आईपीसी धारा 172 क्या है
आज हम आपके लिए इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 172 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 172 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 172 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |
समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 172 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा) की धारा 172 के अनुसार :-
समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
जो कोई किसी ऐसे लोक सेवक द्वारा निकाले गए समन, सूचना या आदेश की तामील से बचने के लिए फरार हो जाएगा, जो ऐसे लोक सेवक के नाते ऐसे समन, सूचना या आदेश को निकालने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, अथवा, यदि समन या सूचना या आदेश 1[किसी न्यायालय में स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए. या दस्तावेज अथवा इलैक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए हो तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
[1] 2003 के अधिनियम सं. 24 की धारा 5 द्वारा (22-9-2003 से) अंतःस्थापित ।
Section 172 – “Absconding to avoid service of summons or other proceeding”–
“Whoever absconds in order to avoid being served with a summons, notice or order proceeding from any public servant legally competent, as such public servant, to issue such summons, notice or order, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to one month, or with fine which may extend to five hundred rupees, or with both;
or, if the summons or notice or order is to attend in person or by agent, or to produce a document or electronic record in a Court of Justice, with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.”
लागू अपराध
समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
सजा –
1. एक लोक सेवक से सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार – 1 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों
2. एक लोक सेवक से सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार – 6 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों
यह एक जमानती, असंज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
आईपीसी की धारा 172 में सजा (Punishment) क्या होगी
यहाँ भारतीय दंड संहिता में धारा 172 में किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | जो इस प्रकार है – समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना, उसको दण्ड से दण्डित किया जा सकता है, 1. एक लोक सेवक से सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार – 1 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों 2. एक लोक सेवक से सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार – 6 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों
आईपीसी (IPC) की धारा 172 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 172 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक असंज्ञेय जमानतीय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिल जाती है क्योंकी CrPC में यह जमानतीय अपराध बताया गया है ।
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 172 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
एक लोक सेवक से सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार | 1 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों | असंज्ञेय | जमानतीय | किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
यदि सम्मन या नोटिस में व्यक्ति की उपस्थिति की आवश्यकता होती है, आदि, न्याय अदालत में | 6 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों | असंज्ञेय | जमानतीय | किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |