साक्ष्य अधिनियम धारा 121 क्या है | Indian Evidence Section 121 in Hindi


साक्ष्य अधिनियम की धारा 121 क्या है

आज हम आपके लिए इस पेज पर साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 121 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे  कि साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 121 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? साक्ष्य अधिनियम की धारा 121 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |

न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ साक्ष्य अधिनियम की धारा 121 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

[Indian Evidence Act Sec. 121 in Hindi]

साक्ष्य अधिनियम धारा 75 क्या है



Indian Evidence Act (साक्ष्य अधिनियम) की धारा 121 के अनुसार :-

न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट

कोई भी न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट न्यायालय में ऐसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट के नाते अपने स्वयं के आचरण के बारे में, या ऐसी किसी बात के बारे में, जिसका ज्ञान उसे ऐसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट के नाते न्यायालय में हुआ, किन्हीं प्रश्नों का उत्तर देने के लिए ऐसे किसी भी न्यायालय के विशेष आदेश के सिवाय, जिसके वह अधीनस्थ है, विवश नहीं किया जाएगा किन्तु अन्य बातों के बारे में जो उसकी उपस्थिति में उस समय घटित हुई थीं, जब वह ऐसे कार्य कर रहा था उसकी परीक्षा की जा सकेगी।

दृष्टांत

(क) सेशंस न्यायालय के समक्ष अपने विचार में क कहता है कि अभिसाक्ष्य मजिस्ट्रेट ख द्वारा अनुचित रूप से लिया गया था। तद्विषयक प्रश्नों का उत्तर देने के लिए क को किसी वरिष्ठ न्यायालय के विशेष आदेश के सिवाय विवश नहीं किया जा सकता।

(ख) मजिस्ट्रेट ख के समक्ष मिथ्या साक्ष्य देने का क सेशंस न्यायालय के समक्ष अभियुक्त है। बरिष्ठ न्यायालय के विशेष आदेश के सिवाय ख से यह नहीं पूछा जा सकता कि क ने क्या कहा था।

(ग) क सेशंस न्यायालय के समक्ष इसलिए अभियुक्त है कि उसने सेशंस न्यायाधीश ख के समक्ष विचारित होते समय किसी पुलिस आफिसर की हत्या करने का प्रयत्न किया । ख की यह परीक्षा की जा सकेगी कि क्या घटित हुआ था।

साक्ष्य अधिनियम धारा 74 क्या है

According to Indian Evidence Act Section 121 – “Judges and Magistrates”–

No Judge or Magistrate shall, except upon the special order of some Court to which he is subordinate, be compelled to answer any questions as to his own conduct in Court as such Judge or Magistrate, or as to anything which came to his knowledge in Court as such Judge or Magistrate; but he may be examined as to other matters which occurred in his presence whilst he was so acting.

Illustrations

(a) A, on his trial before the Court of Session, says that a deposition was improperly taken by B, the Magistrate. B cannot be compelled to answer questions as to this, except upon the special order of a superior Court.

(b) A is accused before the Court of Session of having given false evidence before B, a Magistrate. B cannot be asked what A said, except upon the special order of the superior Court.

(c) A is accused before the Court of Session of attempting to murder a police-officer whilst on his trial before B, a Sessions Judge. B may be examined as to what occurred.

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मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 121 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

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