आईपीसी धारा 336 क्या है
आज हम आपको बताएंगे कि दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य कारित करना अपराध माना जाता है और यह भारतीय दंड संहिता कि जिस धारा के अंतर्गत आता है उसी के चर्चा इस पेज पर आपको मिलने जा रही है | यहाँ हम आपको भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 336 क्या है ? इसमें अपराध कारित करने पर किस प्रकार यह धारा अप्लाई होगी इन सब बातों को यहाँ डिस्कस करेंगे इस आर्टिकल कि माध्यम से इसके बारे में पूरी जानकारी यहाँ प्रस्तुत की जाएगी |
यहाँ इस पेज पर इस धारा 336 में सजा के लिए क्या नियम और कितनी सजा देने का प्रावधान है इन सब विषयों के बारे में जानकारी दी जा रही है | साथ ही इसमें जमानत होगी या नहीं इन्ही सभी बातों पर आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे इस आर्टिकल में, साथ ही यहाँ इस पोर्टल पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उनका भी अवलोकन कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 336 के अनुसार :-
कार्य जिससे दूसरों का जीवन या वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो
“जो कोई इतने उतावलेपन या उपेक्षा से कोई कार्य करेगा कि उससे मानव जीवन या दूसरों का वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न होता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो ढाई सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा” ।
S. 336 – “Act endangering life or personal safety of others ”–
“Whoever does any act so rashly or negligently as to endanger human life or the personal safety of others, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to two hundred and fifty rupees, or with both”.
लागू अपराध
दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य कारित करना अपराध माना जायेगा |
इसकी सजा – 3 माह का कारावास या 250 रुपए का आर्थिक दण्ड या दोनों दिया जा सकता है ।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 336 में सजा (Punishment) क्या होगी
यहाँ धारा 336 में बातये गए अपराध के लिए दंड देने का प्रावधान है जो इस प्रकार है जब भी किसी के द्वारा उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसा कोई कार्य किया जाये और इस कारन से मानव जीवन या किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो जाये, तब उस व्यक्ति को जिसके द्वारा ऐसा किया गया है उसको किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसेको 3 महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड जोकि 250 रुपए तक हो सकता है, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी (IPC) की धारा 336 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 336 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उसका अपराध एक जमानती और संज्ञेय अपराध है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि संज्ञेय अपराध और जमानतीय होने पर इसमें जमानत मिलती है साथ ही यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। यह अपराध पीड़ित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य नहीं है।
मित्रो आज हमने आपको यहाँ इस आर्टिक्ल के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 336 यानि कि ‘जिसमे ऐसा कार्य जिससे दूसरों का जीवन या वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो और इनके करने पर क्या सजा होगी इन सब के विषय में बताया और इसमें सजा के साथ ही जमानत के क्या प्रावधान होंगे इसकी जानकारी दी | यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित कुछ भी शंका आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |