परिवाद (Parivad) पत्र क्या है
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है, जो संविधान द्वारा बनाये गए नियमों के आधार पर चलता है | संविधान में सभी अपराधों और सभी नियमों के लिए अलग – अलग धाराएँ दी गई है | इसी में यहाँ पर आपको भारतीय संविधान की दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2 डी में परिवाद की परिभाषा को उल्लेखित किया गया है जिसके मुताबिक Parivad (परिवाद) से इस संहिता के अधीन मजिस्टेट के द्वारा किये जाने वाली कार्यवाही की द्रष्टि से मौखिक या लिखित रूप में अभिकथन अभिप्रेत है |
सीधें तौर पर कहा जाए तो किसी व्यक्ति या व्यक्तियों (जानकार या अनजान) के विरुद्ध मौखिक या लिखित रुप में मजिस्ट्रेट को किया गया एक आरोप है ताकि मजिस्ट्रेट उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जा सकें। यदि आप भी परिवाद पत्र क्या है, परिवाद कैसे दाखिल करे – Parivad Explained in Hindi, इसके विषय में जानना चाहते है तो यहाँ पर पूरी जानकारी दी जा रही है |
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परिवाद (Parivad) पत्र का आसान अर्थ
देश के किसी भी नागरिक के साथ कोई आपराधिक घटना होती है, तब वह उस अपराध की जानकारी पुलिस को देकर सूचित करता है | फिर उसी सूचना के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाये, यदि सूचना के प्राप्त के बाद, उस आधार पर थाना इंचार्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने से मना करता है, तो फिर पीड़ित व्यक्ति या फिर उसके रिश्तेदार द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार होता है, ताकि अपराध किये जाने वाले अपराधी के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सके।
परिवाद का नियम
- परिवाद पत्र संज्ञेय या फिर असंज्ञेय दोनों तरह के अपराधों में करने का अधिकार देश के प्रत्येक नागरिक को दिया गया है |
- परिवाद मजिस्ट्रेट के सामने ही प्रस्तुत किया जा सकता है, इसके अतरिक्त किसी भी अधिकारी के समक्ष नहीं |
- परिवाद दाखिल करने के पश्चात् से उस अपराध का मामला मजिस्ट्रेट के संज्ञान में आ जाता है |
- मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद प्रस्तुत करने मात्र से ही पुलिस अधिकारी को उस अपराध के मामले में जांच के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है |
- यदि मजिस्ट्रेट आदेश देता है तो पुलिस अधिकारी उस अपराध के मामले से सम्बंधित जांच कर सकते है |
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परिवाद कैसे दाखिल करे
जब कोई भी व्यक्ति परिवाद प्रस्तुत करना चाहता है तो वह लिखित या मौखिक रूप से घटना के सम्पूर्ण साराशं को उल्लेखित करते हुये, आरोपी को न्यायालय द्वारा तलब करके अपराध के लिये दण्ड देने की प्रार्थना सहित न्यायालय में आकर मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अधिकार रखता है । यदि वह लिखित रूप में परिवाद देना चाहता है तो उसे परिवाद प्रस्तुत करने के लिए एक एफीडेविट यानि की शपथ पत्र प्रस्तुत करना चाहिये।
परिवाद दाखिल करते समय सावधानियां
- परिवाद प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के साथ घटना से रिलेटेड प्राथमिक सबूत जो उपलब्ध हो तो जरुर प्रस्तुत करना चाहिए ।
- इसके अलावा घटना सम्बंधित पुलिस या उसके उच्च अधिकारी को दिये गये शिकायती प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि एवं शिकायती प्रार्थना पत्र और यदि यह प्रक्रिया डाक द्वारा की गई है तो भेजे जाने की डाक रसीद परिवाद पत्र के साथ संलग्न करना चाहिए।
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परिवाद के आवश्यक तत्व
- परिवाद पत्र एक लिखित या मौखिक कथन होता है, जिसके अंतर्गत किसी अपराध से संबंधित तथ्य प्रस्तुत किये जाते है, वह तथ्य ऐसे होते है जिनपर विश्वास किया जा सके |
- परिवाद प्रस्तुत करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष जाना होता है, अपराध ज्ञात या अज्ञात कोई भी हो सकता है |
- परिवाद पत्र में मजिस्ट्रेट से स्पष्ट रूप प्रार्थना करनी होती है की ज्ञात या अज्ञात अपराधी के विरुद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत दिए गए प्रावधानों के मुताबिक कार्यवाही की सके |
- समाज यानि की देश का कोई भी आम नागरिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अधिकार रखता है।
दोस्तों आपको हमने यहाँ इस लेख के माध्यम से परिवाद के विषय में जानकारी दी है | यदि फिर भी इस परिवाद से सम्बन्धित कुछ भी शंका आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |
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thetek hai lektin kuch baaten chhut gai lagti hain. apko complaint case ka ek praroop bhi dena chahiye tha.
I need a format of complaint case u/s 200 crpc in hindi
Anwar Ali