साक्ष्य अधिनियम धारा 18 क्या है | Indian Evidence Section 18 in Hindi


साक्ष्य अधिनियम की धारा 18 क्या है

आज हम आपके लिए इस पेज पर साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 18 की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे  कि साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 18 किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? साक्ष्य अधिनियम की धारा 18 क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे |

स्वीकृति–कार्यवाही के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ साक्ष्य अधिनियम की धारा 18 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

साक्ष्य अधिनियम धारा 1 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 2 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 3 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 4 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 5 क्या है 
साक्ष्य अधिनियम धारा 6 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 7 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 8 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 9 क्या है
साक्ष्य अधिनियम धारा 10 क्या है

[Indian Evidence Act Sec. 18 in Hindi]

साक्ष्य अधिनियम धारा 17 क्या है



Indian Evidence Act (साक्ष्य अधिनियम) की धारा 18 के अनुसार :-

स्वीकृतिकार्यवाही के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा

वे कथन स्वीकृतियां हैं, जिन्हें कार्यवाही के किसी पक्षकार ने किया हो, या ऐसे किसी पक्षकार के ऐसे किसी अभिकर्ता ने किया हो जिसे मामले की परिस्थितियों में न्यायालय उन कथनों को करने के लिए उस पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त या विवक्षित रूप से प्राधिकृत किया हुआ मानता है।

प्रतिनिधिक रूप से वादकर्ता द्वारा–वाद के ऐसे पक्षकारों द्वारा, जो प्रतिनिधिक हैसियत में वाद ला रहे हों या जिन पर प्रतिनिधिक हैसियत में बाद लाया जा रहा हो, किए गए कथन, जब तक कि वे उस समय न किए गए हों जबकि उनको करने वाला पक्षकार वैसी हैसियत धारण करता था, स्वीकृतियां नहीं हैं।

वे कथन स्वीकृतियां हैं, जो-

(1) विषयवस्तु में हितबद्ध पक्षकार द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किए गए हैं, जिनका कार्यवाही की विषयवस्तु में कोई साम्पत्तिक या धन संबंधी हित है और जो इस प्रकार हितबद्ध व्यक्तियों की हैसियत में वह कथन करते हैं, अथवा

(2) उस व्यक्ति द्वारा जिससे हित व्युत्पन्न हुआ हो—ऐसे व्यक्तियों द्वारा किए गए हैं, जिनसे वाद के पक्षकारों का वाद की विषयवस्तु में अपना हित व्युत्पन्न हुआ है। यदि वे कथन उन्हें करने वाले व्यक्तियों के हित के चालू रहने के दौरान में किए गए हैं।

साक्ष्य अधिनियम धारा 16 क्या है

According to Indian Evidence Act Section 18 –  “Admission––by party to proceeding or his agent”–

Statements made by a party to the proceeding, or by an agent to any such party, whom the Court regards, under the circumstances of the case, as expressly or impliedly authorized by him to make them, are admissions.

by suitor in representative character. –– Statements made by parties to suits suing or sued in a representative character, are not admissions, unless they were made while the party making them held that character.

Statements made by ––

(1) by party interested in subject-matter.–– persons who have any proprietary or pecuniary interest in the subject-matter of the proceeding, and who make the statement in their character of persons so interested, or

(2) by person from whom interest derived.–– persons from whom the parties to the suit have derived their interest in the subject-matter of the suit,

are admissions, if they are made during the continuance of the interest of the persons making the statements.

साक्ष्य अधिनियम धारा 15 क्या है

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 18 के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |

साक्ष्य अधिनियम धारा 14 क्या है

यदि आप अपने सवाल का उत्तर प्राइवेट चाहते है तो आप अपना सवाल कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से पूछें |
Leave a Comment