उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019
अभी जल्द ही संसद ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 को अनुमति प्रदान कर दी है | जिसको उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने 8 July, 2019 को लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल, 2019 के नाम से पेश किया था। आगे हम आपको बता दें कि यह बिल उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 1986 का स्थान लेता है।
इसको 20 जुलाई, 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लागू माना जायेगा, साथ में यह भी कहा जा रहा है कि यह नया कानून उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने में ज़बरदस्त भूमिका निभाएगा | जिसका कारण यह है कि इस नए कानून में अधिसूचित नियमों और उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों के साथ ही उपभोक्ता संरक्षण परिषदों तथा उत्पाद देयता, मध्यस्थता और मिलावटी सामान से बने उत्पादों के निर्माण या बिक्री के लिए भी कड़ी सजा जैसे बहुत सारे रूल्स के द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी |
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Act), 2019 के बारे में क्या नए प्रावधान लाये गए हैं, और इसमें किस प्रकार की कितनी सजा देने की बात कही गई है, इनके बारे में पूर्ण रूप से इस आर्टिकल के माध्यम से बात करेंगे | साथ ही उपभोक्ता संरक्षण क्या होता है इसकी भी यहाँ चर्चा करेंगे | इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण अधिनियम भी दिए गए है जिसके बारे में विस्तार से बताया गया है आप उनका भी अवलोकन कर सकते हैं |
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की मुख्य विशेषताएँ
कौन है उपभोक्ता?
उपभोक्ता की बात की जाये तो यह एक व्यक्ति है जो अपने स्वयं के इस्तेमाल करने के लिए किसी चीज़ या सामान या वस्तु को खरीदता है या फिर वह सेवा को लेता है। यहाँ यह समझना होगा कि इसमें वह व्यक्ति शामिल नहीं होता जो बेचने के लिए किसी वस्तु को खरीदता है या यूँ कहे कमर्शियल उद्देश्य के लिए किसी वस्तु या सेवा को प्राप्त करता है। यहाँ खरीदने का तरीका कुछ भी हो सकता है जैसे : इलेक्ट्रॉनिक तरीके, टेली शॉपिंग, मल्टी लेवल मार्केटिंग या फिर सीधे खरीद के जरिए किया जाने वाला सभी तरह का ऑफलाइन या ऑनलाइन लेनदेन इसमें शामिल किया जाता है।
उपभोक्ता अधिकार :
यहाँ नए बिल में उपभोक्ताओं के लिए 6 (छह) प्रकार के अधिकारों की बात कही गई है जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण अधिकार इस प्रकार से हैं :
(i) ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की मार्केटिंग के खिलाफ सुरक्षा जो जीवन और संपत्ति के लिए जोखिमपरक हैं,
(ii) वस्तुओं या सेवाओं की क्वालिटी, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और मूल्य की जानकारी प्राप्त होना,
(iii) प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर वस्तु और सेवा उपलब्ध होने का आश्वासन प्राप्त होना,
(iv) अनुचित या प्रतिबंधित व्यापार की स्थिति में मुआवजे की मांग करना।
(v) चयन का अधिकार और सुनवाई का अधिकार;
(vi) सुरक्षा का अधिकार
कौन उपभोक्ता नहीं हो सकता ?
उपभोक्ता वह व्यक्ति नहीं हो सकता जो वस्तुओं को मुफ्त में प्राप्त करता है, और जो कोई भी सेवाओं को मुफ्त में लेता है; या जो वस्तुओं को पुन: बिक्री के लिए अथवा अपने या किसी अन्य वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए लेता है; या फिर किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए सेवाओं का लाभ उठाता है; साथ ही जो सेवाओं के अनुबंध के तहत सेवाएं प्राप्त करता है,ये सब उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते है। यहाँ आपको यह जानना आवश्यक है कि – किसी व्यक्ति द्वारा स्वरोजगार के माध्यम से विशेषकर अपनी आजीविका चलाने के प्रयोजनार्थ, वस्तुओं को खरीदना और उनका प्रयोग करना तथा सेवाएं प्राप्त करना वाणिज्यिक प्रयोजन में शामिल नहीं है।
कौन शिकायत को दर्ज करा सकता है?
