आईपीसी धारा 392 क्या है
भारतीय दंड संहिता में “लूट के लिए दण्ड” (IPC) की धारा 392 में परिभाषित (डिफाइन) किया गया है | यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 392 किस तरह अप्लाई होगी | भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 392 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे |
इस पोर्टल के माध्यम से भारतीय दंड सहिता की धारा 392 में “लूट के लिए” सजा के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 392 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ? सभी बातों को आज हम विस्तृत रूप से यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से अवलोकन कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 392 के अनुसार :-
लूट के लिए दण्ड–
“जो कोई लूट करेगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, और यदि लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की जाए, तो कारावास चौदह वर्ष तक का हो सकेगा” ।
S. 392 – “Punishment for robbery ”–
Whoever commits robbery shall be punished with rigorous imprisonment for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine; and, if the robbery be committed on the highway between sunset and sunrise, the imprisonment may be extended to fourteen years.
लागू अपराध
1. लूट
सजा – 10 वर्ष कठिन कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक ग़ैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
2. यदि लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की गयी हो
सजा – 14 वर्ष कठिन कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक ग़ैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 392 में सजा (Punishment) क्या होगी
“जो कोई लूट करेगा , लूट के लिए दण्ड “ यह भारतीय दंड संहिता में धारा 392 के तहत अपराध माना जाता है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 392 में लूट किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | इसके लिए उस व्यक्ति को जिसके द्वारा लूट को अंजाम दिया गया है उसको –
1. लूट
सजा – 10 वर्ष कठिन कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक ग़ैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
2. यदि लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की गयी हो
सजा – 14 वर्ष कठिन कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक ग़ैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
आईपीसी (IPC) की धारा 392 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 392 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक गैर -जमानती और संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि गैर – जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिलने में मुश्किल आती है क्योंकी CrPC में यह गैर – जमानतीय अपराध बताया गया है ।
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 392 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
डकैती | 10 साल के लिए कठोर कारावास + जुर्माना | संज्ञेय | गैर – जमानतीय | प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) |
यदि सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच राजमार्ग पर प्रतिबद्ध है | 14 साल के लिए कठोर कारावास + जुर्माना | संज्ञेय | गैर – जमानतीय | प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) |
Sir 395 me bail kitne dino me milti hai
IPC 392 सेशन couminit गुन्हा है काय जाणकारी दिजिय अगर है तो ये तपास कुन करता है