साक्ष्य अधिनियम की धारा 14 क्या है
आज हम आपके लिए इस पेज पर साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 14 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 14 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? साक्ष्य अधिनियम की धारा 14 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |
मन या शरीर की दशा या शारीरिक संवदेना का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ साक्ष्य अधिनियम की धारा 14 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
[Indian Evidence Act Sec. 14 in Hindi]
साक्ष्य अधिनियम धारा 13 क्या है
Indian Evidence Act (साक्ष्य अधिनियम) की धारा 14 के अनुसार :-
मन या शरीर की दशा या शारीरिक संवदेना का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य
मन की कोई भी दशा जिसे आशय, ज्ञान, सद्भाव, उपेक्षा, उतावलापन किसी विशिष्ट व्यक्ति के प्रति वैमनस्य या सदिच्छा दर्शित करने वाले अथवा शरीर की या शारीरिक संवेदना की किसी दशा का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य तब सुसंगत हैं, जब कि ऐसी मन की या शरीर की या शारीरिक संवेदन की किसी ऐसी दशा का अस्तित्व विवाद्य या सुसंगत है।
[स्पष्टीकरण 1-जो इस नाते सुसंगत हैं कि वह मन की सुसंगत दशा के अस्तित्व को दर्शित करता है उससे यह दर्शित होना ही चाहिए कि मन की वह दशा साधारणतः नहीं, अपितु प्रश्नगत विशिष्ट विषय के बारे में, अस्तित्व में है।
स्पष्टीकरण 2—किन्तु जब कि किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के विचारण में इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत उस अभियुक्त द्वारा किसी अपराध का कभी पहले किया जाना सुसंगत हो, तब ऐसे व्यक्ति की पूर्व दोषसिद्धि भी सुसंगत तथ्य होगी।]
दृष्टांत
(क) क चुराया हुआ माल यह जानते हुए कि वह चुराया हुआ है, प्राप्त करने का अभियुक्त है। यह साबित कर दिया जाता है कि उसके कब्जे में कोई विशिष्ट चुराई हुई चीज थी।
यह तथ्य कि उसी समय उसके कब्जे में कई अन्य चुराई हुई चीजें थीं यह दर्शित करने की प्रवृत्ति रखने वाला होने के नाते सुसंगत है कि जो चीजें उसके कब्जे में थीं उनमें से हर एक और सब के बारे में वह जानता था कि वह चुराई हुई हैं।
(ख) क पर किसी अन्य व्यक्ति को कूटकृत सिक्का कपटपूर्वक परिदान करने का अभियोग, है, जिसे वह परिदान करते समय जानता था कि वह कूटकृत है।
यह तथ्य कि उसके परिदान के समय क के कब्जे में वैसे ही दूसरे कूटकृत सिक्के थे, सुसंगत है।
यह तथ्य कि क एक कूटकृत सिक्के को, यह जानते हुए कि वह सिक्का कूटकृत है, उसे असली के रूप में किसी अन्य व्यक्ति को परिदान करने के लिए पहले भी दोषसिद्ध हुआ था, सुसंगत हैं।]
(ग) ख के कुत्ते द्वारा, जिसका हिंस्र होना ख जानता था, किए गए नुकसान के लिए ख पर क बाद लाता है। ये तथ्य कि कुत्ते ने पहले, भ, म और य को काटा था और यह कि उन्होंने ख से शिकायतें की थीं, सुसंगत हैं।
(घ) प्रश्न यह है कि क्या विनिमयपत्र का प्रतिगृहीता क यह जानता था कि उसके पाने वाले का नाम काल्पनिक है।
यह तथ्य कि क ने उसी प्रकार से लिखित अन्य विनिमयपत्रों को इसके पहले कि वे पाने वाले द्वारा, यदि पाने वाला वास्तविक व्यक्ति होता तो, उसको पारेषित किए जा सकते, प्रतिगृहीत किया था, यह दर्शित करने के नाते सुसंगत है कि क यह जानता था कि पाने वाला व्यक्ति काल्पनिक है।
(ङ) क पर ख की ख्याति की अपहानि करने के आशय से एक लांछन प्रकाशित करके ख की मानहानि करने का अभियोग है।
यह तथ्य कि ख के बारे में क ने पूर्व प्रकाशन किए, जिनसे ख के प्रति क का वैमनस्य दर्शित होता है, इस कारण सुसंगत है कि उससे प्रश्नगत विशिष्ट प्रकाशन द्वारा ख की ख्याति की अपहानि करने का क का आशय साबित होता है।
ये तथ्य कि क और ख के बीच पहले कोई झगड़ा नहीं हुआ और कि क ने परिवादगत बात को जैसा सुना था वैसा ही दुहरा दिया था, यह दर्शित करने के नाते कि क का आशय ख की ख्याति की अपहानि करना नहीं था, सुसंगत हैं।
(च) ख द्वारा क पर यह वाद लाया जाता है कि ग के बारे में क ने ख से यह कपटपूर्वक व्यपदेशन किया कि ग शोधक्षम है जिससे उत्प्रेरित हो कर ख ने ग का, जो दिवालिया था, भरोसा किया और हानि उठाई।
