हमारे देश में दिन-प्रतिदिन होनें वाली घटनाओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है | कई घटनाएँ ऐसी होती है जिसे कई लोग मिलकर अंजाम देते है | अपराध करनें के पश्चात यदि वह सभी पकड़े जाते है और उन्ही में से एक सहअभियुक्त अपनी इच्छा से पुलिस को घटना के बारे में सब कुछ बतानें को तैयार हो जाता है, तो ऐसे अभियुक्त को सरकारी गवाह कहा जाता है |
हमारे देश में ऐसे कई प्रकरण हो चुके है, जिनमें सह अभियुक्त सरकारी गवाह बननें के कारण ही ऐसी-ऐसी घटनाओं का खुलासा हुआ है, जिनका एक सामान्य व्यक्ति के लिए अनुमान लगाना मुश्किल है | तो आईये जानते है, सरकारी गवाह किसे कहते है, और सरकारी गवाह बननें से क्या फायदे है ?
शपथ पत्र (Affidavit) क्या होता है
सरकारी गवाह किसे कहते हैं
जब भी कोई अपराध या कोई कार्य होता है, तो उस के दो पक्ष होते है पहला अपराध करने वाला अर्थात दोषी पक्ष और दूसरा अपराध को सहने वाला अर्थात शिकायतकर्ता पक्ष | यदि कोई तीसरा व्यक्ति उस घटना को देख रहा हो, या जनता हो, तो वो गवाह कहलाता है |
संयुक्त रूप से किये गये अपराध में कभी-कभी ऐसी परिस्थिति बन जाती है, कि उस अपराध को करनें वाले लोगो में से कोई एक गवाह बन जाता है, जिसे हम सरकारी गवाह कहते है | कभी-कभी गंभीर प्रकृति के अपराधों में अभियोजन पक्ष को साक्ष्य नहीं मिल पाता है | जिस कारण आरोपितो को दोषमुक्त होनें का कारण मिल जाता है | इसलिए अभियोजन पक्ष मामले की सभी जानकारी न्यायालय के समक्ष लानें के लिए किसी एक अभियुक्त को सरकारी गवाह बना देता है, वह अभियुक्त अपराध के सभी तथ्यों को न्यायालय के समक्ष रख देता है |
सरकारी गवाह बननें से लाभ
सरकारी गवाह बनने में सबसे बड़ा लाभ यह है कि उसे क्षमादान दिया जा सकता है | सीआरपीसी की धारा 306 के अंतर्गत सहअपराधी को क्षमादान दिए जानें का प्रावधान है |
क्षमादान कब दिया जा सकता है
किसी मामले में जुड़े अपराधियों में से किसी एक सह अभियुक्त द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रक्षत्य रूप से जुड़े किसी व्यक्ति द्वारा न्यायालय में घटना की सभी तथ्य बता देता है, तथा सरकारी गवाह बन जाता है, तो उस अभियुक्त को क्षमादान किया जा सकता है |
क्षमादान दिए जानें का उद्देश्य
गंभीर प्रकृति के मामले में दोषियों को दण्डित किये जानें के उद्देश्य से सीआरपीसी की धारा 306 के अंतर्गत क्षमादान का प्रावधान रखा गया है | संयुक्त रूप से किये गये अपराध में कोई ऐसा अभियुक्त जिसका संबंध अपराध से है, उसे क्षमादान देकर अन्य सभी तथ्यों को सामनें लाया जाता है | जिससे कि अन्य दोषियों को सजा दी जा सके | साक्ष्य अधिनियम की धारा 133 के अंतर्गत सह अपराधी सक्षम साक्षी होता है |
गवाही से मुकरने पर क्या होता है
ऐसे कई मामले सामनें आ चुके है, जिनमें गवाह मौके पर अपने बयान बदल लेते है | यदि कोई गवाह पुलिस को अपनी CRPC धारा 161 में जो गवाही दे, और उसे कोर्ट में जा कर मुकर जाए, तो उसे मुकरने वाले गवाह यानी होस्टाइल विटनेस कहते है | अदालत के सामने पुलिस की कहानी को सपोर्ट न करने वाला गवाह होस्टाइल विटनेस होता है |
पुलिस किसी को भी छानबीन के दौरान सरकारी गवाह बना सकती है । गवाह की सहमति से पुलिस सीआरपीसी की धारा-161 के तहत उसका बयान दर्ज करती है । धारा-161 के बयान में किसी गवाह के दस्तखत लिए जाने का प्रावधान नहीं है । हालांकि किसी गवाह के सामने पुलिस अगर कोई रिकवरी आदि करती है तो रिकवरी मेमो पर गवाह के दस्तखत लिए जाते हैं | अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलने के मामले में दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है ।
गवाह का मौके पर मुकरने का शक होने पर
यदि पुलिस को या शक हो जाता है कि यह गवाह अपनें बयान से मुकर सकता है, तो उस गवाह का धारा-164 में मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया जाता है । धारा-164 में बयान देने वाले का बाद में मुकरना आसान नहीं होता । वैसे इन तमाम बयानों के बाद भी ट्रायल कोर्ट के सामने दिया बयान ही मान्य बयान होता है |
अब आशा करता हूँ कि इस आर्टिकल के माध्यम से आपको यहाँ पर ‘सरकारी गवाह किसे कहते हैं, बनने के फ़ायदे – सरकारी गवाह के अधिकार’ के बारे में जानने में मदद प्राप्त होगी | इससे सम्बन्धित कोई प्रश्न पूछने के लिए कमेंट करे, आपका उत्तर जल्दी देने का प्रयास किया जायेगा |
सरकारी गवाह बनने से नौकरी या इन्टरव्यू में कोई नुक़सान तो नहीं होगा
No…
Sarkari gavahi banana hai saja ho gaya hai.