आईपीसी (IPC) धारा 147 क्या है
बलवा या दंगा फसाद करने पर क्या अपराध होता है भारतीय दंड संहिता के अनुसार इस बात पर कभी क्या कभी आपने विचार किया | हम आज IPC के इसी टॉपिक पे चर्चा करने वाले हैं | आपको बता दें कि इस तरह उपरोक्त लिखित शब्द बलवा या दंगा IPC में कहाँ परिभाषित है ये धारा 147 के अंतरगत समाहित किया गया है |
यहाँ इस पेज पर आज आपको इसी से सम्बंधित पूरी जानकारी मिलेगी जैसे IPC की धारा 147 क्या है ? इस धारा 147 के अंतरगत सजा का क्या प्रावधान है | इसमें जमानत होगी तो कैसे होगी या नहीं होगी इन्ही सभी बातों को आज हम विस्तार से जानेगे इस आर्टिकल में साथ ही यहाँ इस पोर्टल पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उनका भी अवलोकन कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 147 के अनुसार :-
बल्वा करने के लिए दंड–
“जो कोई बल्वा करने का दोषी होगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ”।
S. 147 – “Punishment for rioting”–
“Whoever is guilty of rioting, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both “.
लागू अपराध
- इसमें “उपद्रव करना” शामिल है |
- सजा – 2 वर्ष के कारावास या आर्थिक दंड या दोनों हो सकता है |
- यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
- यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
IPC की धारा 147 में वर्णित अपराध के विषय में
यहाँ सबसे पहले आपको समझना होगा कि आखिर धारा 146 क्या है? क्युकी धारा 146 में करित अपराध की सजा को धारा 147 में परिभाषित किया गया है | अब अगर हम आसान भाषा में समझे तो अगर किसी व्यक्ति या सामान्य उदेश्य के साथ समूह द्वारा दंगा या बलवा या हिंसा की जाये चाहे उस समूह के केवल एक व्यक्ति द्वारा ही क्यों न हो तब ये भारतीय दंड संहिता के अनुसार ये अपराध माना जायेगा | और इसके लिए धारा 147 के अनुसार कारावास के दंड से, जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकती है, या जुर्माने से, या दोनों से भी दंडित किया जायेगा |
आईपीसी की धारा 147 में सजा (Punishment) क्या होगी
यहाँ धारा 146 में जो अपराध बताया गया है उसके लिए इस IPC के 147 धारा में सजा के बारे में प्रावधान है | जब भी कभी विधि के विरुद्ध किसी भी जनसमूह के सामान्य उद्देश्य को अभियोजित करने में उस विधिविरुद्ध जनसमूह या उसके किसी भी सदस्य के द्वारा दंगा या बल या हिंसा का प्रयोग किया जाये तो यह अपराध के श्रेणी में आएगा और इसके लिए कारावास के दंड से, जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकती है, या जुर्माने से, या दोनों से भी दंडित किया जा सकता है ।
आईपीसी (IPC) की धारा 147 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
IPC की इस धारा 146 में जिस अपराध के बारे में बताया गया है उसकी सजा का प्रावधान धारा 147 में दिया गया है | आपको बता दें कि यह अपराध संज्ञेय अपराध होता है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। लेकिन यह एक जमानती अपराध है, जिसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा यह अपराध कारित किया जाता है, तो उसके द्वारा न्यायालय में जमानत याचिका दायर करने पर न्यायालय द्वारा उसकी याचिका पर जमानत दी जानी चाहिए। आपको ये भी जानकारी होनी चाहिए कि इस धारा की जमानत थाने से ही हो जाती है।
मित्रो आज हमने आपको यहाँ इस आर्टिक्ल के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 यानि कि बलवा के लिए दंड और बलवा क्या होता है इन सब के विषय में बताया और इसमें सजा के साथ ही जमानत के क्या प्रावधान होंगे इसकी जानकारी दी | यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित कुछ भी शंका आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |
Section 147 khtam ho sakti hai?
PROOVE KRNA HOGA KI AAP ISME SHAMIL NAHI THE..
Please tell me
Suggestion
Is dhara ko Thane se jamanat mil sakti hai kya ??
Aur jis bhi vyakti ka name se mukdama huwa hai uska name hatwa sakte hai ???
YES….