आईपीसी धारा 174 क्या है
भारतीय दंड संहिता में “लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना” एक अपराध माना गया है और इसके लिए दण्ड का प्रावधान (IPC) की धारा 174 में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 174 किस तरह अप्लाई होगी |
भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 174 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा | पसंद आने पर आर्टिकल शेयर जरूर करें |
(IPC Section 174) लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना
इस पेज पर भारतीय दंड सहिता की धारा 174 में “लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना” इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 174 के अनुसार :-
लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना–
“जो कोई किसी लोक सेवक द्वारा निकाले गए उस समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा के पालन में, जिसे ऐसे लोक सेवक के नाते निकालने के लिए वह वैध रूप से सक्षम हो, किसी निश्चित स्थान और समय पर स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए.
उस स्थान या समय पर हाजिर होने का साशय लोप करेगा, या उस स्थान से, जहां हाजिर होने के लिए वह आबद्ध है, उस समय से पूर्व चला जाएगा, जिस समय चला जाना उसके लिए विधिपूर्ण होता,
वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा. या दोनों से,
अथवा. यदि समन, सूचना, आदेश या उदघोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या किसी अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए है. तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से. दंडित किया जाएगा ।“
दृष्टांत
(क) क कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा निकाले गए सपीना के पालन में उस न्यायालय के समक्ष उपसंजात होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उपसंजात होने में साशय लोप करता है. क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(ख) क [जिला न्यायाधीश द्वारा निकाले गए समन के पालन में उस [जिला न्यायाधीश के समक्ष साक्षी के रूप में उपसंजात होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उपसंजात होने में साशय लोप करता है | क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
According to Section. 174 – “ Preventing service of summons or other proceeding, or preventing publication thereof ”–
“Whoever, being legally bound to attend in person or by an agent at a certain place and time in obedience to a summons, notice, order or proclamation proceeding from any public servant legally competent, as such public servant, to issue the same,
intentionally omits to attend at that place or time, or departs from the place where he is bound to attend before the time at which it is lawful for him to depart,
shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to one month, or with fine which may extend to five hundred rupees, or with both,
or, if the summons, notice, order or proclamation is to attend in person or by agent in a Court of Justice, with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.
Illustrations
(a) A, being legally bound to appear before the 1[High Court] at Calcutta, in obedience to a subpoena issuing from that Court, intentionally omits to appear. A has committed the offence defined in this section.
(b) A, being legally bound to appear before a 176 [District Judge], as a witness, in obedience to a summons issued by that 2[District Judge] intentionally omits to appear. A has committed the offence defined in this section.
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 174 आसान भाषा में
अगर आप भी IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 174 को आसान भाषा में समझना चाहते हैं तो इसको इस तरह समझिये कि जब भी कभी किसी लोक सेवक द्वारा निकाले गए समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा का पालन ना करके व्यक्ति गैर-हाजिर रहता हैं तब वह अपराध करता हैं ऐसा माना जाता हैं क्योकि लोक सेवक के नाते समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा निकालने के लिए वह यानि कि लोक सेवक वैध रूप से सक्षम भी हैं और इस तरह के आदेश को ना मानकर जान बूझ कर ऐसा करेगा यानि कि हाज़िर नहीं होगा तब उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे एक माह तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, या 500 रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
अथवा, यदि समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या किसी अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या 1000 रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा |
लागू अपराध (IPC Section 174)
1. व्यक्ति या अभिकर्ता द्वारा किसी निश्चित जगह पर उपस्थित होने या बिना किसी अधिकार के वहां से प्रस्थान करने के लिए कानूनी आदेश का पालन नहीं करना
सजा –1 माह का कारावास या 500 रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों दिए जा सकते है।
यह एक जमानती, गैर–संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
2. यदि आदेश न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थिति आदि के लिए है
सजा – 6 महीने या 1000 रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, गैर–संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 174 में सजा (Punishment) क्या होगी
व्यक्ति या अभिकर्ता द्वारा किसी निश्चित जगह पर उपस्थित होने या बिना किसी अधिकार के वहां से प्रस्थान करने के लिए कानूनी आदेश का पालन नहीं करना अपराध माना गया है , इसके लिए दंड का निर्धारण भारतीय दंड संहिता में धारा 174 के तहत किया गया है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174 में ऐसा अपराध करने पर –
1. व्यक्ति या अभिकर्ता द्वारा किसी निश्चित जगह पर उपस्थित होने या बिना किसी अधिकार के वहां से प्रस्थान करने के लिए कानूनी आदेश का पालन नहीं करना
सजा –1 माह का कारावास या 500 रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों दिए जा सकते है।
यह एक जमानती, गैर–संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
2. यदि आदेश न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थिति आदि के लिए है
सजा – 6 महीने या 1000 रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, गैर–संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी (IPC) की धारा 174 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिल जाती है क्योकि इसको CrPC में गैर-संज्ञेय श्रेणी का जमानतीय अपराध में बताया गया है |
आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है, कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
व्यक्ति या एजेंट द्वारा किसी निश्चित स्थान पर उपस्थित होने के लिए, या अधिकार के बिना वहां से प्रस्थान करने के लिए कानूनी आदेश का पालन नहीं करना | 1 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों | असंज्ञेय | जमानतीय | किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) |
यदि आदेश में न्यायिक अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति, आदि की आवश्यकता होती है | 6 महीने के लिए साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों | असंज्ञेय | जमानतीय | किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) |