भारतीय कानून की जानकारी | परिभाषा, अधिकार, नियम | Indian Law in Hindi


Indian Law in Hindi

आज जब हम आधुनिक युग की बात करें या फिर प्राचीन समय की दोनों ही कालो में हमें कानून के बारे में देखने और सुनने का मौका मिलता है, लेकिन अक्सर आम जन इन कानूनों के बारे में या तो अनभिज्ञ रहता है या तो थोड़ा बहुत जानता है जिसका कारण हमारे कानूनों की भाषा का जटिल होना | दोस्तों हम इसी बात को ध्यान में रख कर आपके लिए लाये हैं आपके अपने इस लॉ पोर्टल Nocriminals.org  पर “कानून की जानकारी”  आसान भाषा में, इस पेज पर आपको न केवल IPC, CrPC के जटिल प्रावधानों को आसानी से समझया गया है बल्कि इसके साथ ही संविधान तथा और अन्य अधिनियम से सम्बंधित जानकारियां  विस्तार से आम जान की भाषा में बताया गया है जिससे सभी लोग अपने कानून और अधिकारों से परिचित हो सकें | 

असंज्ञेय अपराध (Non Cognizable) क्या है

हम पोर्टल के इस सेगमेंट में आपको IPC, भारतीय संविधान, CrPC व सभी भारतीय कानूनों के बारे में सटीकता के साथ जानकारी देने का प्रयास करेंगे जिसमे प्रोफेशनल वकील की भाषा के साथ सामान्य व्यक्ति भी समझ का भी ध्यान रखा जायेगा | आप यहाँ भारतीय कानून की जानकारी और कानून  की परिभाषा, नागरिको के अधिकार, कानून के नियम इन सबके बारे में आसानी से समझेंगे | आपको बताते चले कि लोकतन्त्रीय आस्थाओं, नागरिकों के अधिकारों व स्वतन्त्रओं की रक्षा करने और सभ्य समाज के निर्माण के लिए कानून का शासन बहुत जरूरी है, या यूँ  कहें कि इसका कोई अन्य विकल्प नहीं है। कानून का शासन का अर्थ है कि कानून के सामने सब समान होते हैं । यह सर्व विदित है कि कानून राजनीतिक शक्ति को निरंकुश बनने से रोकती है और समाज में सुव्यवस्था भी बनाए रखने में मदद करती है।



कानून की जानकारी

जब आपको अपने कानून और  भारतीय संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के बारे में पता रहता है तब ही केवल आप इनका प्रयोग कर सकते हैं परन्तु दुर्भाग्यवश कानून के बनने के इतने दिनों बाद भी आज तक लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं हैं | इस पेज पर हमने यही प्रयास किया है कि ऐसे  कानूनों और अधिकारों की चर्चा की जाये जो कि साधारण लोगों  को शोषण से बचाये |

1. ड्राइविंग के समय यदि आपके 100ml ब्लड में अल्कोहल का लेवल 30mg से ज्यादा मिलता है तो पुलिस बिना वारंट आपको गिरफ्तार कर सकती है | ये बात मोटर वाहन एक्ट, 1988, सेक्शन -185,२०२ के तहत बताई गई है |

2. किसी भी महिला को शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नही किया जा सकता है | ये बात दंड प्रक्रिया संहिता, सेक्शन 46 में निहित है |

3. पुलिस अफसर FIR लिखने से मना नही कर सकते, ऐसा करने पर उन्हें 6 महीने से 1 साल तक की जेल हो सकती है| ये आता है (Indian Penal Code) भारतीय दंड संहिता, 166 A के अंतर्गत |

4. कोई भी शादीशुदा व्यक्ति किसी अविवाहित लड़की या विधवा महिला से उसकी सहमती से शारीरिक सम्बन्ध बनाता है तो यह अपराध की श्रेणी में नही आता है | (Indian Penal Code) भारतीय दंड संहिता व्यभिचार, धारा ४९८

5. यदि दो वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो यह गैर कानूनी नही है | और तो और इन दोनों से पैदा होने वाली संतान भी गैर कानूनी नही है और संतान को अपने पिता की संपत्ति में हक़ भी मिलेगा | इसको (Domestic Violence Act) घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अंतर्गत बताया गया है 

6. कोई भी कंपनी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती, ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है| ये मातृत्व लाभ अधिनियम, १९६१के अंतर्गत आता है |

7. तलाक निम्न आधारों पर लिया जा सकता है : हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कोई भी (पति या पत्नी) कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे सकता है। व्यभिचार (शादी के बाहर शारीरिक रिश्ता बनाना), शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, नपुंसकता, बिना बताए छोड़कर जाना, हिंदू धर्म छोड़कर कोई और धर्म अपनाना, पागलपन, लाइलाज बीमारी, वैराग्य लेने और सात साल तक कोई अता-पता न होने के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है। इसको हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) की धारा-13 में बताया गया है |

 8. कोई भी दुकानदार किसी उत्पाद के लिए उस पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक रुपये नही मांग सकता है परन्तु उपभोक्ता, अधिकतम खुदरा मूल्य से कम पर उत्पाद खरीदने के लिए दुकानदार से भाव तौल कर सकता है | अधिकतम खुदरा मूल्य अधिनियम, 2014

संज्ञेय अपराध (Cognisable Offence) क्या है

आप यहाँ हमसे कोई भी कानून से सम्बंधित सीधा सवाल भी पूछ सकते है, नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की सहायता से आप अपना क्वेश्चन पोस्ट कर सकते है जिसका हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे | यदि क्वेश्चन के अलावा और  कुछ भी शंका कानून को लेकर आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |

जज (न्यायाधीश) कैसे बने

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6 thoughts on “भारतीय कानून की जानकारी | परिभाषा, अधिकार, नियम | Indian Law in Hindi”

    • 1. संज्ञेय अपराध होने पर भी यदि पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है तो आपको वरिष्ठ अधिकारी के पास जाना चाहिए और लिखित शिकायत दर्ज करवाना चाहिए.

      2. अगर तब भी रिपोर्ट दर्ज न हो, तो CRPC (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) के सेक्शन 156(3) के तहत मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत में अर्जी देनी चाहिए. मैट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के पास यह शक्ति है कि वह FIR दर्ज करने के लिए पुलिस को आदेश दे सकता है.

      3.सर्वोच्च न्यायालय ने प्राथमिकी अर्थात FIR दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए हैं. न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी है कि FIR दर्ज होने के एक सप्ताह के अंदर प्राथमिक जांच पूरी की जानी चाहिए. इस जांच का मकसद मामले की पड़ताल कर अपराध की गंभीरता को जांचना है. इस तरह पुलिस इसलिए मामला दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकती है कि शिकायत की सच्चाई पर उन्हें संदेह है.

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