वर्तमान समय में देश में आपराधिक गतिविधितियाँ काफी तेज होती जा रही है | यहाँ तक कि आज अपराधी, अपराध को अंजाम देने के लिए हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल करने लगे है | वैसे देखा जाये तो मोबाइल, पर्स, क्रेडिट या डेबिट कार्ड गुम होना या चोरी हो जाना तथा किन्ही कारणों से आपसी झड़प या गाली-गलौच होना एक आम बात है | हालाँकि इस प्रकार की वस्तुओं के खोनें या मामलों के निपटारे के लिए पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करते है | लेकिन आपको बता दें, कि हर तरह की कम्प्लेंट के लिए पुलिस द्वारा कंप्लेंट दर्ज नहीं की जाती है, बल्कि एनसीआर दर्ज की जाती है |
दरअसल अपराध के आधार पर पहले तय किया जाता है कि वह किस श्रेणी का अपराध है, अपराध की कैटेगरी के अनुसार पुलिस द्वारा एफआईआर या एनसीआर दर्ज की जाती है | इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ FIR (एफआईआर) तथा NCR (एनसीआर) में क्या अंतर होता है ? इसके बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी दे रहे है | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर और बहुत से अन्य अधिनियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य अधिनियमों के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
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एफआईआर क्या होती है (What Is FIR)
FIR (एफआईआर) का फुल फार्म “First Information Report (फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट)” होता है | हिंदी में इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट या प्राथमिकी कहते है | यह एक ऐसा कानूनी दस्तावेज होता है, जिसके आधार पर पुलिस अपराधी को सजा दिलानें के लिए कार्यवाई करती है | दूसरे शब्दों में किसी प्रकार का अपराध घटित होनें पर पुलिस के पास कार्रवाई की जानें वाली सूचना को प्रथम सूचना रिपोर्ट या प्राथमिकी कहते हैं | आपको बता दें कि पुलिस द्वारा एफआईआर संज्ञेय अपराधों जैसे हत्या, दुष्कर्म, चोरी, हमला आदि में दर्ज की जाती है | एफआईआर दर्ज करनें के उपरांत पुलिस आरोपी को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है |
पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट या प्राथमिकी सीआरपीसी (Code of Criminal Procedure) की धारा 154 के अंतर्गत दर्ज की जाती है | प्राथमिकी दर्ज होनें के उपरांत पुलिस को अपराधी के विरुद्ध अनिवार्य रूप से कार्रवाई शुरू करने की शक्तियां प्राप्त हो जाती है | वह अपराधी या उससे सम्बंधित व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करनें के साथ ही तलाशी या किसी भी प्रकार के भेद भावपूर्ण लेख / सामग्री को जब्त कर सकते हैं।
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एनसीआर क्या होता है (What Is NCR)
NCR (एनसीआर) का फुल फार्म “NON Cognizable Report (नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट)” होता है और हिंदी भाषा में इसे असंज्ञेय अपराध सूचना कहते है | असंज्ञेय अपराध में किसी के साथ धोखा-धडी, पॉकेट कट जाना, मोबाइल चोरी हो जाना, दस्तावेज चोरी होना,मामूली झगडा या मारपीट होना आदि आता है | इस प्रकार के असंज्ञेय अपराध होने पर पीडित व्यक्ति पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करानें पर ऐसे प्रकरण को एफआईआर न मानते हुए एनसीआर में दर्ज किया जाता है |
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ऐसे मामले अपराध की श्रेणी में नहीं आते है परन्तु इन्हें मामूली अपराध माना जाता है | इस प्रकार के मामूली अपराधी के लिए एनसीआर का नियम बनाया गया है | इस प्रकार के अपराधों के लिए पुलिस किसी को भी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती | पुलिस द्वारा एनसीआर दर्ज करने के बाद वह मामले की जाँच में लग जाती है |
इसके पश्चात पुलिस जाँच के आधार पर उस घटना से समबन्धित रिपोर्ट तैयार कर न्यायालय में पेश करती है | जाँच के दौरान यदि खोई या चोरी हुई वस्तु प्राप्त हो जाती है, तो पुलिस कानूनी औपचारिकताएं पूरी करनें के बाद वह संपत्ति शिकायतकर्त्ता को दे देती है | यदि खोजबीन के दौरान पीड़ित व्यक्ति का समान वापस नहीं मिलता है, तो ऐसी स्थिति में पुलिस अपनी रिपोर्ट में इस बात को दर्ज कर न्यायलय के समक्ष दाखिल कर देती है |
एफआईआर तथा एनसीआर में अंतर (Difference Between FIR And NCR)
- संज्ञेय अपराधों की सूचना धारा 154 सीआरपीसी (CrPC) के अंतर्गत दर्ज़ की जाती है, जिसे एफआईआर कहते है, जबकि असंज्ञेय अपराधों की सूचना धारा 155 सीआरपीसी (CrPC) में दर्ज की जाती है जिसे हम उसे एनसीआर कहते है |
- एफआईआर में सभी आपराधिक मामले शामिल होते है, जबकि एनसीआर में गुम होने और चोरी होने के मामले दर्ज किये जाते है |
- एनसीआर एक नॉन-कॉग्निजेबल अर्थात असंज्ञेय अपराध के लिए दर्ज की जाने वाली शिकायत होती है, जबकि एफआईआर कॉग्निजेबल अर्थात संज्ञेय जो गंभीर मामलों के लिए दर्ज की जाती है |
- पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करनें के उपरांत उन्हें अनेक प्रकार की कानूनी शक्तियां प्राप्त हो जाती है, जिसके अंतर्गत पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, जबकि एनसीआर दर्ज करनें के उपरांत पुलिस को भी गिरफ्तार करनें का अधिकार प्राप्त नहीं होता है|
- एफआईआर को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है, जबकि एनसीआर को सिर्फ पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड तक ही सीमित रखा जाता है |
- एफआईआर दर्ज होनें के उपरांत पुलिस बिना कोर्ट गए उस मामले की तहकीकात शुरू कर देती है अर्थात वह आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है, जबकि एनसीआर दर्ज होनें पे ऐसा कोई प्रावधान नही है |
- एनसीआर में पुलिस घटना के बारे में जिक्र करती है, जबकि एफआईआर दर्ज करनें के उपरांत पुलिस न्यायालय के आदेश के बिना किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही कर सकती |
उपरोक्त वर्णन से आपको आज FIR (एफआईआर) तथा NCR (एनसीआर) में क्या अंतर होता है? इसके बारे में जानकारी हो गई होगी | एफआईआर तथा एनसीआर में अंतर (Difference Between FIR And NCR) के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इससे सम्बन्धित या अन्य किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
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N c r f i r me kitne dino baad tabdil hoti hia aur kya f i r me me tabdil hote hi police abhiyukt ko giraftaar kr sakti hia bina warant ke
Aur 156 (3)ke antargat ghatna ke kitne dino baad bhi mukdma likhwaya ja sakta hia