घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 क्या है
आज हम आपके लिए इस पेज पर घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) की धारा 31 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) की धारा 31 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |
प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 31 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
[Domestic violence act Sec. 31 in Hindi]
घरेलू हिंसा अधिनियम धारा 25 क्या है
Domestic Violence (घरेलू हिंसा अधिनियम) की धारा 31 के अनुसार :-
प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति
(1) प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश या किसी अन्तरिम संरक्षण आदेश का भंग, इस अधिनियम के अधीन एक अपराध होगा और ऐसी अवधि के कारावास से जो एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो बीस हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनो से दण्डनीय होगा।
(2) उपधारा (1) के अधीन अपराध का विचारण यथासाध्य उस मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा जिसने अभियुक्त द्वारा कारित किए गए अभिकथित भंग के लिए आदेश पारित किया था।
(3) उपधारा (1) के अधीन आरोपों को विरचित करते समय, मजिस्ट्रेट, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 498क या उस संहिता के किसी अन्य उपबन्ध या दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (1961 का 28) के अधीन आरोपों को भी विरचित कर सकेगा, यदि तथ्यों से यह प्रकट होता है कि उन उपबन्धों के अधीन कोई अपराध हुआ है।
According to Section 31 – “Penalty for breach of protection order by respondent”–
(1) A breach of protection order, or of an interim protection order, by the respondent shall be an offence under this Act and shall be punishable with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine which may extend to twenty thousand rupees, or with both.
(2) The offence under sub-section (1) shall as far as practicable be tried by the Magistrate who had passed the order, the breach of which has been alleged to have been caused by the accused.
(3) While framing charges under sub-section (1), the Magistrate may also frame charges under section 498A of the Indian Penal Code (45 of 1860) or any other provision of that Code or the Dowry Prohibition Act, 1961 (28 of 1961), as the case may be, if the facts disclose the commission of an offence under those provisions.
घरेलू हिंसा अधिनियम धारा 29 क्या है
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) की धारा 31 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
घरेलू हिंसा अधिनियम धारा 30 क्या है