साक्ष्य अधिनियम की धारा 42 क्या है
आज हम आपके लिए इस पेज पर साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 42 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 42 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? साक्ष्य अधिनियम की धारा 42 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |
धारा 41 में वर्णित से भिन्न निर्णयों, आदेशों या डिक्रियों की सुसंगति और प्रभाव
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ साक्ष्य अधिनियम की धारा 42 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
[Indian Evidence Act Sec. 42 in Hindi]
साक्ष्य अधिनियम धारा 40 क्या है
Indian Evidence Act (साक्ष्य अधिनियम) की धारा 42 के अनुसार :-
धारा 41 में वर्णित से भिन्न निर्णयों, आदेशों या डिक्रियों की सुसंगति और प्रभाव
वे निर्णय, आदेश या डिक्रियां जो धारा 41 में वर्णित से भिन्न हैं, यदि वे जांच में सुसंगत लोक प्रकृति की बातों से सम्बन्धित हैं, तो वे सुसंगत हैं, किन्तु ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्रियां उन बातों का निश्चायक सबूत नहीं हैं जिनका वे कथन करती हैं।
दृष्टांत
क अपनी भूमि पर अतिचार के लिए ख पर वाद लाता है । ख उस भूमि पर मार्ग के लोक अधिकार का अस्तित्व अभिकथित करता है जिसका क प्रत्याख्यान करता है।
क द्वारा ग के विरुद्ध उसी भूमि पर अतिचार के लिए बाद में, जिसमें ग ने उसी मार्गाधिकार का अस्तित्व अभिकथित किया था, प्रतिवादी के पक्ष में डिक्री का अस्तित्व सुसंगत है किन्तु वह इस बात का निश्चायक सबूत नहीं है कि वह मार्गाधिकार अस्तित्व में है।
साक्ष्य अधिनियम धारा 39 क्या है
According to Indian Evidence Act Section 42 – “Relevancy and effect of judgments, orders or decrees, other than those mentioned in section 41”–
Judgments, orders or decrees other than those mentioned in section 41 are relevant if they relate to matters of a public nature relevant to the enquiry; but such judgments, orders or decrees are not conclusive proof of that which they state.
Illustration
A sues B for trespass on his land. B alleges the existence of a public right of way over the land, which A denies.
The existence of a decree in favour of the defendant, in a suit by A against C for a trespass on the same land, in which C alleged the existence of the same right of way, is relevant, but it is not conclusive proof that the right of way exists.
साक्ष्य अधिनियम धारा 38 क्या है
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 42 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
साक्ष्य अधिनियम धारा 37 क्या है