आईपीसी धारा 494 क्या है | IPC Section 494 in Hindi – विवरण, सजा का प्रावधान


आईपीसी धारा 494 क्या है

यहाँ इस पेज पर भारतीय दंड संहिता में ” पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना “ एक अपराध के रूप में देखा गया है और इसको बहुत ही क्लियर करके IPC की धारा में  परिभाषित (डिफाइन) किया गया है | भारतीय दंड सहिता (IPC) में “पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना” को धारा 494 में परिभाषित किया गया है |  इस अपराध को कारित करने पर भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 494 किस तरह अप्लाई होगी | यहाँ हम आपको भारतीय दंड संहिता यानि कि IPC की धारा 494 क्या है ? इसके सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से यहाँ समझने का प्रयास करेंगे |

इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 494 में सजा के बारे में क्या प्रावधान बताये गए हैं, और इसमें कितनी सजा देने की बात कही गई है इनके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 में जमानत के बारे में क्या बताया गया है ?  सभी बातों को आज हम विस्तृत रूप से यहाँ जानेंगे, साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

आईपीसी धारा 498A क्या है 



IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 494 के अनुसार :-

पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना–

“जो कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा जिसमें ऐसा विवाह इस कारण शून्य है कि वह ऐसे पति या पत्नी के जीवनकाल में होता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डीय डोगा “|

अपवाद-

इस धारा का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति पर नहीं है, जिसका ऐसे पति या पत्नी के साथ विवाह सक्षम अधिकारिता के न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया गया हो,

और न किसी ऐसे व्यक्ति पर है, जो पूर्व पति या पत्नी के जीवनकाल में विवाह कर लेता है, यदि ऐसा पति या पत्नी उस पश्चात्वर्ती विवाह के समय ऐसे व्यक्ति से सात वर्ष तक निरन्तर अनुपस्थित रहा हो, और उस काल के भीतर ऐसे व्यक्ति ने यह नहीं सुना हो कि वह जीवित है, परन्तु यह तब जब कि ऐसा पश्चात्वर्ती विवाह करने वाला व्यक्ति उस विवाह के होने से पूर्व उस व्यक्ति को, जिसके साथ ऐसा विवाह होता है, तथ्यों की वास्तविक स्थिति की जानकारी, जहां तक कि उनका ज्ञान उसको हो, दे दे।

साथ ही यह भी जानना आवश्यक है कि इस धारा का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति पर लागू नहीं होगा, जिसका ऐसे पति या पत्नी के साथ विवाह सक्षम अधिकारिता के न्यायालय द्वारा अमान्य घोषित कर दिया गया हो।

S. 494 –  “Marrying again during lifetime of husband or wife ”–

“Whoever, having a husband or wife living, marries in any case in which such marriage is void by reason of its taking place during the life of such husband or wife, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine”.

(Exception)

This section does not extend to any person whose marriage with such husband or wife has been declared void by a Court of competent jurisdiction,

nor to any person who contracts a marriage during the life of a former husband or wife, if such husband or wife, at the time of the subsequent marriage, shall have been continually absent from such person for the space of seven years, and shall not have been heard of by such person as being alive within that time provided the person contracting such subsequent marriage shall, before such marriage takes place, inform the person with whom such marriage is contracted of the real state of facts so far as the same are within his or her knowledge.

आईपीसी धारा 406 क्या है

 लागू अपराध

पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना

सजा 7 वर्ष तक का कारावास  और आर्थिक दण्ड |

यह एक जमानती, गैर संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता) है।

आईपीसी की धारा 494 में सजा (Punishment) क्या होगी

जब किसी आदमी की शादी हो गई हो और वह अपने साथी के साथ न रहकर किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाह करता है तो भारतीय दंड संहिता में धारा 494 के तहत अपराध माना जाता है | यहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 में किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | इसके लिए उस व्यक्ति को जिसके द्वारा ऐसा किया गया है उसको कारावास की सजा जो कि 7 वर्ष तक का हो सकता है और आर्थिक दंड से दण्डित किया जायेगा | यह एक गैर- संज्ञेय, जमानती अपराध  है और यह मामला प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता ) है।

आईपीसी धारा 499 क्या है

आईपीसी (IPC) की धारा 494 में  जमानत  (BAIL) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती और गैर- संज्ञेय अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराध और होने पर इसमें जमानत मिलने में मुश्किल नहीं आती है क्योंकी CrPC में यह जमानतीय अपराध बताया गया है ।

मुस्लिम धर्म में नहीं अप्लाई होगी धारा 494

अगर हम  मुस्लिम धर्म की बात करें, तो यहाँ उस व्यक्ति पर उसकी पत्नी के जीवित होने के बाबजूद भी यदि वो किसी अन्य स्त्री के साथ विवाह करता है, तो उस व्यक्ति की पत्नी या और कोई उसके खिलाफ कोई क़ानूनी कार्यवाही नहीं कर सकता है।

