आईपीसी धारा 53 क्या है
आज हम आपके लिए इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 53 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 53 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 53 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 53 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 53 के अनुसार :-
दण्ड
अपराधी इस संहिता के उपबंधों अधीन जिन दण्डों से दण्डनीय हैं, वे ये हैं—
पहला – मॄत्यु;
दूसरा – आजीवन कारावास;
तीसरा – [1949 के अधिनियम 17 की धारा 2 द्वारा निरस्त ]
चौथा – कारावास, जो दो भांति का है, अर्थात्: –
1 – कठिन, अर्थात् कठोर श्रम के साथ;
2 – सादा;
पांचवा- सम्पत्ति का समपहरण;
छँटवा – आर्थिक दण्ड।
According to Section 53 – “ Punishment”–
The punishments to which offenders are liable under the provisions of this Code are—
First.— Death;
Secondly.— Imprisonment for life;
Third – [***]
Fourthly. — Imprisonment, which is of two descriptions, namely:—
(1) Rigorous, that is, with hard labour;
(2) Simple;
Fifthly. — Forfeiture of property;
Sixthly. — Fine.
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 53 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |