आईपीसी धारा 425 क्या है | IPC Section 425 in Hindi – सजा का प्रावधान


आईपीसी धारा 425 क्या है

आज हम आपके लिए इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 425 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे  कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 425 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 425 क्या है,  इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |

रिष्टि क्या है

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 425 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

आईपीसी धारा 411 क्या है



IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा) की धारा 425 के अनुसार :-

रिष्टि

जो काई इस आशय से. या यह सम्भाव्य जानते हुए कि, वह लोक को या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान कारित करे किसी सम्पत्ति का नाश या किसी सम्पत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली कारित करता है, जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है, या उस पर क्षतिकारक प्रभाव पड़ता है, वह “रिष्टि करता है |

स्पष्टीकरण 1–रिष्टि के अपराध के लिए यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी क्षतिग्रस्त या नष्ट सम्पत्ति के स्वामी को हानि या नुकसान कारित करने का आशय रखे । यह पर्याप्त है कि उसका यह आशय है या वह यह सम्भाव्य जानता है कि वह किसी सम्पत्ति को क्षति करके किसी व्यक्ति को, चाहे वह सम्पत्ति उस व्यक्ति की हो या नहीं, सदोष हानि या नुकसान कारित करे |

स्पष्टीकरण 2–ऐसी सम्पत्ति पर प्रभाव डालने वाले कार्य द्वारा, जो उस कार्य को करने वाले व्यक्ति की हो, या संयुक्त रूप से उस व्यक्ति की और अन्य व्यक्तियों की हो, रिष्टि की जा सकेगी ।

दृष्टांत

(क) य की सदोष ठानि कारित करने के आशय से य की मूल्यवान प्रतिभूति को क स्वेच्छया जला देता है। क ने रिष्टि की है |

(ख) य की सदोष ठानि करने के आशय से, उसके बर्फ-घर में क पानी छोड़ देता है, और इस प्रकार बर्फ को गला देता है | क ने रिष्टि की है।

(ग) क इस आशय से य की अंगूठी नदी में स्वेच्छया से फैंक देता है कि य को तवारा सदोष ठानि कारित करे | क ने रिष्टि की है |

(घ) क प जानते हुए कि उसकी चीज-बस्त उस ऋण की तुष्टि के लिए जो य को उस द्वारा शोध्य है, निष्पादन में ली जाने वाली है, उस चीज-बस्त को इस आशय से नष्ट कर देता है कि ऐसा करके ऋण की तुष्टि अभिप्राप्त करने में य को निवारित कर दे और इस प्रकार य को नुकसान कारित करे | क ने रिष्टि की है |

(ङ) क एक पोत का बीमा कराने के पश्चात् उसे इस आशय से कि बीमा करने वालों को नुकसान कारित करे उसको स्वेच्छया संत्यन्त करा देता है | क ने रिष्टि की है |

य को. जिसने बाटमरी पर धन उधार दिया है, नुकसान कारित करने के आशय से क उस पोत को संत्यक्त करा देता है । क ने रिष्टि की है।

(छ) य के साथ एक घोड़े में संयुक्त संपत्ति रखते हुए य को सदोष हानि कारित करने के आशय से क उस चोले को गोली मार देता है | क ने रिष्टि की है ।

(ज) क इस आशय से और यह सन्नाव्य जानते हुए कि वह य कि फसल को नुकसान कारित करे य के खेत में डोरों का प्रवेश कारित कर देता है क ने रिष्टि की है |

आईपीसी धारा 419 क्या है

Section 425 –     “ Mischief ”–

Whoever with intent to cause, or knowing that he is likely to cause, wrongful loss or damage to the public or to any person, causes the destruction of any property, or any such change in any property or in the situation thereof as destroys or diminishes its value or utility, or affects it injuriously, commits “mischief”.

Explanation 1.—It is not essential to the offence of mischief that the offender should intend to cause loss or damage to the owner of the property injured or destroyed. It is sufficient if he intends to cause, or knows that he is likely to cause, wrong­ful loss or damage to any person by injuring any property, wheth­er it belongs to that person or not.

Explanation 2.—Mischief may be committed by an act affecting property belonging to the person who commits the act, or to that person and others jointly.

Illustrations

(a) A voluntarily burns a valuable security belonging to Z in­tending to cause wrongful loss to Z. A has committed mischief.

(b) A introduces water into an ice-house belonging to Z and thus causes the ice to melt, intending wrongful loss to Z. A has committed mischief.

(c) A voluntarily throws into a river a ring belonging to Z, with the intention of thereby causing wrongful loss to Z. A has com­mitted mischief.

(d) A, knowing that his effects are about to be taken in execu­tion in order to satisfy a debt due from him to Z, destroys those effects, with the intention of thereby preventing Z from obtain­ing satisfaction of the debt, and of thus causing damage to Z. A has committed mischief.

(e) A, having insured a ship, voluntarily causes the same to be cast away, with the intention of causing damage to the under-writers. A has committed mischief.

(f) A causes a ship to be cast away, intending thereby to cause damage to Z who has lent money on bottomry on the ship. A has committed mischief.

(g) A, having joint property with Z in a horse, shoots the horse, intending thereby to cause wrongful loss to Z. A has committed mischief.

(h) A causes cattle to enter upon a field belonging to Z, intend­ing to cause and knowing that he is likely to cause damage to Z’s crop. A has committed mischief.

आईपीसी धारा 420 क्या है

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 425 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट  बॉक्स  के  माध्यम  से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

आईपीसी धारा 427 क्या है 


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