आईपीसी धारा 342 क्या है
भारतीय दंड संहिता में “सदोष परिरोध के लिए दंड अर्थात ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड ” (IPC) की धारा 342 में परिभाषित (डिफाइन) किया गया है | यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 342 किस तरह अप्लाई होगी | भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 342 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा
(IPC Section 342) – ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड
इस पोर्टल के माध्यम से भारतीय दंड सहिता की धारा 342 में “सदोष परिरोध के लिए दंड अर्थात ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड ” के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 342 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ? सभी बातों को आज हम विस्तृत रूप से यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से अवलोकन कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 342 के अनुसार :-
सदोष परिरोध के लिए दंड
“जो भी कोई किसी व्यक्ति को ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा”।
S. 342 – “Punishment for wrongful confinement”–
“Whoever wrongfully confines any person shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both”.
लागू अपराध
किसी व्यक्ति को ग़लत तरीके से प्रतिबंधित कर देना ।
सजा – 1 वर्ष कारावास या 1 हजार रुपए जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिसे परिरुद्ध किया गया है) द्वारा समझौता करने योग्य है।
आईपीसी की धारा 342 में सजा (Punishment) क्या होगी
किसी व्यक्ति को ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करेगा या सदोष परिरोध करेगा तब उसके लिए दंड का निर्धारण भारतीय दंड संहिता में धारा 392 के तहत किया गया है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 342 में “ग़लत तरीके से परिरोध करने पर “इस अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | इसके लिए उस व्यक्ति को जिसके द्वारा ऐसा अंजाम दिया गया है उसको – 1 वर्ष कारावास या 1 हजार रुपए जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
आईपीसी (IPC) की धारा 342 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 342 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती और संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिल जाती है , क्योंकी CrPC में यह जमानतीय अपराध बताया गया है ।
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 342 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को सीमित करना | 1 साल के लिए कारावास या 1 हजार रुपए जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) |