साल 1955 में हिंदू मैरिज कानून (एक्ट) के बनने से हिंदू महिलाओं को उनके पति द्वारा दूसरी शादी करने से रोक दिया गया था, लेकिन अन्य मुस्लिम महिलाओं को उनके पति को दूसरी शादी करने से रोकने के लिए ऐसा अधिकार नहीं दिया गया है। IPC की धारा 495 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति IPC की धारा 494 के तहत अपराध करता है, और अपने होने वाली पत्नी से अपनी पिछली शादी को छिपाता है, तो ऐसी स्थिति में होने वाली या नई पत्नी भी अगर वो चाहे तो FIR रजिस्टर कराके 7 साल तक  सजा उस आदमी को दिला सकती है

आईपीसी धारा 467 क्या है

अब अगर हम वहीं दूसरी ओर देखे तो हम पाते हैं कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का कानून भी अलग है, और एक मुस्लिम व्यक्ति को दूसरा, तीसरा विवाह करने की अनुमति इसमें दी गई है। IPC की धारा 494 में परिभाषित जो प्रावधान है वो  हिन्दू महिलाओं के साथ साथ सिख और बौद्ध समुदाय की महिलाओं के लिए भी  है।

मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ?  इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, साथ ही इसमें जमानत के क्या प्रावधान होंगे ? यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप  हमें  कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है |

आईपीसी धारा 468 क्या है 

अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना7 वर्ष तक का कारावास + आर्थिक दंडगैर -संज्ञेयजमानतीयप्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (ट्रायल किया जा सकता)

आईपीसी धारा 427 क्या है


टॉप आईपीसी धारा | Important IPC in Hindi

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यदि आप अपने सवाल का उत्तर प्राइवेट चाहते है तो आप अपना सवाल कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से पूछें |

12 thoughts on “आईपीसी धारा 494 क्या है | IPC Section 494 in Hindi – विवरण, सजा का प्रावधान”

  1. जब पहला पति गाजीपुर से संबंधित हो और लड़की का निवास ऋषिकेश में हो और लड़की अपनी दूसरी शादी करके आगरा में रह रही हो, और लड़की अपने दूसरे पति के खिलाफ जनपद हाथरस के पुलिस अधीक्षक महोदय को शिकायत दी हो। पहले पति को इस बात की जानकारी हो जाती है, तो पहला पति 494 का मामला कहां दर्ज करा सकता है। कृपया हमें शीघ्र सुझाव देने का कष्ट करें।

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  2. Sir mai bahut pareshan ho gaya hu. Suicide karne ke bare me Soch Raha Hu. Meri shaadi ho chuki hai. Hamari shaadi Ko 10 sal ho gaya hai. Shaadi ke waqt ladki ko arthritis Rog tha lekin mughe bataya nahi gaya. Arthritis usko shaadi ke pahle se tha. Mai usko 10 sal se dava kar raha hu. Sahi nahi ho raha hai. Bina dawa khae Pani Tak nahi Pi sakti hai. Hamari ek 5 sal ki ladki hai. O mere yaha Ek saal mein sirf ek Mahina rahti hai.11 month mayke me.Uske Ghar wale paise Wale Hai. Sara kam mai hi karta hu. Mere man baap 65 sal ke upar hai. Khana Meri ma banati hai. Mai dusri shaadi ke liye bolata Hu to sasural wale dhamkate hai.sr mai kya karu.mai usko talak nahi de raha hu.mughe kanuni rup se dusri shadi karne ke Adhikar mile. please sir help me

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  3. सर मेरी शादी हुए 5 साल हो गए हे मेरे एक लड़की हे जो की 3 साल की हे हम दोनों के एक वर्ष पहले झगड़ा हुआ गुस्से में जाकर हम ने स्टाम पेपर पर तलाक नामा लिखवा दिया लेलिन वो मेरे बिना नहीं रह पाई मेरे साथ पुनः आ गई हम ने फिर एक साल निकाला लेकिन फिर किस बात को लेकर झगड़ा हुआ और वो किसी और के साथ चली गई घर का सारा सामान भी ले गई. मुझे उसे सजा दिलाने के लिए क्या करना होगा और बच्ची से मिलने के लिए क्या करना होगा

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  4. मेरी शादी को पाच साल हो गये सास बहु के झगडे से से मुझे अलग रहना पडा मे इकलौता पुत्र हू अलग रहने के बाद मे हमारे दोनो के बीच झगडा खत्म नही हुआ वह अपने पीहर जाकर रहने लगी मेरे चार साल की पुत्री भी है चार साल से पीहर ही है उसने मुझ पर भरण पोषण ओर दहेज का केस लगाया है मे अपने समाझ की लडकी के साथ लिव इन मे रह रहा हू मेने सोचा तलाक के बाद शादी कर लुगा लेकिन पहली वाली ने 494 लगा दिया है

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