यहाँ आज इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 6 में क्या परिभाषित (डिफाइन) किया गया है इसको यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 1 किस प्रकार से दी गई है यहाँ आप देख सकते हैं | भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 6 क्या है, इसके बारे में भी आप यहाँ जानेंगे |
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 6 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 6 के अनुसार :-
संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना –
“इस संहिता में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दण्ड उपबंध और हर ऐसी परिभाषा या दण्ड उपबंध का हर दृष्टांत, “साधारण अपवाद शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दण्ड उपबंध या दृष्टांत में दुहराया न गया हो”।
S. 6 – “Definition in the Code to be understood subject to exceptions”.-
“Throughout this Code every definition of an offence, every penal provision and every illustration of every such definition or penal provision, shall be understood subject to the exceptions contained in the Chapter entitled “General Exceptions”, though those exceptions are not repeated in such definition, penal provision, or illustration”.
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 6 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
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