आईपीसी धारा 506 क्या है | IPC 506 in Hindi | धारा 506 में सजा और जमानत


आईपीसी धारा 506 क्या है

यहाँ आप आज जानेंगे की आखिर IPC की धारा 506 क्या कहती है और इसका क्या मतलब होता है साथ ही आप यहाँ इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी के साथ अपनी नॉलेज को अपडेट करेंगे | तो आइये जानते हैं क्या कहती है ये IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 506 |

आईपीसी धारा 504 क्या है

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 506 के अनुसार

जब कोई भी व्यक्ति आपराधिक धमकी का अपराध करता है, तो उसे किसी एक वर्ष की अवधि के लिए कारावास जिसको दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। धारा 506 यही बात बताती है |

अब देखते हैं धमकी किन किन बातों के लिए दी गई हो सकती है आपको बता दे की यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट, आदि के लिए है या आग से किसी संपत्ति का विनाश कारित करने के लिए, या मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने के लिए, या सात वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने के लिए, या किसी महिला पर अपवित्रता का आरोप लगाने के लिए हो, तो अपराधी को किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।



आईपीसी धारा 509 क्या है

आईपीसी धारा 506 में वर्णित अपराध के विषय में

जैसे की हमने ऊपर वर्णन किया है की यह धारा किस अपराध के लिए बात करती है आइये इसको संक्षिप्त में देखते धारा 506 को – इसमें आपराधिक धमकी के बारे में बात की गई है तथा इसकी सजा – 2 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों है। आपको ये भी यह बता दें-  यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है | दूसरी बात  यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने, आदि के लिए हैतो फिर सजा – 7 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों होगा | यहाँ आप एक और बात जान ले की यह अपराध पीड़ित व्यक्ति के द्वारा समझौता योग्य भी है अर्थात इसमें आप समझौता भी कर सकते हैं |

आईपीसी की धारा 506 के दंड के विषय में

आइये अब देखते हैं धारा 506 के दंड के बारे में विस्तार से समझते हैं यहाँ आप जान गए होंगे की IPC की धारा 506 आपराधिक धमकी के बारे में हैं तो अगर कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति को कोई आपराधिक धमकी देगा, आपको बता दें धमकी का अर्थ जैसे कि किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देना या किसी को आग से जलाना या किसी की प्रॉपर्टी को आग से जला कर खत्म करने की धमकी देना, या किसी का रेप करने की धमकी देना, या किसी व्यक्ति से अपनी बात मनवाने के लिए किसी आपराधिक तरीके से धमकी देना ये सब बातें धमकी की श्रेणी में आएँगी  इस प्रकार की धमकी अपराधिक धमकी मानी जाती  है। इस प्रकार की  धमकियां देने पर IPC 506 की धारा अप्लाई हो जाएगी । यहाँ एक बात और है की यदि धमकी के साथ – साथ  कोई व्यक्ति किसी महिला की इज्जत पर किसी प्रकार का लांछन लगाएगा तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर भी IPC 506 की धारा ही अप्लाई होगी।

इस प्रकार की धमकियों के लिए IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा 506 के अनुसार दंड का प्रावधान किया गया है। यहाँ आपको यह भी बता दें की भारतीय दंड संहिता की धारा 506 में गवाहों की ज्यादा जरूरत नहीं होती है, अगर पीड़ित यानी जिस व्यक्ति को धमकी दी गई है, वह न्यायालय में यह साबित कर दे कि उसको इस बात के लिए धमकी दी गई है इतना ही काफी है |

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 आईपीसी की धारा 506 में सजा कैसे होगी

 जब भी आपराधिक धमकी देने का अपराध किसी व्यक्ति द्वारा कारित होता  है, तब उसे भारतीय दंड संहिता यानि की IPC की धारा 506 के अनुसार कारावास की सजा का प्रावधान दिया गया है, जिसकी समय सीमा को 2 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही साथ इस धारा में आर्थिक दंड का प्रावधान भी किया  गया है, या फिर दोनों दण्डों को एक साथ भी अप्लाई किया जा सकता है।

अब यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को मृत्यु या कोई और बड़ा अपराध करने की धमकी देता है, या किसी महिला की इज्जत पर बिना बात के लांछन लगाने की धमकी देगा या आग से जला कर नुकसान पहुंचाने की, या फिर किसी संपत्ति को आग से जलाकर ख़त्म करने की धमकी देता  है, तो ऐसे व्यक्ति को कठोर सजा का भी  प्रवधान जैसे मृत्युदंड या कम से कम 7 बर्ष तक के कारावास की सजा दी जा सकती है, जिसे अपराध की गंभीरता को देखते हुए आजीवन कारावास तक की सजा में बदला जा सकता है साथ – साथ आर्थिक दंड से दण्डित किया जा सकता है।

आईपीसी की धारा 506 में जमानत के विषय में

आपको यहाँ ये बात धयान रखिये की IPC भारतीय दंड संहिता की धारा 506 में जिस भी अपराध के बारे में बताया गया है यह एक गैर – संज्ञेय अपराध है। इसका मतलब होता है कि इस अपराध में किसी भी आरोपी को जमानत दी जा सकती है। इसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को साधारण आपराधिक धमकी देता है, तो यह किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है, और यदि मृत्यु या गंभीर चोट की धमकी दी जाती है, तो यह केवल और केवल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। इस अपराध में यदि पीड़ित व्यक्ति चाहे तो आरोपी के साथ समझौता कर सकता है |

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