यह तथ्य कि जब क ने ग को शोधक्षम व्यपदिष्ट किया था, तब ग को उसके पड़ोसी और उससे ब्यौहार करने वाले व्यक्ति शोधक्षम समझते थे, यह दर्शित करने के नाते कि क ने व्यपदेशन सद्भापूर्वक किया था, सुसंगत है।
(छ) क पर ख उस काम की कीमत के लिए बाद लाता है जो ठेकेदार ग के आदेश से किसी गृह् पर, जिसका क स्वामी है, ख ने किया था।
क का प्रतिवाद है कि ख का ठेका ग के साथ था।
यह तथ्य कि क ने प्रश्नगत काम के लिए ग को कीमत दे दी इसलिए सुसंगत है कि उससे यह साबित होता है कि क ने सद्भावपूर्वक ग को प्रश्नगत काम का प्रबन्ध दे दिया था, जिससे कि ख के साथ ग अपने ही निमित्त, न कि क के अभिकर्ता के रूप में, संविदा करने की स्थिति में था।
(ज) क ऐसी सम्पत्ति का, जो उसने पड़ी पाई थी, बेइमानी से दुर्विनियोग करने का अभियुक्त है और प्रश्न यह है कि क्या जब उसने उसका विनियोग किया उसे सद्भावपूर्वक विश्वास था कि वास्तविक स्वामी मिल नहीं सकता।
यह तथ्य कि सम्पत्ति के खो जाने की लोक सूचना उस स्थान में, जहां क था, दी जा चुकी थी, यह दर्शित करने के नाते सुसंगत है कि क को सद्भावपूर्वक यह विश्वास नहीं था कि उस सम्पत्ति का वास्तविक स्वामी मिल नहीं सकता।
यह तथ्य कि क यह जानता था या उसके पास यह विश्वास करने का कारण था कि सूचना कपटपूर्वक ग द्वारा दी गई थी जिसने संपत्ति की हानि के बारे में सुन रखा था और जो उस पर मिथ्या दावा करने का इच्छुक था यह दर्शित करने के नाते सुसंगत है कि क का सूचना के बारे में ज्ञान क के सद्भाव को नासाबित नहीं करता।
(झ) क पर ख को मार डालने के आशय से उस पर असन करने का अभियोग है। क का आशय दर्शित करने के लिए यह तथ्य साबित किया जा सकेगा कि क ने पहले भीख पर असन किया था।
(ञ) क पर ख को धमकी भरे पत्र भेजने का आरोप है। इन पत्रों का आशय दर्शित करने के नाते क द्वारा ख को पहले भेजे गए धमकी भरे पत्र साबित किए जा सकेंगे।
(ट) प्रश्न यह है कि क्या क अपनी पत्नी ख के प्रति क्रूरता का दोषी रहा है। अभिकथित क्रूरता के थोड़ी देर पहले या पीछे उनके एक दूसरे के प्रति भावना की अभिव्यक्तियां सुसंगत तथ्य हैं।
(ठ) प्रश्न यह है कि क्या क की मृत्यु विष से कारित की गई थी। अपनी रुग्णावस्था में क द्वारा अपने लक्षणों के बारे में किए हुए कथन सुसंगत तथ्य हैं।
(ड) प्रश्न यह है कि क के स्वास्थ्य की दशा उस समय कैसी थी जिस समय उसके जीवन का बीमा कराया गया था। प्रश्नगत समय पर या उसके लगभग अपने स्वास्थ्य की दशा के बारे में क द्वारा किए गए कथन सुसंगत तथ्य हैं।
(ढ) क ऐसी उपेक्षा के लिए ख पर वाद लाता है जो ख ने उसे युक्तियुक्त रूप से अनुपयोग्य गाड़ी भाड़े पर देने द्वारा की जिससे को क्षति हुई थी।
यह तथ्य कि उस विशिष्ट गाड़ी की त्रुटि की ओर अन्य अवसरों पर भी ख का ध्यान आकृष्ट किया गया था, सुसंगत है। यह तथ्य कि ख उन गाड़ियों के बारे में, जिन्हें वह भाड़े पर देता था, अभ्यासतः उपेक्षावान था, विसंगत है।
(ण) क साशय असन द्वारा ख की मृत्यु करने के कारण हत्या के लिए विचारित है।
यह तथ्य कि क ने अन्य अवसरों पर ख पर असन किया था, क का ख पर असन करने का आशय दर्शित करने के नाते सुसंगत है।
यह तथ्य कि क लोगों पर उनकी हत्या करने के आशय से असन करने का अभ्यासी था, विसंगत है।
(त) क का किसी अपराध के लिए विचारण किया जाता है। यह तथ्य कि उसने कोई बात कही जिससे उस विशिष्ट अपराध के करने का आशय उपदर्शित होता है, सुसंगत है।
यह तथ्य कि उसने कोई बात कही जिससे उस प्रकार के अपराध करने की उसकी साधारण प्रवृत्ति उपदर्शित होती है, विसंगत है
साक्ष्य अधिनियम धारा 12 क्या है
According to Indian Evidence Act Section 14 – “Facts showing existence of state of mind, or of body of bodily feeling ”–
Facts showing the existence of any state of mind such as intention, knowledge, good faith, negligence, rashness, ill-will or good-will towards any particular person, or showing the existence of any state of body or bodily feeling are relevant, when the existence of any such state of mind or body or bodily feeling, is in issue or relevant.
