सीआरपीसी की धारा 131 क्या है | Section 131 CRPC in Hindi


सीआरपीसी की धारा 131 क्या है

दंड प्रक्रिया सहिता में जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्तिइसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 131 में  किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 131 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 131 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |

(CrPC Section 131) Dand Prakriya Sanhita Dhara 131 (जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति)

इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 131 में “जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्तिइसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 131 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

सीआरपीसी की धारा 133 क्या है



CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 131 के अनुसार :-

जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति–

जब कोई ऐसा जमाव लोक सुरक्षा को स्पष्टतया संकटापन्न कर देता है और किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट से संपर्क नहीं किया जा सकता है तब सशस्त्र बल का कोई आयुक्त या राजपत्रित अधिकारी ऐसे जमाव को अपने समादेशाधीन सशस्त्र बल की मदद से तितर-बितर कर सकता है और ऐसे किन्हीं व्यक्तियों को, जो उसमें सम्मिलित हों, ऐसे जमाव को तितर-बितर करने के लिए या इसलिए कि उन्हें विधि के अनुसार दंड दिया जा सके, गिरफ्तार और परिरुद्ध कर सकता है, किंतु यदि उस समय, जब वह इस धारा के अधीन कार्य कर रहा है, कार्यपालक मजिस्ट्रेट से संपर्क करना उसके लिए साध्य हो जाता है तो वह ऐसा करेगा और तदनन्तर इस बारे में कि वह ऐसी कार्यवाही चालू रखे या न रखे, मजिस्ट्रेट के अनुदेशों का पालन करेगा।

सीआरपीसी की धारा 125 क्या है 

According to Section. 131 – “Power of certain armed force officers to disperse assembly ”–

When the public security is manifestly endangered by any such assembly and no Executive Magistrate can be communicated with, any commissioned or gazetted officer of the armed forces may disperse such assembly with the help of the armed forces under his command, and may arrest and confine any persons forming part of it, in order to disperse such assembly or that they may be punished according to law; but if, while he is acting under this section, it becomes practicable for him to communicate with an Executive Magistrate, he shall do so, and shall thenceforward obey the instructions of the Magistrate, as to whether he shall or shall not continue such action.

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आपको आज  दंड प्रक्रिया संहिता  की धारा 131 “जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्तिइसके  बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

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