सीआरपीसी की धारा 176 क्या है
दंड प्रक्रिया सहिता में “मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच“ इसका प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 176 में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) की धारा 176 के लिए किस तरह अप्लाई होगी | दंड प्रक्रिया सहिता यानि कि CrPC की धारा 176 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा |
(CrPC Section 176) Dand Prakriya Sanhita Dhara 176 (मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच)
इस पेज पर दंड प्रक्रिया सहिता की धारा 176 में “मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच“ इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं ? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 176 कब नहीं लागू होगी ये भी बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 176 के अनुसार :-
मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच –
(1) ***** जब मामला धारा 174 की उपधारा (3) के खंड (i) या खंड (11) में निर्दिष्ट प्रकृति का है] तब मृत्यु के कारण की जांच, पुलिस अधिकारी द्वारा किए जाने वाले अन्वेषण के बजाय या उसके अतिरिक्त, वह निकटतम मजिस्ट्रेट करेगा जो मृत्यु-समीक्षा करने के लिए सशक्त है और धारा 174 की उपधारा (1) में वर्णित किसी अन्य दशा में इस प्रकार सशक्त किया गया कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकेगा; और यदि वह ऐसा करता है तो उसे ऐसी जांच करने में वे सब शक्तियां होंगी जो उसे किसी अपराध की जांच करने में होती।
[(1क) जहाँ,
(क) कोई व्यक्ति मर जाता है या गायब हो जाता है, या
(ख) किसी स्त्री के साथ बलात्संग किया गया अभिकथित है, तो उस दशा में जब कि ऐसा व्यक्ति या स्त्री पुलिस अभिरक्षा या इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य अभिरक्षा में है, वहां पुलिस द्वारा की गई जांच या किए गए अन्वेषण के अतिरिक्त, यथास्थिति, ऐसे न्यायायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा, जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर अपराध किया गया है, जांच की जाएगी।]
(2) ऐसी जांच करने वाला मजिस्ट्रेट उसके संबंध में लिए गए साक्ष्य को इसमें इसके पश्चात् विहित किसी प्रकार से, मामले की परिस्थितियों के अनुसार अभिलिखित करेगा।
(3) जब कभी ऐसे मजिस्ट्रेट के विचार में यह समीचीन है कि किसी व्यक्ति के, जो पहले ही गाड़ दिया गया है. मृत शरीर की इसलिए परीक्षा की जाए कि उसकी मृत्यु के कारण का पता चले तब मजिस्ट्रेट उस शरीर को निकलवा सकता है और उसकी परीक्षा करा सकता है।
(4) जहां कोई जांच इस धारा के अधीन की जानी है, वहां मजिस्ट्रेट, जहां कहीं साध्य है, मृतक के उन नातेदारों को, जिनके नाम और पते ज्ञात हैं, इत्तिला देगा और उन्हें जांच के समय उपस्थित रहने की अनुज्ञा देगा।
(5) उपधारा (1क) के अधीन, यथास्थिति, जांच या अन्वेषण करने वाला न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, किसी व्यक्ति की मृत्यु के चौबीस घंटे के भीतर उसकी परीक्षा किए जाने की दृष्टि से शरीर को निकटतम सिविल सर्जन या अन्य अर्हित चिकित्सा व्यक्ति को, जो इस निमित्त राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया गया हो, भेजेगा जब तक कि लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से ऐसा करना संभव न हो।] स्पष्टीकरण-इस धारा में “नातेदार” पद से माता-पिता, संतान, भाई, बहिन और पति या पत्नी अभिप्रेत हैं।
According to Section. 176 – “Inquiry by Magistrate Into cause of Death ”–
(1) When any person dies while in the custody of the police or when the case is of the nature referred to in clause (i) or clause (ii) of Sub-Section (3) of section 174, the nearest Magistrate empowered to hold inquests shall, and in any other case mentioned in Sub-Section (1) of section 174, any Magistrate so empowered may hold an inquiry into the cause of death either instead of, or in addition to, the investigation held by the police officer; and if he does so, he shall have all the powers in conducting it, which he would have in holding an inquiry into an offence.
1A. Where,-
any person dies or disappears, or
rape is alleged to have been committed on any woman, while such person or woman is in the custody of the police or in any other custody authorised by the Magistrate or the Court under this Code, in addition to the inquiry or investigation held by the police, an inquiry shall be held by the Judicial Magistrate or the Metropolitan Magistrate, as the case may be, within whose local jurisdiction the offence has been committed.
(2) The Magistrate holding such an inquiry shall record the evidence taken by him in connection therewith in any manner hereinafter prescribed according to the circumstances of the case.
(3) Whenever such Magistrate considers it expedient to make an examination of the dead body of any person who has been already interred, in order to discover the cause of his death, the Magistrate may cause the body to be disinterred and examined.
(4) Where an inquiry is to be held under this section, the Magistrate shall, wherever practicable, inform the relatives of the deceased whose names and addresses are known, and shall allow them to remain present at the inquiry,
(5) The Judicial Magistrate or the Metropolitan Magistrate or Executive Magistrate or police officer holding an inquiry or investigation, as the case may be, under Sub-Section (1A) shall, within twenty-four hours of the death of a person, forward the body with a view to its being examined to the nearest Civil Surgeon or other qualified medical person appointed in this behalf by the State Government, unless it is not possible to do so for reasons to be recorded in writing.
आपको आज दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 “मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच“ इसके बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |