अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) क्या है
भारत ऐसा लोकतान्त्रिक देश है, जो संविधान के नियमों से चलता है | संविधान में किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो पाए इसके लिए कुछ नियम कानून बनाये गए है, जिसका देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पालन करना होता है | इसी तरह आज हम अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) क्या होती है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे है, यदि कोई आपराधिक घटना हो जाती है, और आप पर कोई झूठा केस बनाकर आपको फ़साना चाहता है, तो आप संविधान द्वारा बनाये गए अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) नियम से उसकी मंशा पर पानी फेर सकते है |
इसमें कोर्ट द्वारा आदेश जारी होता है कि कोई व्यक्ति आवेदन कर्ता के खिलाफ करती है तो FIR के बाद पुलिस को 7 दिन पहले करना होता है, और FIR की कॉपी देनी होती है, ताकि व्यक्ति अपनी जमानत का इंतजाम जल्द कर सके |
इसके अलावा कई मामलों में FIR दर्ज हो जाती है और उस व्यक्ति का नाम भी लिस्ट में आ रहा है तो वह धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत पाने का हकदार होता है | यदि आप भी अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) क्या है, अग्रिम जमानत के नियम, कैसे मिलती है, इसके विषय में जानना चाहते है तो पूरी जानकारी दी जा रही है |
अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) क्या है
अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) भी अन्य सभी जमानतों की तरह है, परन्तु यह जमानत कोर्ट से व्यक्ति की गिरफ्तारी होने से पहले ही प्राप्त हो जाती है इसके अलावा सभी जमानत व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद प्राप्त होती है | अग्रिम जमानत का मतलब गिरफ्तारी होने से पहले ही कोर्ट द्वारा व्यक्ति रिहाई प्राप्त कर लेना | अग्रिम जमानत प्राप्त कर लेने के बाद व्यक्ति को कानूनी हिरासत में नहीं लिया जा सकता है | यह जमानत एक अस्थायी स्वतंत्रता के रूप में होती है | आरोपों की गंभीरता को देखने के बाद सच्चाई का पता लग जाने के बाद न्यायाधीश जमानत या अग्रिम जमानत मंजूर कर देते है | यह एक ऐसी जमानत है, जिसमें व्यक्ति का अपराध जब तक पूरी तरह से सिद्ध नहीं हो जाता तब तक व्यक्ति जमानत पर रिहा रहता है |
जमानती, गैर जमानती अपराध क्या है
अग्रिम जमानत के नियम (RULE)
भारतीय दंड संहिता की धारा-438 के अंतर्गत अग्रिम जमानत देने का प्रावधान बनाया गया है | इस धारा में सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है, जो पूर्ण रूप से अपराध का हिस्सा नहीं होते है और उन्हें उस अपराध में फंसाया जाता है | इसलिए वह गिरफ्तारी से पहले ही कोर्ट में आवेदन करके अग्रिम जमानत मंजूर करवा सकते है | इसके बाद कोर्ट की प्रक्रिया में सच्चाई तक पहुंचकर न्यायाधीश पर्सनल बॉन्ड के साथ जमानत पेश करने के लिए आदेश जारी करते है | इसके अतिरिक्त व्यक्ति को जमानती शुल्क भी 10 हजार रुपये तक का पेश करने का आदेश दिया जाता है, जो शुल्क व्यक्ति द्वारा कोर्ट में जमा करवाया जाता है |
अगर किसी कारणवश कोई व्यक्ति किसी के आपराधिक मामलें में फंसने की आशंका होती हैं, तो उस व्यक्ति की एफआईआर से पूर्व ही अग्रिम जमानत हेतु आवेदन करने का अधिकार रखता है, क्योंकि जमानत प्राप्त हो जाने के पश्चात् उस व्यक्ति को कोर्ट द्वारा पुलिस को यह आदेश दिया जाता है, कि “यदि कोई एफआईआर अमुख व्यक्ति के खिलाफ दर्ज होती है तो एफआईआर दर्ज होने के बाद उस व्यक्ति को सात दिन या जब तक कोर्ट के कहे दिन के पहले उस व्यक्ति को सूचित करना होगा और एफआईआर की कॉपी देनी होगी |“
शपथ पत्र (Affidavit) क्या होता है
अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) हेतु आवेदन कब होता है?
किसी भी आपराधिक मामले में पुलिस के द्वारा गिरफ़्तारी की शंका होने पर व्यक्ति गिरफ़्तारी के पूर्व ही अग्रिम जमानत हेतु आवेदन करने का अधिकार रखता है अगर कोर्ट की ओर से वह व्यक्ति अग्रिम जमानत प्राप्त करने में कामयाब हो जाता है, तो उस व्यक्ति की जमानत के अनुसार गिरफ्तारी नहीं हो सकती है | इसके अलावा कुछ लोग व्यक्तिगत रंजिश में किसी व्यक्ति को फंसाकर अपराधी होने का दवा पेश करते है यानि कि झूठें मामलें में फ़साने की कोशिश करते है, तो ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति अग्रिम जमानत हेतु आवेदन करने का हकदार होता है, और अग्रिम जमानत लेकर खुद को सुरक्षित कर सकता है |
क्या पुलिस अग्रिम जमानत याचिका के निस्तारण से पूर्व अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है। यदि investigatin officer मनमाने ढंग से गिरफ्तारी हेतु दविश देती है तो कार्यवाही करनी चाहिए ?
NO…