आईपीसी धारा 352 क्या है | IPC Section 352 in Hindi – विवरण, दण्ड का प्रावधान


आईपीसी धारा 352 क्या है

यहाँ इस पेज पर भारतीय दंड संहिता में गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड-इसको भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 352 में परिभाषित (डिफाइन) किया गया है |  यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 352 किस तरह अप्लाई होगी | भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 352 क्या है, इसके बारे में भी आप यहाँ जानेंगे | इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे |

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 352 में सजा के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है? इनके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 352 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ? सभी बातों को आज हम विस्तृत रूप से यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

आईपीसी धारा 356 क्या है



IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 352 के अनुसार :-

गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड-

“जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा गम्भीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर करने से अन्यथा करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा”।

स्पष्टीकरण-

इस धारा के अधीन किसी अपराध के दण्ड में कमी गम्भीर और अचानक प्रकोपन के कारण न होगी, यदि वह प्रकोपन अपराध करने के लिए प्रतिहेतु के रूप में अपराधी द्वारा इप्सित या स्वेच्छया प्रकोपित किया गया हो, अथवा

यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो विधि के पालन में, या किसी लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्ति के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो, अथवा

यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो

प्रकोपन अपराध को कम करने के लिए पर्याप्त गम्भीर और अचानक था या नहीं, यह तथ्य का प्रश्न है।

S. 352 – “Punishment for assault or criminal force otherwise than on grave provocation”.—

Whoever assaults or uses criminal force to any person otherwise than on grave and sudden provocation given by that person, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to five hundred rupees, or with both.

Explanation.

Grave and sudden provocation will not mitigate the punishment for an offence under this section. If the provocation is sought or voluntarily provoked by the offender as an excuse for the offence, or

-if the provocation is given by anything done in obedience to the law, or by a public servant, in the lawful exercise of the powers of such public servant, or

-if the provocation is given by anything done in the lawful exer­cise of the right of private defence.

-Whether the provocation was grave and sudden enough to mitigate the offence, is a question of fact.

आईपीसी धारा 341 क्या है 

लागू अपराध

गंभीर उत्तेजना के बिना हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना।

सजा3 माह का कारावास या 500 रुपये तक आर्थिक दंड या फिर दोनों।

यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग हुआ है) द्वारा समझौता करने योग्य है।

आईपीसी धारा 353 क्या है 

आईपीसी की धारा 352 में सजा (Punishment) क्या होगी

“गंभीर उत्तेजना के बिना ही हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना “यह भारतीय दंड संहिता में धारा 352 के तहत अपराध माना जाता है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 352 में किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | इसके लिए उस व्यक्ति को जिसके द्वारा ऐसा किया गया है उसको कारावास की सजा जो कि 3 माह तक का हो सकता है और आर्थिक दंड से फिर दोनों से, दण्डित किया जायेगा | यह एक गैर – संज्ञेय, जमानती अपराध  है और यह मामला किसी भी  मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता ) है। यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग हुआ है) द्वारा समझौता करने योग्य है।

आईपीसी धारा 363 क्या है

आईपीसी (IPC) की धारा 352 में  जमानत  (BAIL) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 352 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती और गैर – संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध और होने पर इसमें जमानत मिलने में मुश्किल नहीं आती है क्योंकी CrPC में यह जमानतीय अपराध बताया गया है ।

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 352 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

आईपीसी धारा 338 क्या है 

अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
गंभीर उत्तेजना के बिना ही हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना।3 माह तक की जेल हो सकेगी, या जुर्माने से, जो 500 रुपए तक का हो सकेगा, या फिर दोनों से, दण्डित किया जा सकता है ।गैर – संज्ञेयजमानतीयकिसी भी  मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता)

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