सीआरपीसी की धारा 132 क्या है | Section 132 CRPC in Hindi


सीआरपीसी की धारा 132 क्या है

दंड प्रक्रिया सहिता में पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षणइसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 132 में  किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 132 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 132 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |

(CrPC Section 132) Dand Prakriya Sanhita Dhara 132 (पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण)

इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 132 में “पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षणइसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 132 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

सीआरपीसी की धारा 133 क्या है



CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 132 के अनुसार :-

पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण–

(1) किसी कार्य के लिए, जोधारा 129, धारा 130 या धारा 131 के अधीन किया गया तात्पर्यित है, किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अभियोजन किसी दंड न्यायालय में

(क) जहां ऐसा व्यक्ति सशस्त्र बल का कोई अधिकारी या सदस्य है, वहां केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा;

(ख) किसी अन्य मामले में राज्य सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा।

(2) (क) उक्त धाराओं में से किसी के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के बारे में:

(ख) धारा 129 या धारा 130 के अधीन अपेक्षा के अनुपालन में सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में ;

(ग) धारा 131 के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले सशस्त्र बल के किसी अधिकारी के बारे में ;

(घ) सशस्त्र बल का कोई सदस्य जिस आदेश का पालन करने के लिए आबद्ध हो उसके पालन में किए गए किसी कार्य के लिए उस सदस्य के बारे में, यह न समझा जाएगा कि उसने उसके द्वारा कोई अपराध किया है।

(3) इस धारा में और इस अध्याय की पूर्ववर्ती धाराओं में

(क) “सशस्त्र बल” पद से भूमि बल के रूप में क्रियाशील सेना, नौसेना और वायुसेना अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत इस प्रकार क्रियाशील संघ के अन्य सशस्त्र बल भी हैं :

(ख) सशस्त्र बल के संबंध में “अधिकारी से सशस्त्र बल के आफिसर के रूप में आयुक्त, राजपत्रित या वेतनभोगी व्यक्ति अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत कनिष्ठ आयुक्त आफिसर, वारंट आफिसर, पेटी आफिसर, अनायुक्त आफिसर तथा अराजपत्रित आफिसर भी हैं:

(ग) सशस्त्र बल के संबंध में “सदस्य” से सशस्त्र बल के अधिकारी से भिन्न उसका कोई सदस्य अभिप्रेत है।

सीआरपीसी की धारा 125 क्या है 

According to Section. 132 – “ Protection Against Prosecution for Acts Done Under Preceding Sections ”–

(1) No prosecution against any person for any act purporting to be done under section 129, section 130 or section 131 shall be instituted in any Criminal Court except-

(a) with the sanction of the Central Government where such person is an officer or member of the armed forces;

(b) with the sanction of the State Government in any other case.

(2) (a) No Executive Magistrate or police officer acting under any of the said sections in good faith;

(b) no person doing any act in good faith in compliance with a requisition under section 129 or section 130;

(c) no officer of the armed forces acting under section 131 in good faith;

(d) no member of the armed forces doing any act in obedience to any order which he was bound to obey; shall be deemed to have thereby committed an offence.

(3) In this section and in the preceding sections of this Chapter,-

(a) the expression” armed forces” means the military, naval and air forces, operating as land forces and includes any other Armed Forces of the Union so operating;

(b) ” officer”, in relation to the armed forces, means a person commissioned, gazetted or in pay as an officer of the armed forces and includes a junior commissioned officer, a warrant

officer, a petty officer, a non- commissioned officer and a non- gazetted officer;

(c) ” member”, in relation to the armed forces, means a person in the armed forces other than an officer. B.- Public nuisances

सीआरपीसी की धारा 107 क्या है

आपको आज  दंड प्रक्रिया संहिता  की धारा 132 “पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षणइसके  बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

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