सीआरपीसी की धारा 154 क्या है
दंड प्रक्रिया सहिता में “संज्ञेय मामलों में इत्तिला करने“ का प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 154 में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 154 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 154 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |
(CrPC Section 154) Dand Prakriya Sanhita Dhara 154
इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 154 में “संज्ञेय मामलों में इत्तिला करने“ के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 154 के अनुसार :-
संज्ञेय मामलों में इत्तिला–
(1) संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक इत्तिला, यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है तो उसके द्वारा या उसके निदेशाधीन लेखबद्ध कर ली जाएगी और इत्तिला देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी और प्रत्येक ऐसी इत्तिला पर, चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या पूर्वोक्त रूप में लेखबद्ध की गई हो, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे जो उसे दे और उसका सार ऐसी पुस्तक में, जो उस अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी जिसे राज्य सरकार इस निमित्त विहित करे, प्रविष्ट किया जाएगा:
(2) उपधारा (1) के अधीन अभिलिखित इत्तिला की प्रतिलिपि, इत्तिला देने वाले को तत्काल निःशुल्क दी जाएगी।
(3) कोई व्यक्ति जो किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के उपधारा (1) में निर्दिष्ट इत्तिला को अभिलिखित करने से इनकार करने से व्यथित है, ऐसी इत्तिला का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा संबद्ध पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है जो, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसी इत्तिला से किसी संज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट होता है तो, या तो स्वयं मामले का अन्वेषण करेगा या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस संहिता द्वारा उपबंधित रीति में अन्वेषण किए जाने का निदेश देगा और उस अधिकारी को उस अपराध के संबंध में पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की सभी शक्तियां होंगी।
According to Section. 154 – “Information in cognizable cases”–
(1) Every information relating to the commission of a cognizable offence, if given orally to an officer in charge of a police station, shall be reduced to writing by him or under his direction, and be read Over to the informant; and every such information, whether given in writing or reduced to writing as aforesaid, shall be signed by the person giving it, and the substance thereof shall be entered in a book to be kept by such officer in such form as the State Government may prescribe in this behalf.
(2) A copy of the information as recorded under sub- section (1) shall be given forthwith, free of cost, to the informant.
(3) Any person aggrieved by a refusal on the part of an officer in charge of a police station to record the information referred to in subsection (1) may send the substance of such information, in writing and by post, to the Superintendent of Police concerned who, if satisfied that such information discloses the commission of a cognizable offence, shall either investigate the case himself or direct an investigation to be made by any police officer subordinate to him, in the manner provided by this Code, and such officer shall have all the powers of an officer in charge of the police station in relation to that offence.
धारा 154, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 क्या कहती है जानिए आसान भाषा में :
अगर हम CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 154 को आसान भाषा में समझना चाहे तो इसके ऐसे समझे कि इसमें संज्ञेय मामलों में इत्तिला अर्थात सूचना देने के बारे में बताया गया है कि किस प्रकार से किसी गंभीर प्रकार के मामले में सूचना जब भी किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है तो उसके द्वारा या उसके निदेशाधीन लेखबद्ध कर ली जाएगी और इत्तिला देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी और प्रत्येक ऐसी इत्तिला पर, चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या पूर्वोक्त रूप में लेखबद्ध की गई हो, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे |
अगर कोई व्यक्ति किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के द्वारा इत्तिला को अभिलिखित (मतलब FIR लिखने से मना करे) करने पर, ऐसी सूचना का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा संबद्ध पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है |
आपको आज दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |
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Kya dhara 154 lagi hai aur makan ka nirman karva diya gaya hai to sdm kya bina notice ke girwa sakti hai
NAH AISA NAHI KIYA JA SAKTA …BINA NOTICE DIYE AISA NAHI KIYA JA SAKTA ..