आईपीसी धारा 409 क्या है | IPC Section 409 in Hindi – विवरण, सजा का प्रावधान


आईपीसी धारा 409 क्या है

भारतीय दंड संहिता में लोक सेवक दारा या बैंकार, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंगको  (IPC) की धारा 409 में परिभाषित (डिफाइन) किया गया है |  यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 किस तरह अप्लाई होगी | भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 409 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे |

इस पोर्टल के माध्यम से भारतीय दंड सहिता की धारा 409 में “लोक सेवक दारा या बैंकार, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंगकी सजा के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ? सभी बातों को आज हम विस्तृत रूप से यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से अवलोकन कर सकते हैं |

आईपीसी धारा 406 क्या है



IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 409 के अनुसार :-

लोक सेवक दारा या बैंकार, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंग–

“जो कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंकार, व्यापारी, फैक्टर दलाल, अटी या अभिकर्ता के रूप में अपने कारखार के अनुक्रम में किसी प्रकार संपत्ति या संपत्ति पर कोई भी अख्यार अपने को न्यस्त होते हुए उस संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह ‘[आजीवन कारावास] से. या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा “।

S. 409 – “ Criminal breach of trust by public servant, or by banker, merchant or agent ”–

“Whoever, being in any manner entrusted with property, or with any dominion over property in his capacity of a public servant or in the way of his business as a banker, mer­chant, factor, broker, attorney or agent, commits criminal breach of trust in respect of that property, shall be punished with 1[imprisonment for life], or with imprisonment of either descrip­tion for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine”.

आईपीसी धारा 420 क्या है

लागू अपराध

1. लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन करने पर

सजा – 10 वर्ष का कारावास और आर्थिक दंड।

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

आईपीसी धारा 427 क्या है

आईपीसी की धारा 409 में सजा (Punishment) क्या होगी

लोक सेवक दारा या बैंकार, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंगयह भारतीय दंड संहिता में धारा 409 के तहत अपराध माना जाता है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 मे  किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | इसके लिए उस व्यक्ति को जिसके द्वारा ऐसा किया गया हो उसको –

1. लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन करने पर

सजा – 10 वर्ष का कारावास और आर्थिक दंड।

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

आईपीसी धारा 467 क्या है

आईपीसी (IPC) की धारा 409 में जमानत (BAIL) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक गैर -जमानती और संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि गैर – जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिलने में मुश्किल आती है क्योंकी CrPC में यह गैर – जमानतीय अपराध बताया गया है ।

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

आईपीसी धारा 468 क्या है

अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
लोक सेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट आदि द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघनआजीवन कारावास या 10 साल + जुर्मानासंज्ञेयगैर – जमानतीयप्रथम श्रेणी  मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता)

आईपीसी धारा 471 क्या है


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