आईपीसी धारा 111 क्या है | IPC Section 111 in Hindi – विवरण


आईपीसी धारा 111 क्या है

आज हम आपके लिए इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 111 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे  कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 111 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC)  की धारा 111 क्या है,  इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 111 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

आईपीसी धारा 59 क्या है



IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा) की धारा 111 के अनुसार :-

दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है

जब कि किसी एक कार्य का दुष्प्रेरण किया जाता है, और कोई भिन्न कार्य किया जाता है, तब दुष्प्रेरक उस किए गए कार्य के लिए उसी प्रकार से और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने सीधे उसी कार्य का दुष्प्रेरण किया हो :

परन्तुक-परन्तु यह तब जब कि किया गया कार्य दुष्प्रेरण का अधिसम्भाव्य परिणाम था और उस उकसाहट के असर के अधीन या उस सहायता से या उस षडयंत्र के अनुसरण में किया गया था जिससे वह दुष्प्रेरण गठित होता है ।

दृष्टांत-

(क) एक शिशु को य के भोजन में विष डालने के लिए क उकसाता है, और उस प्रयोजन से उसे विष परिदत्त करता है । वह शिशु उस उकसाहट के परिणामस्वरूप भूल से म के भोजन में, जो य के भोजन के पास रखा हुआ है, विष डाल देता है । यहां, यदि वह शिशु क के उकसाने के असर के अधीन उस कार्य को कर रहा था, और किया गया कार्य उन परिस्थितियों में उस दुष्प्रेरण का अधिसम्भाव्य परिणाम है, तो क उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने उस शिशु को म के भोजन में विष डालने के लिए उकसाया हो ।

(ख) ख को य का गृह जलाने के लिए क उकसाता है । ख उस गृह को आग लगा देता है और उसी समय वहां सम्पत्ति की चोरी करता है । क यद्यपि गृह को जलाने के दुष्प्रेरण का दोषी है, किन्तु चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी नहीं है ; क्योंकि वह चोरी एक अलग कार्य थी और उस गृह जलाने का अधिसम्भाव्य परिणाम नहीं थी।

(ग) ख और ग को बसे हुए गृह में अर्धरात्रि में लूट के प्रयोजन से भेदन करने के लिए क उकसाता है, और उनको उस प्रयोजन के लिए आयुध देता है । ख और ग वह गृह-भेदन करते हैं, और य द्वारा जो निवासियों में से एक है, प्रतिरोध किए जाने पर म की हत्या कर देते हैं । यहां, यदि वह हत्या उस दुष्प्रेरण का अधिसम्भाव्य परिणाम थी, तो क हत्या के लिए उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय है ।

आईपीसी धारा 58 क्या है

Section 111 –   “Liability of abettor when one act abetted and different act done ”–

When an act is abetted and a different act is done, the abettor is liable for the act done, in the same manner and to the same extent as if he had directly abetted it:

(Proviso) —Provided the act done was a probable consequence of the abetment, and was committed under the influence of the instiga­tion, or with the aid or in pursuance of the conspiracy which constituted the abetment.

Illustrations-

(a) A instigates a child to put poison into the food of Z, and gives him poison for that purpose. The child, in consequence of the instigation, by mistake puts the poison into the food of Y, which is by the side of that of Z. Here, if the child was acting under the influence of A’s instigation, and the act done was under the circumstances a probable consequence of the abetment. A is liable in the same manner and to the same extent as if he had instigated the child to put the poison into the food of Y.

(b) A instigates B to burn Z’s house. B sets fire to the house and at the same time commits theft of property there. A, though guilty of abetting the burning of the house, is not guilty of abetting the theft; for the theft was a distinct act, and not a probable consequence of the burning.

(c) A instigates B and C to break into an inhabited house at midnight for the purpose of robbery, and provides them with arms for that purpose. B and C break into the house, and being resist­ed by Z, one of the inmates, murder Z. Here, if that murder was the probable consequence of the abetment, A is liable to the punishment provided for murder.

आईपीसी धारा 57 क्या है

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 111 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

आईपीसी धारा 56 क्या है


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