1[Explanation 1. –– A fact relevant as showing the existence of a relevant state of mind must show that the state of mind exists, not generally, but in reference to the particular matter in question.
Explanation 2. –– But where, upon the trial of a person accused of an offence, the previous commission by the accused of an offence is relevant within the meaning of this section, the previous conviction of such person shall also be a relevant fact.]
Illustrations
(a) A is accused of receiving stolen goods knowing them to be stolen. It is proved that he was in possession of a particular stolen article.
The fact that, at the same time, he was in possession of many other stolen articles is relevant, as tending to show that he knew each and all of the articles of which he was in possession to be stolen.
2[(b) A is accused of fraudulently delivering to another person a counterfeit coin which, at the time when he delivered it, he knew to be counterfeit.
The fact that, at the time of its delivery, A was possessed of a number of other pieces of counterfeit coin is relevant.
The fact that A had been previously convicted of delivering to another person as genuine a counterfeit coin knowing it to be counterfeit is relevant.]
(c) A sues B for damage done by a dog of B’s, which B knew to be ferocious.
The fact that the dog had previously bitten X, Y and Z, and that they had made complaints to B, are relevant.
(d) The question is, whether A, the acceptor of a bill of exchange, knew that the name of a payee was fictitious.
The fact that A had accepted other bills drawn in the same manner before they could have been transmitted to him by the payee if the payee had been a real person, is relevant, as showing that A knew that the payee was a fictitious person.
(e) A is accused of defaming B by publishing an imputation intended to harm the reputation of B.
The fact of previous publications by A respecting B, showing ill-will on the part of A towards B, is relevant, as proving A’s intention to harm B’s reputation by the particular publication in question.
The facts that there was no previous quarrel between A and B, and that A repeated the matter complained of as he heard it, are relevant, as showing that A did not intend to harm the reputation of B.
(f) A is sued by B for fraudulently representing to B that C was solvent, whereby B, being induced to trust C, who was insolvent, suffered loss.
The fact that, at the time when A represented C to be solvent, C was supposed to be solvent by his neighbours and by persons dealing with him, is relevant, as showing that A made the representation in good faith.
(g) A is sued by B for the price of work done by B, upon a house of which A is owner, by the order of C, a contractor.
A’s defence is that B’s contract was with C.
The fact that A paid C for the work in question is relevant, as proving that A did, in good faith, make over to C the management of the work in question, so that C was in a position to contract with B on C’s own account, and not as agent for A.
(h) A is accused of the dishonest misappropriation of property which he had found, and the question is whether, when he appropriated it, he believed in good faith that the real owner could not be found.
The fact that public notice of the loss of the property had been given in the place where A was, is relevant, as showing that A did not in good faith believe that the real owner of the property could not be found.
The fact that A knew, or had reason to believe, that the notice was given fraudulently by C, who had heard of the loss of the property and wished to set up a false claim to it, is relevant, as showing that the fact that A knew of the notice did not disprove A’s good faith.
(i) A is charged with shooting at B with intent to kill him. In order to show A’s intent the fact of A’s having previously shot at B may be proved.
(j) A is charged with sending threatening letters to B. Threatening letters previously sent by A to B may be proved, as showing the intention of the letters.
(k) The question is, whether A has been guilty of cruelty towards B, his wife.
Expressions of their feeling towards each other shortly before or after the alleged cruelty are relevant facts.
(l) The question is whether A’s death was caused by poison.
Statements made by A during his illness as to his symptoms are relevant facts.
(m) The question is, what was the state of A’s health at the time when an assurance on his life was effected.
Statements made by A as to the state of his health at or near the time in question are relevant facts.
(n) A sues B for negligence in providing him with a carriage for hire not reasonably fit for use, whereby A was injured.
The fact that B’s attention was drawn on other occasions to the defect of that particular carriage is relevant.
The fact that B was habitually negligent about the carriages which he let to hire is irrelevant.
(o) A is tried for the murder of B by intentionally shooting him dead.
The fact that A on other occasions shot at B is relevant as showing his intention to shoot B.
The fact that A was in the habit of shooting at people with intent to murder them is irrelevant.
(p) A is tried for a crime.
The fact that he said something indicating an intention to commit that particular crime is relevant.
The fact that he said something indicating a general disposition to commit crimes of that class is irrelevant.
साक्ष्य अधिनियम धारा 11 क्या है
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 14 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
साक्ष्य अधिनियम धारा 10 क्या है