क्या वकीलों को अपने कार्यों का विज्ञापन देने की अनुमति है ?


भारत में प्रतिवर्ष एक बड़ी संख्या में कानून की पढ़ाई पूरी करनें के बाद एक वकील के रूप में नामांकित होने के लिए बार काउंसिल में आवेदन करते हैं। इसके पश्चात इस पेशे में अच्छी ख्याति प्राप्त करनें के उद्देश्य से वह वकालत की शुरुआत करते है | परन्तु कानूनी पेशा अपनानें वाले लोगों और लॉ फर्मों को अपने पेशे का विज्ञापन करने का अधिकार नहीं है |  दरअसल बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए गए नियमों के अंतर्गत अधिवक्ताओं की सेवाओं या उनके पेशे को लेकर विज्ञापन देने से प्रतिबंधित किया गया है |

यहाँ पर आज आपको  “क्या वकील अपने कार्यों का विज्ञापन दे सकते है”  इसके  के बारे में बताने का प्रयास करेंगे | आज का  आर्टिकल पूर्ण रूप से इसी बात पर आधारित  है | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर  अन्य महत्वपूर्ण लॉ से सम्बन्धित  बातों को विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से उनके बारे में भी  जानकारी ले सकते हैं |

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जैसा की आर. एन. शर्मा, एडवोकेट बनाम हरियाणा राज्य 2003 (3) RCR (Criminal) 166 (P&H) के प्रकरण में ऐसा माना गया कि एडवोकेट न्यायालय का एक अधिकारी होता है, और कानूनी पेशा किसी प्रकार का व्यवसाय या व्यापार नहीं है| एक वकील को कानूनी रूप से निर्धारित सीमाओं के अन्दर अपने भावी मुवक्किलों के लिए न्याय दिलानें के लिए भरसक प्रयास करना होता है और शायद इसी कारणवश वकीलों को अपनी सेवाओं का विज्ञापन देने कि अनुमति नहीं है। वकीलों को अपनी कार्यों का विज्ञापन देने की अनुमति क्यों नहीं है, इसके बारें में यहाँ आपको विस्तार से जानकारी दे रहे है |

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वकीलों द्वारा विज्ञापन दिए जाने पर प्रतिबन्ध का कारण  

कानूनी पेशा अपनानें वाले लोगों को अपने पेशे का विज्ञापन करने पर प्रतिबन्ध की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान विकसित विक्टोरियन धारणाओं से शुरू हुई। भारत में कानूनी पेशे को यूके के समान एक सम्मानजनक पेशा माना जाता है, जिसके कारण कानून से सम्बंधित कानूनी पेशेवरों द्वारा विज्ञापन दिया जाना उचित नहीं माना जाता है और इसे व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है | हालाँकि यूके में अब अधिवक्ता अपनी सेवाओं का विज्ञापन दे सकते हैं |

अधिवक्ताओं को अपनें कार्यों का विज्ञापन देने से प्रतिबंधित किया जाना इस मत पर आधारित है, कि यदि इस पेशे में व्यावसायिकता व्याप्त हो जाएगी और एक अधिवक्ता अपनी योग्यता, कौशल और आत्मसम्मान पर ध्यान देने के बजाय, उनका ध्यान मिलनें वाले लाभ, फीस और उपहार की ओर केन्द्रित होनें लगेगा | जबकि एक अधिवक्ता का मुख्य उद्देश्य अपनी व्यक्तिगत सफलता सुनिश्चित करनें के बजाय अपनें मुवक्किल को न्याय दिलाना होता है |

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बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र बनाम एम. वी. दधोलकर के मामले में जस्टिस कृष्णा अय्यर ने यह कहा था कि “कानून कोई व्यापार नहीं है, इसमें किसी माल को बेचा नहीं जाता है और इसलिए व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा को कानूनी पेशे को बदनाम नहीं करना चाहिए.”

भारतीय कानून की जानकारी

गौरतलब है कि, बार काउन्सिल ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रदान किए गए विज्ञापन प्रतिबंध सम्बन्धी नियम भारत में मध्यस्थता संस्थानों पर लागू नहीं होते हैं, क्योंकि ऐसे संस्थान ‘कानूनी सेवा’ देने के बजाय ‘विवाद समाधान सेवाओं’ की पेशकश करते हैं। ऐसा इसलिए भी है कि बार काउंसिल के नियम सिर्फ वकीलों और लॉ फर्मों पर लागू होते हैं।

यद्यपि सी. डी. सेक्किज्हर बनाम सेक्रेटरी, बार काउंसिल, मद्रास AIR 1967 Mad 35 के प्रकरण में जस्टिस वीरास्वामी ने इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा था, कि कानून के पेशे के एक सदस्य द्वारा किसी भी रूप में विज्ञापन दिया जाना निंदनीय आचरण के रूप में देखा जाता है। इस पेशे से जुड़े लोगों ने इस पेशे की महानता को विकसित किया है और स्वयं के लिए बड़े मानक स्थापित किये हैं, इस पेशे को मिलने वाले सम्मान और गरिमा के चलते यह पेशा, ऐसा उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए उपयुक्त भी है।

