आईपीसी धारा 389 क्या है | IPC Section 389 in Hindi – विवरण सजा का प्रावधान


आईपीसी धारा 389 क्या है

आज हम आपके लिए इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 389 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे  कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 389 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 389 क्या है,  इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |

उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 389 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |



आईपीसी धारा 380 क्या है

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा) की धारा 389 के अनुसार :-

उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना

जो कोई उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध यह अभियोग लगाने का भय दिखलाएगा या यह भय दिखलाने का प्रयत्न करेगा कि उसने ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है, जो मृत्यु से या ‘[आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; तथा यदि वह अपराध ऐसा हो जो इस संहिता की धारा 377 के अधीन दंडनीय है, तो वह ‘[आजीवन कारावास से दंडित किया जा सकेगा ।

Section 389 –   “ Putting person in fear of accusation of offence, in order to commit extortion ”–

“Whoever, in order to the committing of extor­tion, puts or attempts to put any person in fear of an accusa­tion, against that person or any other, of having committed, or attempted to commit an offence punishable with death or with 1[imprisonment for life], or with imprisonment for a term which may extend to ten years, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine; and, if the offence be punishable under section 377 of this Code, may be punished with imprison­ment for life.”

आईपीसी धारा 384 क्या है

लागू अपराध

किसी व्यक्ति को अपराध (जिसकी सज़ा मॄत्यु दण्ड या आजीवन कारावास, या दस वर्ष तक कारावास है) का आरोप लगाने का भय दिखलाना।

सजा – 10 वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड ।

यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

यदि अपराध अप्राकृतिक संभोग (धारा 377 के अधीन दण्डनीय) है।

तब सजा – आजीवन कारावास होगी ।

आईपीसी धारा 386 क्या है

आईपीसी की धारा 389 में सजा (Punishment) क्या होगी

यहाँ भारतीय दंड संहिता में धारा 389 किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | जो इस प्रकार है – किसी व्यक्ति को अपराध (जिसकी सज़ा मॄत्यु दण्ड या आजीवन कारावास, या दस वर्ष तक कारावास है) का आरोप लगाने का भय दिखलाना, उसको 10 वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड से दण्डित | यदि अपराध अप्राकृतिक संभोग (धारा 377 के अधीन दण्डनीय) है। तब सजा – आजीवन कारावास होगी ।

आईपीसी धारा 392 क्या है

आईपीसी (IPC) की धारा 389 में  जमानत  (BAIL) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 389 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिल जाती  है क्योंकी CrPC में यह जमानतीय अपराध बताया गया है ।

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 389 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट  बॉक्स  के  माध्यम  से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

आईपीसी धारा 394 क्या है

अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
किसी व्यक्ति को अपराध (जिसकी सज़ा मॄत्यु दण्ड या आजीवन कारावास, या दस वर्ष तक कारावास है) का आरोप लगाने का भय दिखलाना।10 वर्ष कारावास और आर्थिक दण्डसंज्ञेयजमानतीयप्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता)
यदि अपराध अप्राकृतिक संभोग (धारा 377 के अधीन दण्डनीय) आजीवन कारावास

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