आईपीसी धारा 332 क्या है
भारतीय दंड संहिता की जितनी भी महत्वपूर्ण धाराएं हैं उनके बारे में हमारी टीम एक – एक करके आपके लिए सभी धाराओं पर पूरे जोर शोर से काम कर रही है जिसका लाभ आपको मिल रहा होगा | इसी क्रम में आज इस पेज पर “लोक सेवक को अपने कर्तव्य से डराकर उसको चोट पहुँचाना एक प्रकार का अपराध है इसको भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 332 में विस्तार से बताया गया है |
हम आज आपको बताएंगे कि यह अपराध होने पर धारा 332 किस तरह काम करती है | आज का विषय इसी धारा को लेकर चर्चा करने का है | यहाँ हम आपको भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 332 क्या है ? इसके सभी पहलुओं पर विस्तार से यहाँ डिस्कस करेंगे इस आर्टिकल कि माध्यम से इसके बारे में पूरी जानकारी यहाँ प्रस्तुत की जाएगी |
यहाँ इस पेज पर इस धारा 332 में सजा के लिए क्या नियम और कितनी सजा देने का प्रावधान है इन सब विषयों के बारे में जानकारी दी जा रही है | साथ ही (IPC) की धारा 332 में जमानत के क्या प्रावधान है ? इन्ही सभी बातों पर आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे इस आर्टिकल के माध्यम से, साथ ही यहाँ इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उनका भी अवलोकन करके अन्य धाराओं के बारे में विस्तार से जानकारी ले सकते हैं | |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 332 के अनुसार :-
लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना-
“जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को, वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी. जर्माने से. या दोनों से, दण्डित किया जाएगा” ।
S. 332 – “ Voluntarily causing hurt to deter public servant from his duty ”–
“Whoever voluntarily causes hurt to any person being a public servant in the discharge of his duty as such public servant, or with intent to prevent or deter that person or any other public servant from discharging his duty as such public servant, or in consequence of anything done or attempted to be done by that person in the lawful discharge of his duty as such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both”.
लागू अपराध
लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
सजा – 3 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या फिर दोनों हो सकते हैं |
यह एक गैर–जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 332 में सजा (Punishment) क्या होगी
यहाँ भारतीय दंड संहिता में धारा 332 किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | जो इस प्रकार है – लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना”, तब उस व्यक्ति को जिसके द्वारा ऐसा किया गया है उसको 3 वर्ष के लिए कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जा सकता है | यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी (IPC) की धारा 332 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 332 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उसका अपराध एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि संज्ञेय अपराध और गैर-जमानतीय होने पर इसमें जमानत मिलने में मुश्किल आती है क्योंकी यह गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध है साथ ही यह प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 332 के बारे में इस आर्टिक्ल के माध्यम से जानकारी हुई होगी इसमें क्या अपराध बनता है कैसे ये धारा अप्लाई होगी | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी इन सब के विषय से सम्बंधित बातों का उल्लेख किया गया है और साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे इसकी जानकारी भी दी है | यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |