आईपीसी धारा 185 क्या है | IPC Section 185 in Hindi – विवरण, सजा का प्रावधान


आईपीसी धारा 185 क्या है

भारतीय दंड संहिता में लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालनाएक अपराध माना गया है और इसके लिए दण्ड का प्रावधान (IPC) की धारा 185 में  किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 185 किस तरह अप्लाई होगी | भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 185 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा | पसंद आने पर आर्टिकल शेयर जरूर करें |

आईपीसी धारा 182 क्या है 

(IPC Section 185) लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना

इस पेज पर भारतीय दंड सहिता की धारा 185 में “लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना इसके बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है? इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 185 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी  ले सकते हैं |



आईपीसी धारा 188 क्या है 

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 185 के अनुसार :-

लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना-

“जो कोई किसी लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में स्वेच्छया बाधा डालेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।“

According to Section. 185 – “Obstructing public servant in discharge of public functions”–

“Whoever voluntarily obstructs any public servant in the discharge of his public functions, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to five hundred rupees, or with both.”

आईपीसी धारा 193 क्या है

लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना का अर्थ –

लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन का मतलब होता है जो कोई किसी प्रकार की सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत लोगो के कल्याण के कार्यों में संलग्न हो इसको ही लोक कृत्यों के निर्वहन कहा जाता है अब अगर इसमें कोई बाधा डाले या रुकावट पैदा करे तो ये एक अपराध है इसमें कहा गया है कि – जो कोई किसी लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में अपनी मर्जी से बाधा डालेगा, उसको इस अपराध के लिए दंडित किया जाएगा ।”

आईपीसी धारा 201 क्या है

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 185 आसान भाषा में

अगर हम IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 185 को आसान भाषा में समझना चाहे तो सबसे पहले समझना होगा कि लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन का मतलब क्या होता है इसका अर्थ है कि जो कोई किसी प्रकार की सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत लोगो के कल्याण के कार्यों में संलग्न हो इसको ही लोक कृत्यों के निर्वहन कहा जाता है |

अब अगर इसमें कोई बाधा डाले या रुकावट पैदा करे तो ये एक अपराध है,  इसमें कहा गया है कि – जो कोई किसी लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में अपनी मर्जी से बाधा डालेगा, उसको इस अपराध के लिए दंडित किया जाएगा । जिसमे उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे 3 माह  तक बढ़ाया जा सकता है, या 500 रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों दिए जा सकते है |

आईपीसी धारा 156 क्या है

लागू अपराध (IPC Section 185)

लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।

सजा 3  माह तक का कारावास या 500 रुपए आर्थिक दण्ड, या दोनों हो सकते हैं ।

यह एक जमानती, गैरसंज्ञेय, संज्ञेय (आंध्रा प्रदेश में) अपराध है और किसी भी मॅजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

आईपीसी धारा 151 क्या है

आईपीसी की धारा 185 में सजा (Punishment) क्या होगी

व्यक्तित्व द्वारा धोखा देना अपराध माना गया है , इसके लिए दंड का निर्धारण  भारतीय दंड संहिता में धारा 185 के तहत किया गया है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 185 में ऐसा अपराध करने पर 3  माह तक का कारावास या 500 रुपए आर्थिक दण्ड, या दोनों दिए जा सकते है

आईपीसी धारा 149 क्या है

आईपीसी (IPC) की धारा 185 में  जमानत  (BAIL) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 185 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिल जाती है  क्योकि इसको CrPC में गैर-संज्ञेय श्रेणी का जमानतीय अपराध में बताया गया है |

आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 185 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें  क्या अपराध बनता है, कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

आईपीसी धारा 147 क्या है 

अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
किसी व्यक्ति द्वारा, कानूनी रूप से अधिकृत बिक्री पर संपत्ति के लिए, खरीदने के लिए कानूनी अक्षमता के तहत बोली लगाना, या उसके बाद किए गए दायित्वों को पूरा करने के बिना बोली लगाना1 माह का कारावास या 200 रुपए जुर्माना या दोनों।गैर -संज्ञेयजमानतीयकिसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता)

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