Free Legal Aid in India | New Application, Check Status at nalsa.gov.in


Free Legal Aid in India

क्या आप न्याय पाने के लिए मुकदमा लड़ना चाहते हैं और इसके लिए आपके पास पैसे नहीं है, यहाँ  आपको बिलकुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योकि सरकार आपको मुफ्त में वकील (एडवोकेट) उपलब्ध कराएगी |  जिसके लिए “सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987” पारित किया है | इसमें प्रावधान है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को फ्री में कानूनी सहायता दी जाएगी |

आज हम आपको इस पेज पर Free Legal Aid in India | New Application, Check Status at nalsa.gov.in के बारे में पूर्ण रूप से चर्चा करेंगे |, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण कानूनों के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य कानूनों  के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |

भारतीय संविधान की 9वीं अनुसूची क्या है



संवैधानिक प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 39A में प्रावधान है कि- ‘राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि न्यायतंत्र इस प्रकार से काम करें कि सभी को न्याय का समान अवसर मिले एवं आर्थिक या किसी अन्य कारण से कोई नागरिक न्याय प्राप्ति से वंचित न रह जाए। इसके लिये राज्य निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।’

अनुच्छेद 14 और 22 (1) भी राज्य के लिये विधि के समक्ष समता सुनिश्चित करने का प्रावधान करते हैं जो सभी को न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने के आधार को बढ़ावा देता है।

कौन ले सकता है फ्री कानूनी सहायता

जैसा कि हमने आपको शुरू में ही बताया कि भारतीय संसद ने गरीबों को फ्री कानूनी सहायता देने के लिए साल 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया था. एडवोकेट काला के मुताबिक मुफ्त में कानूनी सहायता जिन लोगों को दी जाती है, वे इस प्रकार हैं –

  • अनुसूचित जाति या जनजाति समुदाय के लोगों |
  • भिखारी या मानव तस्करी के शिकार व्यक्ति |
  • महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों |
  • किसी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकम्प, बाढ़ और सूखा आदि के शिकार व्यक्तियों |
  • बलवे या जातीय हिंसा या साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार व्यक्ति |
  • किसी औद्योगिक हादसे के शिकार व्यक्तियों और कामगारों |
  • बाल सुधार गृह के किशोर और मानसिक रोगी |
  • ऐसे व्यक्ति को जिसकी सालाना इनकम 25 हजार से कम है |

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NALSA द्वारा किये गए के प्रयास

  1. कानूनी सहायता की इच्छा रखने वाले लोगों के लिये वन-स्टॉप सेंटर के रूप में ज़िला स्तर पर न्यायिक सहायता कार्यालयों को आधुनिक बनाना।
  2. कानूनी सहायता प्राप्त मामलों के रिकॉर्ड को अद्यतन करना ताकि कानूनी सहायता प्राप्त करने वालों को उनके मामलों की प्रगति के बारे में बताया जा सके और मामलों की बेहतर निगरानी संभव हो सके।
  3. NALSA के जागरूकता कार्यक्रमों (जैसे डोर-टू-डोर कैंपेन) ने लोगों को कानूनी सलाह और अन्य प्रकार की कानूनी सेवाओं जैसे अनुप्रयोगों के प्रारूपण आदि के बारे में जागरूक बनाया है।
  4. भारतीय राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने लीगल एड सर्विस ऐप लॉन्च किया है ।

मुफ्त कानूनी सहायता पाने के लिए कहाँ करें संपर्क

अगर आप मुफ्त कानूनी सलाह पाना चाहते है तो आपको पास तीन विकल्प है – अगर आप का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, तो नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी जिसे नालसा (National Legal Service Authority) कहते हैं | वहीँ अगर आप का केस हाईकोर्ट में चल रहा है, तो मुफ्त कानूनी सहायता के लिए राज्य के स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी जिसे सालसा (State Legal Service Authority) कहते है | इसके अलावा अगर आप का केस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चल रहा है तब इसके लिए डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी, जिसे डालसा (District Legal Service Authority) कहते है, से संपर्क कर सकते हैं |

  • आपको बता दें कि लंबित केस के किसी भी स्तर पर कानूनी सहायता प्रदान की जा सकती है। इसके अतिरिक्त मुफ्त कानूनी सहायता के लिए योग्य व्यक्तियों को मुकदमें से पूर्व भी कानूनी सहायता प्राप्त हो सकती है।
  • साथ ही आपको यहाँ हम ये भी बताना चाहेंगे कि यदि प्रार्थी निरक्षर है या लिखने की स्थिति में नहीं है तो विधिक सेवाएं प्राधिकरण/समिति का सचिव अथवा अन्य कोई अधिकारी उसके मौखिक बयान को रिकार्ड करेगा और उस रिकार्ड पर उसके अंगूठे का निशान/हस्ताक्षर लेगा और उस रिकार्ड को उसके प्रार्थना-पत्र के समान ही समझा जाएगा।
  • अगर बात किन्नरों की करें तो वे किन्नर जिनकी सालाना आय 2 लाख रू. से कम हैं, मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के अधिकारी है।
  • बेहद खास बात –  जेल में बंद कैदियों को कानूनी सहायता जेल में स्थित लीगल सर्विसिज क्लीनिक में कानूनी सहायता अधिवक्ता के माध्यम से प्रदान की जाती है।
  • कोर्ट फीस, प्रोसेस फीस और टाइपिंग शुल्क की अदायगी प्राधिकरण के द्वारा की जाएगी। यह सारा व्यय सरकार के द्वारा किया जाता है।
  • आपको यहाँ ये भी जानना चाहिए कि सभी मामलों में, चाहे वो criminal Case हो या civil case हो या रेवेनु सभी में  नि:शुल्क कानूनी सहायता का प्रावधान है।

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कानूनी सेवाएं निम्नलिखित स्थितियों में वापिस ली जा सकती हैं

  1. जब सहायता प्राप्त व्यक्ति के पास पर्याप्त संसाधन हो।
  2. जब सहायता प्राप्त व्यक्ति ने कानूनी सेवाएँ मिथ्या निरूपण अथवा कपट के द्वारा प्राप्त की हो।
  3. जब सहायता प्राप्त व्यक्ति विधिक सेवाएँ प्राधिकरण/समिति के साथ अथवा विधिक सेवाएँ अधिवक्ता के साथ सहयोग न कर रहा हो।
  4. जब व्यक्ति ने विधिक सेवाएं प्राधिकरण/समिति के द्वारा नियुक्त अधिवक्ता के अतिरिक्त अन्य विधि व्यवसायी को भी यह कार्य सौंपा हो।
  5. सहायता प्राप्त व्यक्ति की मृत्यु हो जाने की स्थिति में अपवाद स्वरूप दीवानी केस में जहां अधिकार और दायित्व बाकी हों।
  6. जहां कानूनी सहायता के लिए प्राप्त प्रार्थना पत्र में कानून का दुरूपयोग होना पाया जाए।

“शीला बारसे बनाम स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र में माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने कहा है की व्यक्ति की गिरफ़्तारी के तुरंत बाद पुलिस का यह अनिवार्य कर्त्तव्य है कि नजदीकी विधिक सहायता केंद्र में इसकी इत्तला की जाये जिससे की समय रहते अभियुक्त की क़ानूनी सहायता की जा सके।“

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मित्रों उपरोक्त से आपको आज Free Legal Aid in India | New Application, Check Status at nalsa.gov.in के बारे में जानकारी हो गई होगी | यदि फिर भी इससे सम्बन्धित या अन्य से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट  बॉक्स  के  माध्यम  से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

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