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम 36 के अनुसार

बीसीआई (BCI) नियम 36 के अनुसार कोई भी भारतीय लॉ फर्म और अधिवक्ताओं को ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से विज्ञापन देनें की अनुमति नहीं है | बीसीआई नियम 36 में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत में अधिवक्ता अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से परिपत्रों, व्यक्तिगत संचार या साक्षात्कारों के माध्यम से या समाचार पत्रों में टिप्पणियों या तस्वीरों को प्रस्तुत करने या प्रेरित करने के माध्यम से अपनें कार्यों का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं।    

बीसीआई नियम 36 के अंतर्गत एक अधिवक्ता के नाम की नेम-प्लेट या साइनबोर्ड का आकर उचित रूप से होना चाहिए इसके साथ ही उस पर यह इंगित नहीं किया जाना चाहिए कि वह वकील, बार काउंसिल के अध्यक्ष या सदस्य हैं, या किसी एसोसिएशन के सदस्य हैं या वह किसी व्यक्ति या संगठन से जुड़े हैं या वह न्यायाधीश या महाधिवक्ता रहे हैं।

वर्ष 2008 में बीसीआई ने नियम 36 में संशोधन करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया, इस प्रस्ताव के अंतर्गत अधिवक्ताओं को अपनी वेबसाइट पर अपना नाम, निवास, फोन नंबर, ईमेल आईडी और शैक्षणिक योग्यता, नामांकन और अपने प्रैक्टिस क्षेत्र से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी गयी है। हालाँकि इस प्रकार की जानकारी  प्रदान करने वाले कानूनी पेशेवरों को यह घोषणा करनी होती है कि उनके द्वारा दिया गया विवरण पूर्ण रूप से वास्तविक है।

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यदि कोई भी अधिवक्ता इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके विरुद्ध अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के अंतर्गत मुकदमा चलाया जा सकता है। इस सेक्शन के अंतर्गत प्राप्त शिकायत को लेकर एक राज्य बार काउंसिल के पास अनेक शक्तियां हैं, जो इस प्रकार है-

  • शिकायत को खारिज करनें की शक्ति  
  • अधिवक्ता को डाटने या फटकार लगानें की शक्ति  
  • वकील को एक निर्धारित समय के लिए प्रैक्टिस करने से प्रतिबंधित करनें कि शक्ति  
  • अधिवक्ता का नाम अधिवक्ताओं के राज्य रोल से हटानें की शक्ति

एस. के. नाइकर बनाम प्राधिकृत अधिकारी (1967) 80 Mad. LW 153 के मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने माना था, कि एक अधिवक्ता का साइन बोर्ड या नेम प्लेट मध्यम आकार का होना चाहिए और यह भी कहा गया कि एक वकील के हस्ताक्षर के तहत, अखबार में प्रकाशन के लिए लेख लिखना, पेशेवर शिष्टाचार का उल्लंघन है।

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अन्य देशों में नियम की जानकारी

अमेरिका में अधिवक्ताओं द्वारा विज्ञापन दिए जाने पर प्रतिबंधों की संवैधानिक वैधता को बेट्स बनाम स्टेट बार ऑफ एरिज़ोना (1977) के मामले में चुनौती दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रथम संशोधन (जो अन्य बातों के अलावा, वाक्‌-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य सुनिश्चित करता है) के संरक्षण में ऐसे प्रचार को उचित बताया क्योंकि इस तरह के संचार/प्रचार से जनता को अपने हित में निर्णय लेने की शक्ति मिलती है और इससे उचित मूल्य की जानकारी प्राप्त हो सकती है।

पारंपरिक विक्टोरियन धारणाओं के कारण यूके में कानूनी विज्ञापन पर प्रतिबन्ध था, परन्तु वर्ष 1970 में एकाधिकार और विलय आयोग और वर्ष 1986 में फेयर ट्रेडिंगस कार्यालय की समीक्षा के बाद ब्रिटेन में यह प्रतिबंध हटा दिया गया। इसके अलावा सिंगापुर कानूनी पेशे (व्यावसायिक आचरण) नियम 2015 कानूनी पेशेवरों द्वारा ऐसे नियमों के अनुसार ‘प्रचार’ की अनुमति देता है |

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आज के इस आर्टिकल में हमने आपको “क्या वकील अपने कार्यों का विज्ञापन दे सकते है” इसके बारे में विस्तार से जानकारी यहाँ इस पेज पर दी है अगर फिर भी आप के मन में इससे संबंधित कोई प्रश्न हैं तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं हम आप के द्वारा पूछे गए प्रश्नो का उत्तर देने का पूरा प्रयास करेंगे |

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