आईपीसी (IPC) धारा 353 क्या है
इस धारा में जब किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/भयोपरत के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया जाता है तो यह एक अपराध होगा | हम इस लेख में बात करने जा रहे है IPC की धारा 353 के बारे में, यहाँ हम पूरी चर्चा करेंगे कि IPC (आईपीसी) की धारा 353 क्या है, IPC की इस धारा 353 के अंतर्गत क्या अपराध आता है साथ ही इस धारा 353 में सजा का क्या प्रावधान बताया गया है | इसमें जमानत से सम्बंधित क्या नियम है इस विषय को भी हम यहाँ समझेंगे |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 353 के अनुसार :-
“लोक सेवक को अपने कर्त्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग”
“जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति पर, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वैसे लोक सेवक के नाते वह उसके अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो, या इस आशय से कि उस व्यक्ति को वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करे या भयोपरत करे या ऐसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्त्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणाम-स्वरूप हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा”।
Section 353 IPC, as defined under the code states as,
S. 353 – “Assault or criminal force to deter public servant from discharge of his duty”
“Whoever assaults or uses criminal force to any person being a public servant in the execution of his duty as such public servant, or with intent to prevent or deter that person from discharging his duty as such public servant, or in consequence of anything done or attempted to be done by such person in the lawful discharge of his duty as such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both”.
लागू अपराध
एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/भयोपरत के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना अपराध होगा |
सजा – 2 वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है |
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 353 में सजा (Punishment) क्या होगी
इस धारा में जब किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/भयोपरत के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया जाता है तो यह एक अपराध होगा इसके लिए सजा – 2 वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है | यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है, साथ ही यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी (IPC) की धारा 353 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
आपने अब तक ऊपर बताई गई इस धारा 353 से सम्बंधित काफी जानकारी या यूँ कहें लगभग सभी प्रकार की जानकारी ले ली है | अब हम आपको इसमें ये बताएंगे कि इस धारा में जमानत के क्या प्रावधान हैं यहाँ हम देखते है कि IPC की धारा 353 के अंतर्गत एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/भयोपरत के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया जाये तो यह इस धारा के तहत अपराध होगा इस अपराध की प्रकृति गैर–जमानती है | जिसका अर्थ यह हुआ कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा यह अपराध कारित होता है, तो इसमें तुरंत बेल नहीं होगी ।
आपने यहाँ इस लेख कि माध्यम से IPC की धारा 353 के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित कुछ भी शंका आपके मन में हो या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमसे बेझिझक पूँछ सकते है |
sarpanch k sath kiya gai durvavhar 353 mai ata ha kiya
YES.
Ipc 353 and 290 Isme kitne din me bail mil sakta hai please reply
IPC ki dhara 332 , 353 me kitne din ke baad bail ho sakti
Kya police verification me uske bete ko koi problem aa sakti hai
Please tell me sir
YEAH OFFENCE BAILABLE NAHI HAI …KUCH CONDITION ME BAIL SAMBHAV HAI…