आईपीसी धारा 420 क्या है | IPC 420 in Hindi | धारा 420 में सजा और जमानत


आईपीसी धारा 420 क्या है

आज हम आपको यहाँ इस लेख में एक महत्वपूर्ण धारा के बारे में बता रहे हैं जिससे अक्सर आये दिन आपके जीवन में आमना सामना होता रहता है यहाँ हम बात करने जा रहे हैं IPC (आईपीसी) की धारा 420 क्या है, IPC की इस धारा 420 के लिए अंतर्गत क्या अपराध होता है साथ ही इसमें क्या सजा होती है, इसी पर पूरी तरह से चर्चा करेंगे और देखेंगे इसके क्या प्रावधान भारतीय दंड संहिता में दिए गए हैं |

यह धारा मुख्य रूप से किसी व्यक्ति को छल-कपट पूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित कर आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, संपत्ति या ख्याति संबंधी क्षति पहुंचाने के विषय को सम्मिलित किया गया है | यहाँ  IPC की धारा 420 क्या है, इसमें सजा और जमानत के प्रावधान  के विषय में आपको बताया जा रहा है |

आईपीसी धारा 427 क्या है



 IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 420 के अनुसार :-

जो कोई छल करेगा और उसके द्वारा व्यक्ति को जिसे प्रवंचित किया गया है, बेमानी से उत्प्रेरित करेगा कि वह कोई संपत्ति किसी व्यक्ति को परिदत्त कर दे, या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को, या किसी चीज़ को, जो हस्ताक्षरीत व मुद्रांकित है, और जो मूलयवान प्रतिभूति में समपरवर्तित कीसये जाने योग्य हो, पूर्णतः या अंशतः रच दे, परिवर्तित कर दे, या नष्ट कर दे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि साथ वर्ष तक हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और साथ ही जुर्माने से भी दंडनीय होगा |

आईपीसी धारा 468 क्या है

सरल शब्दों में कहे तो किसी के साथ छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तु/ संपत्ति में परिवर्तन करने या बनाने या नष्ट करने के लिए प्रेरित करना इस अपराध में शामिल है इसके लिए सजा – 7 वर्ष तक का कारावास साथ ही जुर्माना भी देय होगा | यहाँ आपको बता दे कि यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और इसका विचरण किसी भी न्यायधीश द्वारा किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 का अर्थ

जब भी कोई व्यक्ति अपने स्वयं के लाभ के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को प्राप्त करने के उपक्रम में  उसके साथ छल-कपट धोखा धड़ी करके किसी भी प्रकार उसकी संपत्ति को प्राप्त कर लेता है, साथ ही उसके लिए वह नकली हस्ताक्षर करे या उस पर किसी प्रकार का आर्थिक या मानसिक दबाव बनाये इस तरह के हत्कंडे अपनाकर संपत्ति या ख्याति को प्राप्त करता है, तब उस परिस्थति में लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420 में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है |

आईपीसी धारा 406 क्या है

IPC 420 में धोखा धड़ी का क्या अर्थ है?

अगर हम IPC की धारा 420 को समझना चाहते हैं तो इसके लिए हमें सबसे पहले ये जानना होगा की आखिर ये शब्द धोखा धड़ी क्या है। “धोखा धड़ी” शब्द को INDIAN PANEL CODE  की धारा 415, के तहत परिभाषित किया गया है। यहाँ बताया गया है कि यदि कोई अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 420, के तहत हुआ है, तो यह निश्चित है की उसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 415, के तहत धोखा धड़ी के अपराध का तत्व जरूर ही मौजूद होगा।

IPC की धारा 415, में परिभाषित किया गया है, कि जब भी कोई व्यक्ति, किसी भी अन्य व्यक्ति को धोखा देकर, धोखे से या बेईमानी से कोई भी संपत्ति या वस्तु देता है, या इस बात की सहमति देता है, कि वह व्यक्ति उस संपत्ति को खरीद सकता है, या धोखा देने के इरादे से जानबूझ कर किसी अन्य व्यक्ति को कोई काम करने के लिए कहता है। किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करना या किसी व्यक्ति के साथ उसे धोखा देने के इरादे से किया गया कोई काम जिससे उस उस व्यक्ति के शरीर, मन, प्रतिष्ठा या संपत्ति को नुकसान पहुँचता है, या किसी प्रकार के नुकसान होने का कारण बनता है, या भविष्य में किसी प्रकार के नुक्सान होने की संभावना होती है, “धोखा धड़ी” के नाम से जाना जाता है।

आईपीसी धारा 467 क्या है 

IPC की धारा 420 के आवश्यक तत्व(Element) क्या क्या होते हैं?

  1. धोखा (Cheating)
  2. किसी भी मूल्यवान संपत्ति या किसी भी महत्वपूर्ण चीज़ को सील करने या उसके आकार, प्रकार में बदलाव करने के लिए या उस संपत्ति को नष्ट करने के लिए बेईमानी की भावना से किसी अन्य व्यक्ति को प्रेरित करना।
  3. कोई धोखा धड़ी (Cheating) या बेईमानी करने के लिए किसी व्यक्ति की आपराधिक मनः स्थिति |

आपको बता दें कि किसी भी बात का झूठा प्रतिनिधित्व करना भी IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा 420, के तहत धोखाधड़ी का अपराध करने के लिए आवश्यक अवयवों में से एक माना जाता है। न्यायालय में धोखाधड़ी के अपराध को सिद्ध करने के लिए, केवल यह साबित करना ही आवश्यक नहीं होता है, कि एक व्यक्ति द्वारा किसी बात का गलत प्रतिनिधित्व किया गया था, अपितु यह साबित करना भी अत्यंत आवश्यक है, कि यह गलत प्रतिनिधित्व अभियुक्त जानकारी में कि

आईपीसी धारा 499 क्या है

आईपीसी की धारा 420 में सजा (Punishment) क्या होगी

IPC इस की धारा 420 में सजा का प्रावधान 7 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना है | इसके अंतर्गत आप जान ले कि यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है, न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति द्वारा समझौता किया जा सकता है |

आईपीसी (IPC) की धारा 420 में  जमानत  (BAIL) का प्रावधान

  • अब देखते हैं यहाँ IPC की धारा 420 में जमानत के बारे में क्या प्रक्रिया है आपने देखा कि यहाँ इस अपराध के लिए अधिकतम 7 वर्ष तक का कारावास निर्धारित किया गया है, जो कि न्यायाधीश के द्वारा तय किया जायेगा। साथ ही यहाँ कारावास के दंड के साथ आर्थिक दंड देने की भी बात आती है, जो कि यह भी  न्यायाधीश जुर्म की संगीनता के आधार पर तय करते हैं। यहाँ आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि यह  एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है |
  • जब भी किसी व्यक्ति को IPC की धारा 420, के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाता है, तो वह सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। न्यायाधीश द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के बाद ही अभियुक्त को जमानत प्रदान कर दी जाती है। आप ये जान ले कि अभी तक जमानत के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है। यह आरोपों की गंभीरता पर निर्भर करती है।

आपने यहाँ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की तथा इसमें सजा और जमानत के प्रावधान क्या होते हैं जाना, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित कुछ भी शंका आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |

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37 thoughts on “आईपीसी धारा 420 क्या है | IPC 420 in Hindi | धारा 420 में सजा और जमानत”

  1. Sir I have complained against a institute named bhartia prodhokit prashiksan sansthan hissar this institute have opened franchise center more than 500 in five states of India and having affiliation with vocational course by msme and provide certificate diploma marksheet in the name of government service but these diploma is valid only for self employment I have loadged complain in ministry of home affairs by link cyber crime portal and this complain is now ps nohar district Hanumangarh Rajasthan but they say that matter is not in our jurisdiction so zero fir can be loadged please guide myself rajkumar chief functionary anupama educational and welfare trust srikaranpur district sriganganagar rajsthan WhatsApp number 9001182996

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        • IPC की धारा 420, के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाता है, तो वह सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। न्यायाधीश द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के बाद ही अभियुक्त को जमानत प्रदान कर दी जाती है। आप ये जान ले कि अभी तक जमानत के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है। यह आरोपों की गंभीरता पर निर्भर करती है।

          जमानत मजिस्ट्रेट के विवेक पर निर्भर करती है | अगर मजिस्ट्रेट को लगता है ऐसा कि जमानत देने में कोई समाज को नुकसान नहीं पहुंचाएगा आरोपित व्यक्ति और पहले का उसका कोई क्राइम रिकॉर्ड नहीं है ऐसे में कई बिंदुओं पर विचार करने पर ही गैर – जमानतीय अपराध में जमानत दी जाती है |

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  2. नमस्कार महोदय,
    महोदय हमारी एक पौधे की नर्सरी है जोकि मेरा व्यापार है
    हमारी दुकान से एक बन्दे ने बेचने के नाम पर कुछ पौधे (लगभग 20000/-के) ले गए….. पहले तो सही से पैसा भेज देते थे लेकिन अब जब हमने उधार पौधे देने से मना किया तो कहते है कि हम बाकी पैसा जब कमाएंगे तब देंगे…. आज पिछले दो साल से यही कह रहा है।
    ज्यादा दबाव देने पर कहता है नहीं देंगे जो करना है कर लो…. आप कुछ हमको राय दिजिए जिससे कि हमारा पैसा निकल सके……

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  3. मेरे विद्यालय पार्टनर ने मुजसे 3.50लाख की राशि लेकर स्कूल के लेटर पैड पर लिख कर उस पर सचिव और अध्यक्ष मय सील लगाकर बेचान नामा बनाकर सोप दिया पर अब वापिस उस बात से मुखर गया है । अब मुजे क्या करना चाहिए ।

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    • यहाँ आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है |
      जब भी किसी व्यक्ति को IPC की धारा 420, के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाता है, तो वह सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। न्यायाधीश द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के बाद ही अभियुक्त को जमानत प्रदान कर दी जाती है। आप ये जान ले कि अभी तक जमानत के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है। यह आरोपों की गंभीरता पर निर्भर करती है।

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