिदर्शित रंगित उपहासांकन में अभिव्यक्त अपमानलेख के लिए ख पर क वाद लाता है। प्रश्न उपहासांकन की समरूपता तथा उसके अपमानलेखीय प्रकृति के बारे में है । इन बातों पर दर्शकों की भीड़ की टिप्पणियां साबित की जा सकेंगी।
साक्ष्य अधिनियम धारा 13 क्या है
According to Indian Evidence Act Section 32 – “Cases in which statement of relevant fact by person who is dead or cannot be found, etc., is relevant”–
Statements, written or verbal, of relevant facts made by a person who is dead, or who cannot be found, or who has become incapable of giving evidence, or whose attendance cannot be procured without an amount of delay or expense which under the circumstances of the case appears to the Court unreasonable, are themselves relevant facts in the following cases: ––
(1) When it relates to cause of death. –– When the statement is made by a person as to the cause of his death, or as to any of the circumstances of the transaction which resulted in his death, in cases in which the cause of that person’s death comes into question.
Such statements are relevant whether the person who made them was or was not, at the time when they were made, under expectation of death, and whatever may be the nature of the proceeding in which the cause of his death comes into question.
(2) or is made in course of business. –– When the statement was made by such person in the ordinary course of business, and in particular when it consists of any entry or memorandum made by him in books kept in the ordinary course of business, or in the discharge of professional duty; or of an acknowledgement written or signed by him of the receipt of money, goods, securities or property of any kind; or of a document used in commerce written or signed by him; or of the date of a letter or other document usually dated, written or signed by him.
(3) or against interest of maker.–– When the statement is against the pecuniary or proprietary interest of the person making it, or when, if true, it would expose him or would have exposed him to a criminal prosecution or to a suit for damages.
(4) or gives opinion as to public right or custom, or matters of general interest. –– When the statement gives the opinion of any such person, as to the existence of any public right or custom or matter of public or general interest, of the existence of which, if it existed, he would have been likely to be aware, and when such statement was made before any controversy as to such right, custom or matter had arisen.
(5) or relates to existence of relationship.–– When the statement relates to the existence of any relationship 1[by blood, marriage or adoption] between persons as to whose relationship 1[by blood, marriage or adoption] the person making the statement had special means of knowledge, and when the statement was made before the question in dispute was raised.
(6) or is made in will or deed relating to family affairs.–– When the statement relates to the existence of any relationship 1[by blood, marriage or adoption] between persons deceased, and is made in any will or deed relating to the affairs of the family to which any such deceased person belonged, or in any family pedigree, or upon any tombstone, family portrait or other thing on which such statements are usually made, and when such statement was made before the question in dispute was raised.
(7) or in document relating to transaction mentioned in section 13, clause (a). –– When the statement is contained in any deed, will or other document which relates to any such transaction as is mentioned in section 13, clause (a).
(8) or is made by several persons and expresses feelings relevant to matter in question. –– When the statement was made by a number of persons, and expressed feelings or impressions on their part relevant to the matter in question.
Illustrations
(a) The question is, whether A was murdered by B; or
A dies of injuries received in a transaction in the course of which she was ravished. The question is whether she was ravished by B; or
The question is, whether A was killed by B under such circumstances that a suit would lie against B by A’s widow.
Statements made by A as to the cause of his or her death, referring respectively to the murder, the rape and the actionable wrong under consideration, are relevant facts.
(b) The question is as to the date of A’s birth.
An entry in the diary of a deceased surgeon regularly kept in the course of business, stating that, on a given day he attended A’s mother and delivered her of a son, is a relevant fact.
(c) The question is, whether A was in Calcutta on a given day.
A statement in the diary of a deceased solicitor, regularly kept in the course of business, that on a given day the solicitor attended A at a place mentioned, in Calcutta, for the purpose of conferring with him upon specified business, is a relevant fact.
(d) The question is, whether a ship sailed from Bombay harbour on a given day.
A letter written by a deceased member of a merchant’s firm by which she was chartered to their correspondents in London, to whom the cargo was consigned, stating that the ship sailed on a given day from Bombay harbour, is a relevant fact.
(e) The question is, whether rent was paid to A for certain land.
A letter from A’s deceased agent to A, saying that he had received the rent on A’s account and held it at A’s orders is a relevant fact.
(f) The question is, whether A and B were legally married.
The statement of a deceased clergyman that he married them under such circumstances that the celebration would be a crime, is relevant.
(g) The question is, whether A, a person who cannot be found, wrote a letter on a certain day. The fact that a letter written by him is dated on that day is relevant.
(h) The question is, what was the cause of the wreck of a ship.
A protest made by the Captain, whose attendance cannot be procured, is a relevant fact.
(i) The question is, whether a given road is a public way.
A statement by A, a deceased headman of the village, that the road was public, is a relevant fact.
(j) The question is, what was the price of grain on a certain day in a particular market.
A statement of the price, made by a deceased banya in the ordinary course of his business, is a relevant fact.
(k) The question is, whether A, who is dead, was the father of B.
A statement by A that B was his son, is a relevant fact.
(l) The question is, what was the date of the birth of A.
A letter from A’s deceased father to a friend, announcing the birth of A on a given day, is a relevant fact.
(m) The question is, whether, and when, A and B were married.
An entry in a memorandum book by C, the deceased father of B, of his daughter’s marriage with A on a given date, is a relevant fact.
(n) A sues B for a libel expressed in a painted caricature exposed in a shop window. The question is as to the similarity of the caricature and its libellous character. The remarks of a crowd of spectators on these points may be proved.
साक्ष्य अधिनियम धारा 12 क्या है
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 32 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
साक्ष्य अधिनियम धारा 11 क्या है