शिकायत को केवल अग्रलिखित व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दायर किया जा सकता है:
- उपभोक्ता के द्वारा;
- किसी स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन द्वारा;
- केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा;
- जहां समान हित रखने वाले अनेक उपभोक्ता हों, एक अथवा अधिक उपभोक्ताओं द्वारा; और
- किसी उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने की दशा में उसके कानूनी उत्तराधिकारी अथवा प्रतिनिधि द्वारा।
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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) का उद्देश्य
नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Act), 2019 में एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) का गठन किया जायेगा | (1) इस प्राधिकरण को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ संस्थान के मुकदमों या शिकायतों की जांच करने का भी अधिकार दिया गया है | (2) यह भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने का आदेश भी दे सकता है | (3) यह असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं की वापसी का आदेश दे सकता है | (4) निर्माताओं या प्रकाशकों या भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन करने वालों पर जुर्माना भी लगा सकता है |
उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशन (Consumer Disputes Redressal Commissions – CDRCs)
नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Act), 2019 के अनुसार इस एक्ट में ज़िला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर भी उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (Consumer Disputes Redressal Commissions- CDRCs) का गठन किया जाएगा। एक उपभोक्ता के द्वारा आयोग में शिकायत की जा सकती है |
(i) अनुचित और प्रतिबंधित तरीके का व्यापार
(ii) दोषपूर्ण वस्तु या सेवाएँ
(iii) अधिक कीमत वसूलना या गलत तरीके से कीमत वसूलना
(iv) ऐसी वस्तुओं या सेवाओं को बिक्री के लिये पेश करना जो जीवन और सुरक्षा के लिये जोखिमपूर्ण हो सकती हैं।
आपको यहाँ बता दें कि अनुचित कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ शिकायत केवल राज्य और राष्ट्रीय CDRCs (उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशन) में फाइल की जा सकती है। ज़िला CDRC के आदेश के खिलाफ राज्य CDRC में सुनवाई की जाएगी और राज्य CDRC के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय CDRC में सुनवाई होगी। अंतिम अपील का अधिकार केवल सर्वोच्च न्यायालय को होगा।
उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशन (CDRCs) का क्षेत्राधिकार
(1) ज़िला CDRC उन शिकायतों के मामलों की सुनवाई करेगा जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत 1 करोड़ रुपए से अधिक न हो।
(2) राज्य CDRC उन शिकायतों के मामले में सुनवाई करेगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत 1 करोड़ रुपए से अधिक हो, लेकिन 10 करोड़ रुपए से अधिक न हो।
(3) 10 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत की वस्तुओं और सेवाओं के संबंधित शिकायतें राष्ट्रीय CDRC द्वारा ही सुनी जाएंगी और निस्तारित की जाएँगी ।
उत्पाद की जिम्मेदारी (प्रोडक्ट लायबिलिटी):
उत्पाद की जिम्मेदारी यानि प्रोडक्ट लायबिलिटी का अर्थ है, उत्पाद का निर्माण करने वाला (विनिर्माता), सेवा प्रदाता या विक्रेता की जिम्मेदारी। यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह किसी खराब वस्तु या दोषी सेवा के कारण होने वाले नुकसान या चोट के लिए उपभोक्ता को मुआवजा दे। आपको बता दें कि मुआवजे का दावा करने के लिए उपभोक्ता को बिल में स्पष्ट खराबी या दोष से जुड़ी कम से कम 1 शर्त को साबित करना होगा तभी मुआवजा देय होगा ।
असंज्ञेय अपराध (Non Cognizable) क्या है
दंड एवं उपचार के बारे में प्रावधान
- अगर कोई व्यक्ति जिला, राज्य या राष्ट्रीय आयोगों के आदेशों का पालन नहीं करता तो उसे कम से कम 1 माह और अधिकतम 3 साल तक के कारावास की सजा हो सकती है या उस पर कम से कम 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है जिसे 1 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है या उसे दोनों सजा दी जा सकती है।
- झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के लिए मैन्यूफैक्चरर या एंडोर्सर पर 10 लाख रुपए तक का दंड लगाया जा सकता है और अधिकतम दो वर्षों का कारावास भी हो सकता है। इसके बाद अपराध करने पर यह जुर्माना बढ़कर 50 लाख रुपए तक हो सकता है और सजा 5 वर्षों तक बढ़ाई जा सकती है। दोषी को दण्ड और जुर्माने दोनों से दण्डित भी किया जा सकता है।
- सीसीपीए भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर को एक वर्ष तक की अवधि के लिए किसी विशेष उत्पाद या सेवा को एंडोर्स करने से प्रतिबंधित भी कर सकती है। हर बार अपराध करने पर प्रतिबंध की अवधि 3 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। ऐसे कुछ अपवाद भी हैं जब एंडोर्सर को ऐसे किसी दंड के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
- सीसीपीए मिलावटी उत्पादों की मैन्यूफैक्चरिंग, बिक्री, स्टोरिंग, वितरण या आयात के लिए भी दंड लगा सकती है। ये दंड निम्नलिखित हैं: (i) अगर उपभोक्ता को क्षति नहीं हुई है तो दंड 1 लाख रुपए तक का जुर्माना और 6 महीने तक का कारावास हो सकता है, (ii) अगर क्षति पहुँची है तो दंड तीन लाख रुपए तक का जुर्माना और एक वर्ष तक का कारावास हो सकता है, (iii) अगर गंभीर चोट लगी है तो दंड 5 लाख रुपए तक का जुर्माना और 7 वर्ष तक का कारावास हो सकता है, (iv) मृत्यु की स्थिति में दंड दस लाख रुपए या उससे अधिक का जुर्माना और कम से कम 7 साल का कारावास हो सकता है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
- सीसीपीए नकली वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग, बिक्री, स्टोरिंग, वितरण या आयात के लिए भी दंड लगा सकती है। ये दंड निम्नलिखित हैं: (i) अगर क्षति पहुँची है तो दंड 3 लाख रुपए तक का जुर्माना और 1 वर्ष तक का कारावास हो सकता है, (ii) अगर गंभीर चोट लगी है तो दंड 5 लाख तक का जुर्माना और 7 वर्ष तक का कारावास हो सकता है, (iii) मृत्यु की स्थिति में दंड 10 लाख रुपए या उससे अधिक का जुर्माना और कम से कम 7 वर्ष का कारावास हो सकता है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
संज्ञेय अपराध (Cognisable Offence) क्या है
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनेगे है कैसे सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |
माननीय वकिल साहब नमस्कार सविनय निवेदन है कि देखने में अविवाहित किंतु परिवारिक पुरुष से कोर्टमेरिज कि हैं और विना लिखित दस्तावेज के साथ मनोनीत तौरपर मेरे घर में पांच माह से रहते हुए जब विवाहित पुरुष से घर में प्रवेश करके से बंचित करने और घर खाली कराने पर पुलिस बुलाती है जबकि पुलिस ने उसकि बात कि शैली से घर खाली करने का दिनांक निर्धारित करने पर खाली करने पर टाल मटोल करती हैं
कृपया उचित उपाय दें|