भारत में हर धर्म अपने रीति-रिवाज़ के अनुसार शादी के आयोजन करता है, पति और पत्नी के रिश्तों की शरुवात भी शादी के बंधनो में बांधने के बाद ही मानी जाती है | लेकिन अब भारत में विवाह को पंजीकृत भी करवाना होता है | जोकि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत किया जाता है | ये विशेष विवाह अधिनियम, 1954 आखिर क्यों लाया गया इसका क्या उदेश्य है इन्ही सब बातों को आज हम यहाँ इस लेख में चर्चा करेंगे | तो देखते हैं आखिर Special Marriage Act in Hindi | विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधान
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ Special Marriage Act in Hindi | विशेष विवाह अधिनियम, 1954 क्या है | इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य संविधान की महत्वपूर्ण बातों और उसकी प्रमुख विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से संविधान के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 क्या है (What is Special Marriage Act)
सबसे पहले ये जानें कि भारत में, सभी विवाह किसी न किसी कानून के तहत पंजीकृत किये जाते है | व्यवाह या तो संबंधित व्यक्तिगत कानून (हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 / मुस्लिम विवाह अधिनियम, 1954) या फिर विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत हो सकते हैं। अब अब ये जाने कि इस विशेष विवाह अधिनियम,की जरुरत क्यों पड़ी ? विशेष विवाह अधिनियम 1954 अधिनियम के अनुसार जब दो अलग-अलग धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को विवाह करना होता है तो यही अधिनियम इसके लिए प्रावधान करता है या ऐसे कहे कि विवाह की अनुमति देता है।
आपको बता दे कि हिंदू विवाह अधिनियम हिंदुओं पर लागू होता है, जबकि विशेष विवाह अधिनियम भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू होता है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो । हिंदू विवाह अधिनियम पहले से ही विवाहित विवाह के पंजीकरण का प्रावधान करता है |
न्यायिक समीक्षा (पुनरावलोकन) क्या है
- जैसा हमने आपको ऊपर बताया कि विशेष विवाह अधिनियम भारत में अंतरधार्मिक एवं अंतर्जातीय विवाह को पंजीकृत करने एवं मान्यता प्रदान करने हेतु बनाया गया है।
- यह एक नागरिक अनुबंध (एग्रीमेंट) के माध्यम से दो व्यक्तियों को अपनी शादी विधिपूर्वक करने की अनुमति देता है।
- अधिनियम के तहत किसी धार्मिक औपचारिकता के निर्वहन की आवश्यकता नहीं है।
- यह अधिनियम हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्धों आदि सभी पर लागू होता है तथा इसके दायरे में भारत के सभी राज्य आते हैं।
विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधान:
यह अधिनियम वर्ष 1954 में विशेष विवाह अधिनियम 1954 के नाम से लागू हुआ, जिसमें किसी भी व्यक्ति को कुछ शर्तों के साथ किसी अन्य धर्म या जाति से संबंधित किसी व्यक्ति से विवाह की अनुमति है।
विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 महत्वपूर्ण है इसके अनुसार निम्नलिखित शर्तें बताई गई हैं –
- इसके अनुसार, दोनों पक्षों में से किसी एक का कोई जीवनसाथी नहीं होना चाहिये।
- दोनों पक्षों को अपनी सहमति देने में सक्षम होना चाहिये, अर्थात् वो वयस्क हों एवं अपने फैसले लेने में सक्षम हों।
- दोनों पक्ष उन कानूनों के तहत, जो उनके धर्म विशेष पर लागू होता है, निर्धारित निषिद्ध संबंधों, जैसे-अवैध या वैध रक्त संबंध, गोद लेने से संबंधित व्यक्ति, में नहीं होना चाहिये।
- इसके साथ ही पुरुष की आयु कम से कम 21 और महिला की आयु कम से कम 18 होनी चाहिये।
- विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाहित जोड़े तलाक के लिये तब तक याचिका नहीं दे सकते जब तक कि उनकी शादी की तारीख से एक वर्ष की अवधि समाप्त नहीं हो जाती है।
यदि ये सभी शर्तों पूरी होती हैं तो दोनों पक्ष जिस क्षेत्र में विगत तीस दिनों से निवास कर रहे हैं उस क्षेत्र में विवाह अधिकारी को उनके विवाह हेतु अनुमति पत्र दे सकते हैं।
यहाँ यह भी जानने योग्य बात है कि यदि किसी को भी इस विवाह से किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति है तो वह अगले 30 दिनों की अवधि में इसके खिलाफ नोटिस भी दायर कर सकता है। आपत्तियों पर विचार करने के 30 दिनों की अवधि के पश्चात, विवाह के पंजीकरण पर हस्ताक्षर करने के लिये 3 गवाहों के साथ विवाह की अनुमति दी जाती है। यदि कोई भी व्यक्ति यह मानता है कि दोनों में से कोई भी पक्ष सभी आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करता है तो शादी के खिलाफ आपत्ति दर्ज कर सकता है। यदि आपत्ति सही पाई जाती है तो विवाह अधिकारी विवाह हेतु अनुमति प्रदान करने से मना कर सकता है।
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विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में क्या समस्या है?
जब एक ही धर्म के लोग शादी करते हैं तो उनकी शादी एक ही दिन में हो जाती है, लेकिन अगर अलग-अलग धर्म के लोग शादी करते हैं तो उसमें 30 दिन का समय लगता है।
- ऐसे में, इस प्रावधान को शादी के इच्छुक जोड़ों की निजता के अधिकार का उल्लंघन और भेदभावपूर्ण माना जा रहा है।
- साथ ही, जो जोड़ा शादी कर रहा होता है वो भावनात्मक, कई बार आर्थिक और परिवार की तरफ़ से संघर्ष कर रहा होता है।
- ऐसे में, वे परिवार ही नहीं, अराजक तत्वों के निशाने पर भी आ जाते हैं। जहाँ उन पर अपने ही धर्म में शादी का दबाव डाला जाता है।
- इसके अलावा, ये भी देखा गया है कि लड़की चाहे किसी भी समुदाय की हो परेशानी सबसे ज़्यादा उसे ही उठानी पड़ती है।
Court Marriage (कोर्ट मैरिज) Process
Special Marriage Act in Hindi | विशेष विवाह अधिनियम, 1954
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उपरोक्त वर्णन से आपको आज Special Marriage Act in Hindi | विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधान इसके बारे में जानकारी हो गई होगी |विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इससे सम्बन्धित या अन्य किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
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