आईपीसी धारा 452 क्या है
भारतीय दंड संहिता में “उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार” इसके लिए प्रावधान (IPC) की धारा 452 में किया गया है | यहाँ हम आपको ये बताने का प्रयास करेंगे कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 452 किस तरह अप्लाई होगी | भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 452 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे | आशा है हमारी टीम द्वारा किया गया प्रयास आपको पसंद आ रहा होगा | पसंद आने पर आर्टिकल शेयर जरूर करें |
(IPC Section 452) उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार
इस पेज पर भारतीय दंड सहिता की धारा 452 में “उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार” के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, इनके बारे में पूर्ण रूप से इस धारा में चर्चा की गई है | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 452 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है? इसको भी यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी ले सकते हैं |
उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 452 के अनुसार :-
उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार
“जो कोई किसी व्यक्ति को उपहति कारित करने की, या किसी व्यक्ति पर हमला करने की, या किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करने की अथवा किसी व्यक्ति को उपहति के. या हमले के, या सदोष अवरोध के भय में डालने की तैयारी करके गृह-अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा |”
Section. 452 – “House-trespass after preparation for hurt, assault or wrongful restraint ”
“Whoever commits house-trespass, having made preparation for causing hurt to any person or for assaulting any person, or for wrongfully restraining any person, or for putting any person in fear of hurt, or of assault, or of wrongful restraint, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.”
लागू अपराध (IPC Section 452)
बिना अनुमति किसी के घर में घुसने, किसी को चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला करना
सजा – 7 साल कारावास + आर्थिक दंड से दण्डित होगा
यह एक गैर–जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी की धारा 452 में सजा (Punishment) क्या होगी
उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार के लिए दंड का निर्धारण भारतीय दंड संहिता में धारा 452 के तहत किया गया है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 452 में ऐसा अपराध करने पर – 7 साल कारावास + आर्थिक दंड से दण्डित होगा ।
आईपीसी (IPC) की धारा 452 में जमानत (BAIL) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 452 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि गैर-जमानतीय अपराध होने पर इसमें जमानत मिलने में मुश्किल होती है, क्योकि इसको CrPC में संज्ञेय श्रेणी का गैर-जमानतीय अपराध बताया गया है |
आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 452 लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
घर-अतिचार, चोट पहुंचाने, मारपीट आदि की तैयारी करने के बाद | 7 साल कारावास + आर्थिक दंड से दण्डित | संज्ञेय | गैर -जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) |
452में समझौता होता है कि नहीं।अगर समझौता करना चाहते हैं।तो क्या करें।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
धारा लगने के बाद अगर भाई साहब पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही आरोपि को तो क्या करें और हमारे पास घर पर हमला किया गया है उसका वीडियो भी है और बह हमला करते हुए देख भी रहे साफ-साफ
AAP HIGHER COURT ME APPEAL KRE..
452 के केस में तीन मुल्जिम है। उनमें से अगर एक से समझौता करना चाहें तो होसकता है क्या।अगर समझौता नहीं हो पा रहा है और एक व्यक्ति को केस से अलग करना है।तो क्या करें।
ha ho sakta hai alag ..ye evidence se proov krna hoga ki us samay ye vaykti waha maujood nahi tha…isko galat tarike se case me naam daal diya gya ..