आईपीसी धारा 375 क्या है
भारतीय दंड संहिता में विभिन्न अपराधों के लिए अलग अलग धाराओं में प्रावधान करके उनको परिभाषित किया गया है | आज हम भारतीय दंड संहिता की उस धारा के बारे में बात करेंगे जो कि महिलाओं से सम्बंधित अपराध के विषय में बताता है इसमें “बलात्संग (Rape)” को परिभाषित किया गया, यह बहुत ही घिनौना अपराध है |
भारतीय दंड सहिता (IPC) में “बलात्संग (Rape)” को धारा 375 में परिभाषित किया गया है | आज आपको हम यहाँ इस आर्टिकल में यही बताएंगे कि इस अपराध के होने पर भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 375 किस तरह लागू होगी | यहाँ हम आपको भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 375 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में समझाने का प्रयास करेंगे |
इस पोर्टल के माध्यम से आज यहाँ धारा 375 की सजा के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है | सभी बातों को आज हम विस्तृत रूप से यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 375 के अनुसार :-
बलात्संग-
“जो पुरुष एतस्मिन् पश्चात् अपवादित दशा के सिवाय किसी स्त्री के साथ निम्रलिखित छह भांति की परिस्थितियों में से किसी परिस्थिति में मैथुन करता है, वह पुरुष “बलात्संग’करता है, यह कहा जाता है :
पहला-उस स्त्री की इच्छा के विरुद्ध ।
दूसरा-उस स्त्री की सम्मति के बिना।
तीसरा-उस स्त्री की सम्मति से, जबकि उसकी सम्मति, उसे या ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे वह हितबद्ध है, मृत्यू या उपहति के भय में डालकर अभिप्राप्त की गई है।
चौथा-उस स्त्री की सम्मति से, जबकि वह परुष यह जानता है कि वह उस स्त्री का पति नहीं है और उस स्त्री ने सम्मति इसलिए दी है कि वह विश्वास करती है. कि वह ऐसा परुष है जिससे वह विधिपर्वक विवाहित है या विवाहित होन का विश्वास करती है।
पांचवां-उस स्त्री की सम्मति से, जबकि ऐसी सम्मति देने के समय वह विकृतचित्त या मत्तता के कारण या उस पुरुष द्वारा व्यक्तिगत रूप में या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से कोई संज्ञा शून्यकारी या अस्वास्थ्यकर पदार्थ दिए जाने के कारण, उस बात की, जिसके बारे में वह सम्मति देती है, प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है। । छठा- उस स्त्री की सम्मति से या बिना सम्मति के, जबकि वह सोलह वर्ष से कम आयु की है।
स्पष्टीकरण- बलात्संग के अपराध के लिए आवश्यक मैथुन गठित करने के लिए प्रवेशन पर्याप्त है। अपवाद-पुरुष का अपनी पत्नी के साथ मैथुन बलात्संग नहीं है जबकि पत्नी पन्द्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है।
टिप्पणी –
भारतीय परिपेक्ष में संपुष्टि की अनुपस्थिति में लैंगिक हमले के पीड़ित के साक्ष्य पर कार्य करने से इन्कार करना नियम के रूप में क्षति में अपमान जोड़ना है । सिद्धान्तत: लैंगिक हमले के पीड़ित का साक्ष्य और चोटिल साक्षी का साक्ष्य समान स्थान पर ही खडा है यदि पीडित के साक्ष्य में कोई मूल कमी नहीं है, और सम्भावना घटक उसे अविश्वसनीय नहीं बनाते. सामान्य नियम यह है कि सिवाय चिकित्सीय साक्ष्य के जहाँ संपुष्टि की प्रत्याशा की जा सकती है, संपुष्टि पर जोर देने का कोई कारण नहीं। भारवाडा भोगिन भाई बनाम गुजरात राज्य, AIR 1983 SC 753 ।
S. 375 – “Rape.”–
“A man is said to commit “rape” who, except in the case hereinafter excepted, has sexual intercourse with a woman under circumstances falling under any of the six following descriptions:—
(First) — Against her will.
(Secondly) —Without her consent.
(Thirdly) — With her consent, when her consent has been obtained by putting her or any person in whom she is interested in fear of death or of hurt.
(Fourthly) —With her consent, when the man knows that he is not her husband, and that her consent is given because she believes that he is another man to whom she is or believes herself to be lawfully married.
(Fifthly) — With her consent, when, at the time of giving such consent, by reason of unsoundness of mind or intoxication or the administration by him personally or through another of any stupefying or unwholesome substance, she is unable to understand the nature and consequences of that to which she gives consent.
(Sixthly) — With or without her consent, when she is under sixteen years of age. Explanation.—Penetration is sufficient to constitute the sexual intercourse necessary to the offence of rape.
(Exception) —Sexual intercourse by a man with his own wife, the wife not being under fifteen years of age, is not rape
आईपीसी की धारा 375 में सजा (Punishment) क्या होगी
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 में बलात्कार के अपराध के लिए जिस दंड का प्रावधान किया गया है उसको (IPC) की धारा 376 में परिभाषित किया है। इस 376 धारा के अनुसार यदि किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर अपराध सिद्ध होने पर दोषी को कम से कम 7 वर्ष व अधिकतम 10 वर्ष तक कड़ी सजा और आजीवन कारावास दिए जाने का प्रावधान है, इस अपराध में कारावास की सजा के साथ – साथ आर्थिक दंड भी दिया जायेगा | यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और यह {सेशन कोर्ट} सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होता है।
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के बारे में इस आर्टिक्ल के माध्यम से पूरी जानकारी हो गई होगी इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |